हिमाचल: न पंचायत की मंजूरी ली न प्रशासन की....बिना मंजूरी के लीज पर दे दी संपत्ति

हिमाचल प्रदेश में पंचायतों की संपत्तियों को कौड़ियों के भाव लीज पर देने का मामला सामने आया है। इन संपत्तियों को न तो नीलामी के माध्यम से दिया गया और न ही विभागीय या प्रशासनिक मंजूरी ली गई। इस अनियमितता से सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। शिकायतों के बाद, प्रदेश सरकार ने सभी 3,615 पंचायतों में लीज पर दी गई संपत्तियों की जांच करने के लिए जिला उपायुक्तों को तीन महीने का समय दिया है। सरकार ने पिछले पांच वर्षों में लीज पर दी गई संपत्तियों की समीक्षा करने और नियमों के खिलाफ दी गई लीज को रद्द करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, सरकार ने लीज अवधि को 5 वर्ष तक सीमित करने का भी निर्देश दिया है। कांगड़ा की रैत पंचायत में 8 दुकानें 50 रुपये प्रति माह के किराये पर दी गईं, जबकि रजोल में 4 दुकानें 200 रुपये प्रति माह के किराये पर दी गईं। शिमला के टुटू (हीरानगर) में चायली पंचायत में 20 दुकानें 400 से 900 रुपये प्रति माह के किराये पर दी गईं। वही पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर निगरानी समितियों का गठन किया है। इन समितियों में पंचायत सचिव, पंचायत प्रधान, बीडीओ, एसडीएम, जिला पंचायत अधिकारी, जिला परिषद सदस्य और अन्य अधिकारी शामिल हैं। राजेश शर्मा, सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज ने कहा कि विभागपंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 112 का उल्लंघन करते हुए, व्यावसायिक परिसरों, भवनों और अन्य संपत्तियों को लीज पर दिया गया है। सरकार ने निगरानी समितियों को पीडब्ल्यूडी द्वारा निर्धारित बाजार दरों पर ही किराया तय करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, लीज पर देने से पहले संपत्तियों का विज्ञापन करना अनिवार्य होगा।