सुपहल : कोर्ट में प्रॉस्टिट्यूट-मिस्ट्रेस जैसे शब्द इस्तेमाल नहीं होंगे

** सुप्रीम कोर्ट ने शब्दावली जारी की
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालत के फैसलों और दलीलों में अब जेंडर स्टीरियोटाइप शब्द जैसे कि प्रॉस्टिट्यूट और मिस्ट्रेस का इस्तेमाल नहीं होगा। आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए बुधवार को हैंडबुक लॉन्च की है। मसलन अब प्रॉस्टिट्यूट की जगह 'सेक्स वर्कर', चाइल्ड प्रॉस्टिट्यूट की जगह 'तस्करी करके लाया गया बच्चा', अफेयर की जगह 'शादी के इतर रिश्ता' इस्तेमाल किया जाएगा। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इससे जजों और वकीलों को ये समझने में आसानी होगी कि कौन से शब्द रूढ़िवादी हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।
गौरतलब है कि इस हैंडबुक में वे शब्द हैं, जिन्हें पहले की अदालतों ने इस्तेमाल किया है। शब्द गलत क्यों हैं और वे कानून को और कैसे बिगाड़ सकते हैं, इसके बारे में भी जानकारी दी गई है। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि इस हैंडबुक को तैयार करने का मकसद किसी फैसले की आलोचना करना या संदेह करना नहीं, बल्कि यह बताना है कि अनजाने में कैसे रूढ़िवादिता की परंपरा चली आ रही है। शब्दावली को कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली समिति ने तैयार किया है। इस समिति में रिटायर्ड जस्टिस प्रभा श्रीदेवन और जस्टिस गीता मित्तल और प्रोफेसर झूमा सेन शामिल थी, जो फिलहाल कोलकाता में वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज में फैकल्टी मेम्बर हैं।