आईजी जहूर जैदी अब 'कैदी' ...कानून सबको एक निगाह से देखता है !

सूरज कस्टोडियल डेथ मामले में नप गए कानून के आठ रखवाले
हिमाचल प्रदेश के पूर्व आईजी जहूर जैदी अब कैदी है, उम्र कैद की सजा काट रहे है। ये साबित करता है कि कानून सबको एक निगाह से देखता है। भले ही अपराधी कितना ही बड़ा ओहदेदार हो और पीड़ित कितना भी आम। सूरज कस्टोडियल डेथ मामले में कानून के आठ रखवाले अब उम्रकैद काटेंगे।
हिमाचल की एक नाबालिग बेटी गुड़ियाँ के रेप एंड मर्डर केस में निर्दोष लोगों को फसाना और फिर लॉकअप में पुलिस की पिटाई से एक नेपाली युवक सूरज की कस्टडी में मौत होने के मामले ने आईजी रैंक के अफसर जहूर जैदी सहित आठ दोषी पुलिस वालों का करियर बर्बाद कर दिया। आईजी जहूर जैदी के नेतृत्व में गुड़ियाँ को इन्साफ दिलवाने का जिम्मा जिस एसआईटी को दिया गया था, उसने पुलिस के मुँह पर ऐसी कालिख पोती कि हिमाचल में जब भी पुलिस के काले कारनामो की बात होगी, इस मामले का जिक्र किया जायेगा।
पुलिस पदक से भी सम्मानित हैं जहूर जैदी
आईजी जहूर जैदी 1994 बैच के हिमाचल कैडर के आईपीएस ऑफिसर हैं। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग और पुलिस मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री की है। 2010 में उन्हें उत्कृष्ट सेवाओं के लिए पुलिस पदक से भी सम्मानित किया है। अपने सेवाकाल के दौरान उन्होंने आईजी ट्रैफिक का पदभार भी संभाला था। इसके अलावा 2017 में उन्हें आईजी लॉ एंड ऑर्डर बनाया गया था। गुड़िया रेप एंड मर्डर केस के दौरान गठित एसआईटी का हेड उन्हें नियुक्त किया गया था।
गुड़िया रेप एंड मर्डर केस से जुड़ा है मामला
चार जुलाई 2017 को शिमला के कोटखाई इलाके में दसवीं की एक छात्रा स्कूल से घर के लिए चली, लेकिन रास्ते में उसके साथ दरिंदगी की गई। दुष्कर्म के बाद उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। दो दिन बाद उसकी लाश मिली। इस घटना को गुड़िया रेप एंड मर्डर केस का नाम दिया गया। तत्कालीन वीरभद्र सिंह पर दबाव पड़ा तो तुरंत आईजी रैंक के अफसर की अगुवाई में एसआईटी गठित की गई, जिसका मुख्या आईजी जहूर जैदी को बनाया गया किया। इस बीच 12 जुलाई को राज्य के सीएम के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर तथाकथित आरोपियों के फोटो शेयर हुए, जिन्हें कुछ ही देरी में हटा लिया गया।
इसके बाद 13 जुलाई 2017 को एसआईटी ने आरोपियों को पकड़ने का दावा किया और डीजीपी के साथ प्रेस वार्ता में जांच का खुलासा किया। उस समय आईजी जहूर जैदी ने गुड़िया रेप एंड मर्डर केस को निर्भया से जटिल केस बताया था, लेकिन बाद में कथित आरोपी सूरज की कोटखाई थाने के लॉकअप में हत्या हो गई। 14 जुलाई को पुलिस जांच के तरीके से नाराज लोगों ने ठियोग में विरोध प्रदर्शन किया, घबराई राज्य सरकार ने अगले ही दिन सीबीआई जांच के लिए सिफारिश की।
जनवरी 2023 में हुई थी जैदी की सेवाएं बहाल
29 अगस्त 2017 को सीबीआई ने आईजी जैदी व आठ अन्य पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 16 नवंबर 2017 को सीबीआई ने शिमला के एसपी रहे डीडब्ल्यू नेगी को कस्टोडियल डैथ मामले में गिरफ्तार किया। जहूर जैदी को सुप्रीम कोर्ट से 5 अप्रैल 2019 को जमानत मिली थी। ट्रायल कोर्ट से जमानत रद्द होने के बाद वे फिर से न्यायिक हिरासत में रहे। जैदी कुल 4 साल 3 महीने हिरासत में रहे। अक्टूबर 2022 में जहूर जैदी को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने नियमित जमानत दी थी। वर्ष 2019 में कस्टोडियल डेथ मामले में ट्रायल के दौरान जैदी सहित दो अन्य अफसरों का निलंबन बहाल किया गया था। तब राज्य में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकार थी। iske bad 27 जनवरी 2023 को सुखविंदर सरकार के कार्यकाल में जैदी की सेवाएं बहाल की गई थी। जबकि शिमला के पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी को 18 अप्रैल 2019 को 17 महीने जेल में बिताने के बाद जमानत मिली थी और अब सीबीआई की चंडीगढ़ अदालत ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया है।