हिमाचल: कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की मक्की की नई किस्म, किसानों को मिलेगा लाभ

हिमाचल प्रदेश के मक्की उत्पादक क्षेत्रों के किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खुशखबरी दी है। प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अथक प्रयासों के बाद मक्की की एक नई और अधिक उपज देने वाली किस्म विकसित की है, जिसका नाम हिम पालम मक्की कंपोजिट 2 (एल 316) रखा गया है। इस नई किस्म को हाल ही में खरीफ फसलों पर आयोजित कृषि अधिकारी कार्यशाला में जारी किया गया, जिससे राज्य के मक्की किसानों के लिए एक नया विकल्प उपलब्ध हो गया है। इस नई किस्म की सबसे खास बात यह है कि इसके दाने मोटे, नारंगी और दातेंदार होते हैं, जो इसे खाने के साथ-साथ पशुओं के चारे के लिए भी उपयुक्त बनाते हैं। इसकी पत्तियां परिपक्वता तक हरी रहती हैं, जिससे यह चारे के रूप में और भी उपयोगी साबित होती है। यह किस्म समय पर पकने वाली है और बुवाई के मात्र 98 दिनों में ही तैयार हो जाती है। संकुल मक्की किस्मों में हिम पालम मक्की कंपोजिट 2 (एल 316) सर्वाधिक पैदावार देने वाली किस्म है, जिसकी औसत उपज 65.66 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है। किसानों के लिए एक और महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इस किस्म के बीज को हर साल खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी, जैसा कि हाइब्रिड किस्मों के मामले में होता है। हिम पालम मक्की कंपोजिट 2 (एल 316) के बीज को किसान चार वर्षों तक उपयोग कर सकेंगे और इसे अपने खेतों में ही तैयार कर सकेंगे। इससे किसानों को बाजार से महंगा बीज खरीदने की मजबूरी से मुक्ति मिलेगी और उनकी आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, यह नई मक्की किस्म टर्सिकम झुलसा रोग, जीवाणु तना सड़न और तना बेधक जैसे प्रमुख रोगों के प्रति भी प्रतिरोधी है, जिससे फसल की बर्बादी का खतरा कम हो जाता है। अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. उत्तम चंदेल ने इस नई किस्म को किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी बताया है। उन्होंने कहा कि इस किस्म के पौधों की ऊंचाई मध्यम होने के कारण तेज हवा में भी इनके गिरने की संभावना कम है। कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नवीन कुमार ने भी इस किस्म को प्रदेश के निचले और मध्यवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त और अनेक रोगों के प्रति प्रतिरोधी बताते हुए मक्की उत्पादक क्षेत्रों के लिए इसे अत्यधिक उपयोगी बताया है। यह नई किस्म निश्चित रूप से हिमाचल प्रदेश के मक्की किसानों के लिए एक वरदान साबित होगी।