हिमाचल: चिट्टा तस्करी, नकली शराब बेचना और अन्य प्रकार के संगठित अपराधों पर कड़ी सजा का प्रावधान, विधानसभा में पारित हुआ विधेयक

हिमाचल प्रदेश में संगठित अपराध पर कड़ी कार्रवाई के लिए एक नया विधेयक पारित किया गया है, जिसके तहत चिट्टा तस्करी, नकली शराब बेचना और अन्य प्रकार के संगठित अपराधों से जुड़ी घटनाओं में मौत होने पर दोषियों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है। इसके अलावा, दोषियों पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। साथ ही, नशे से कमाई गई संपत्ति को जब्त करने का भी प्रावधान है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत किया गया यह विधेयक अब राज्यपाल की मंजूरी के बाद कानून बन जाएगा। विधेयक के तहत, संगठित अपराध में शामिल होने या उसे बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों को कम से कम एक साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही पांच लाख रुपये तक जुर्माना भी हो सकता है। जो व्यक्ति संगठित अपराध गिरोह का सदस्य होगा, उसे कम से कम एक साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
वही अगर कोई व्यक्ति संगठित अपराध से अर्जित संपत्ति पर कब्जा करता है, तो उसे एक साल से लेकर दस साल तक की सजा हो सकती है और दो लाख रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। और अगर कोई व्यक्ति नशे की सामग्री के साथ पकड़ा जाता है, तो उसे दो से चौदह साल तक की कठोर सजा हो सकती है और 20 हजार रुपये से लेकर दस लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। संगठित अपराध के तहत अवैध खनन, वन्यजीव तस्करी, मानव अंग तस्करी, साइबर अपराध, फर्जी बिल बनाना, और खाद्य मिलावट जैसे अपराधों को भी शामिल किया गया है। सरकारी कर्मचारियों के लिए सजा दोगुनी: यदि कोई सरकारी कर्मचारी संगठित अपराध में शामिल पाया जाता है, तो उसकी सजा दोगुनी हो सकती है। मन जा रहा है कि इस विधेयक के पारित होने के बाद हिमाचल प्रदेश में संगठित अपराध के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।