मृत्यु के बाद भी अपनी ड्यूटी निभाते है बाबा हरभजन सिंह
- वो भारतीय सैनिक जिसकी आर्मी करती है पूजा
- बाकी सैनिकों की तरह वेतन और सुविधाएँ देती है आर्मी
हिंदुस्तान में देवी देवताओं के मंदिर तो बहुत है, लेकिन देश के एक हिस्से में एक सैनिक का मंदिर भी बना हुआ है। इस मंदिर की मान्यता इतनी हैं कि यहां दूर-दूर से लोग शीश नवाने पहुंचते हैं। ये अद्भुत है, ये अविश्वसनीय है लेकिन ये सच है। यह मंदिर सिक्किम की राजधानी गंगटोक में जेलेप दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच 14 हजार फीट की ऊंचाई पर बना है। आम लोग और सिर्फ भारतीय सेना ही नहीं, बल्कि चीनी सेना भी इनके सम्मान में सर झुकाती है। इन सिपाही का नाम था हरभजन सिंह और उनकी देश भक्ति को देख लोग उन्हें बाबा हरभजन सिंह कहते हैं।
30 अगस्त 1946 को पंजाब (वर्तमान में पाकिस्तान) के सदराना गांव में जन्मे हरभजन सिंह भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट में 1966 में बतौर सिपाही भर्ती हुए। साल 1968 में उनकी ड्यूटी 23वें पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्किम में थी। फिर आया 4 अक्टूबर 1968 का दिन, जब खच्चरों का काफिला ले जाते समय नाथुला पास के समीप ही उनका पैर फिसल गया और घाटी में गिरने से उनकी मृत्यु हो गई। पानी का तेज बहाव हरभजन सिंह के शरीर को बहाकर दूर ले गया। सेना ने खोज की लेकिन उनकी पार्थिव देह नहीं मिली।
कहते है इसके बाद बाबा हरभजन सिंह अपने साथी सैनिक के सपने आए और उसे अपने शरीर का पता बताया। जब खोजबीन की गई तो तीन दिन बाद उनका शरीर भारतीय सेना को उसी जगह मिला जो जगह उन्होंने अपने साथी को सपने में बताई थी। उस दुर्गम क्षेत्र में ये किसी चमत्कार से कम नहीं था। कहा जाता है कि उन्होंने सपने में एक समाधि बनवाने की इच्छा भी जाहिर की थी, जिसके बाद 14 हजार फीट की ऊंचाई पर जेलेप दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच उनकी समाधि बनावा दी गई।
कहा जाता है कि मृत्यु के बाद भी बाबा हरभजन सिंह अपनी ड्यूटी निभाते हैं और चीन की सभी गतिविधियों की जानकारी अपने साथियों को उनके सपने में आकर देते हैं। सेना की भी बाबा हरभजन के प्रति भरपूर निष्ठा है। उन्हें बाकयादा बाकी सभी सैनिकों की तरह वेतन, दो महीने की छुट्टी आदि सभी सुविधाएं दी जाती हैं। हालांकि, अब बाबा हरभजन सिंह रिटायर हो चुके हैं। दो महीने की छट्टी के दौरान ट्रेन में उनके घर तक की टिकट बुक करवाई जाती है और स्थानीय लोग उनका सामान लेकर उन्हें रेलवे स्टेशन तक छोड़ने जाते हैं। नाथुला में जब भी भारत और चीन के बीच फ्लैग मीटिंग होती है तो चीनी सेना बाबा हरभजन के लिए अलग से एक कुर्सी भी लगाती है।
जूतों पर अक्सर मिलती है कीचड़
बाबा हरभजन सिंह के मंदिर में उनकी तस्वीर के साथ उनके जूते और बाकी सामान को रखा गया है। भारतीय सेना के जवान मंदिर की चौकीदारी करते हैं और रोजाना उनके जूतों को पॉलिश भी करते हैं। यहाँ तैनात सिपाहियों ने कई बार दावा किया है कि उनके जूतों पर अक्सर कीचड़ या मिट्टी लगी होती है और उनके बिस्तर पर सलवटें भी दिखाई पड़ती है। लोगों का ऐसा मानना है कि बाबा हरभजन सिंह की आज भी यहां देश की सरहद की रक्षा करते हैं।