BUDGET @ कर्मचारी : कोई खुश, कोई खफा
नौकरियां : 30 हजार नए पद भरे जायेंगे
मानदेय : करीब डेढ़ लाख लोगों का बढ़ा मानदेय
नीति : आउटसोर्स और एसएमसी के लिए नहीं बनी नीति
सीएम जयराम ठाकुर ने अपने कार्यकाल के अंतिम बजट में कर्मचारी वर्ग को साधने की भी भरपूर कोशिश की है। बजट से जितना मांगा उतना भले न मिला हो, लेकिन कर्मचारियों की झोली खाली रही ऐसा नहीं कहा जा सकता। प्रदेश के पौने तीन लाख कर्मचारी हर बार की तरह इस बार भी बजट से कई उम्मीदें लगाए बैठे थे। कोई स्थाई नीति मांग रहा था, कोई पेंशन, कोई वेतन में बढ़ोतरी, तो किसी को पूर्णतः सरकारी कर्मचारी बनने की आस थी। मोटे तौर पर देखा जाए तो इस बजट में एक भी घोषणा ऐसी नहीं थी जो प्रदेश के हर कर्मचारी पर असर डालती, लेकिन अलग-अलग सभी को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई। विभिन्न विभागों में सेवाएं दे रहे लगभग 65 हजार अस्थाई कर्मचारियों के मानदेय में जयराम ठाकुर ने इजाफा कर राहत देने की कोशिश की है। पिछले कुछ समय में कर्मचारियों को काफी कुछ मिला है, नया वेतनमान, डीए, फैमिली पेंशन, दो साल का अनुबंध काल इत्यादि, शायद इसीलिए बजट में इस बार असंगठित वर्ग को राहत पहुंचाने का प्रयास रहा। कई कर्मचारी इस बजट की खुले दिल से प्रशंसा कर रहे है, तो कई अब भी दिल में मलाल लिए बैठे है। कर्मचारियों को क्या व कितना मिला और क्या नहीं, इस पर पेश है ये विश्लेषण
आउटसोर्स कर्मचारी : न्यूनतम वेतन बढ़ा पर नीति नहीं बनी
हिमाचल प्रदेश के 40 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को बजट से काफी उम्मीदें थी। दरससल आउटसोर्स कर्मचारियों की समस्याएं हल करने के लिए बनाई गई कैबिनेट सब कमेटी की बैठक के दौरान कर्मचारियों को ये आश्वासन मिला था की उनके लिए बजट में पॉलीसी का प्रावधान किया जाएगा। ये बैठक कमेटी के अध्यक्ष व जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में हुई थी। आउटसोर्स कर्मचारी काफी हद तक आश्वस्त थे कि जैसा कहा गया है वैसा ही होगा। परन्तु इस बजट से प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों को झटका लगा है। बजट में इनके लिए न तो पॉलीसी का प्रावधान हुआ और न उस पर कोई चर्चा। हालाँकि, नीति तो नहीं मिली लेकिन आउटसोर्स कर्मियों के वेतन में न्यूनतम 4,200 रुपये प्रतिमाह की बढ़ोतरी करने का प्रावधान जरूर किया गया है, जिसके बाद आउटसोर्स कर्मियों का न्यूनतम वेतन 10,500 रुपये प्रतिमाह हुआ है। बजट में कंपनियों द्वारा आउटसोर्स कर्मियों का शोषण कम करने के लिए पे-स्लिप देना अनिवार्य कर दिया गया है। इस पे-स्लिप में सर्विस प्रोवाइडर कर्मी को लिखित रूप से समस्त कटौतियां जैसे ईपीएफ इत्यादि एवं कर्मी को प्राप्त होने वाले कुल भुगतान को दिखाना होगा। श्रम विभाग इन दिशा निर्देशों की अनुपालना सुनिश्चित करेगा।
उधर,आउटसोर्स कर्मचारी इससे संतुष्ट नहीं है। आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ का कहना है कि उन्होंने हमेशा ही वित्तीय लाभ से अधिक नौकरी की सुरक्षा मांगी है। संघ का कहना है कि हमने प्रदेश सरकार से स्थायी नीति बनाने, समयावधि पूर्ण होने पर नियमित करने व समान वेतनमान की मांग की थी, जो पूरी नहीं हुई। आउटसोर्स कर्मचारी कई वर्षों से लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं, परंतु सरकार अभी तक आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए कोई स्थाई नीति नहीं बना पाई है। अलग-अलग विभागों में अलग-अलग नीतियां हैं। वेतन और मानदेय के मामले में भी असमानता की स्थिति बनी हुई है। बता दें की प्रदेश के विभिन्न विभागों में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती न केवल पिछली सरकार ने की, बल्कि जयराम सरकार ने भी यह सिलसिला जारी रखा, लेकिन इनके लिए स्थायी नीति नहीं बनाई गई।
शास्त्री व भाषाध्यापक को टीजीटी पदनाम, सरकार से खुश :
इस बजट में शास्त्री व भाषाध्यापक को टीजीटी पदनाम देने का निर्णय लिया गया है जिससे ये शिक्षक काफी खुश है। 2010 के बाद नियुक्त सभी प्रवक्ताओं को पीजीटी नाम दिया गया था, जिसका प्रवक्ता संघ ने लंबे समय तक विरोध किया। हिमाचल प्रदेश सरकार ने पहली मार्च, 2019 को कैबिनेट में निर्णय कर स्कूल प्रवक्ता का पदनाम प्रवक्ता स्कूल न्यू किया। प्रवक्ताओं का नाम प्रवक्ता न कर प्रवक्ता स्कूल न्यू करने पर प्रवक्ता वर्ग में असंतोष था। अध्यापक लगातार न्यू शब्द हटाने की मांग कर रहे था। हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ के प्रदेश अध्यक्ष केसर सिंह ठाकुर ने बताया कि इस निर्णय से हिमाचल प्रदेश के 18000 शिक्षकों में खुशी की लहर है। हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद, संयुक्त समिति शास्त्री व भाषाध्यापक ने भी प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का बजट में शास्त्री एवं भाषाध्यापकों को टीजीटी पदनाम की घोषणा का स्वागत किया है। इससे शास्त्री एवं भाषाध्यापकों का वनवास समाप्त होगा। हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् के प्रदेशाध्यक्ष डा. मनोज शैल संयुक्त समिति ने कहा कि शास्त्री एवं भाषाध्यापकों की लंबित मांग को पूरा करने की ऐतिहासिक घोषणा मुख्यमंत्री ने बजट भाषण में की है। शास्त्री एवं भाषाध्यापक एनसीटीई की अधिसूचना के अनुसार पात्र होते हुए भी इससे वंचित थे और लगातार इसके लिए वर्षों से निवेदन कर रहे थे।
एसएमसी शिक्षक : नहीं मिली नीति, नाखुश है शिक्षक :
बजट में एसएमसी शिक्षकों का मानदेय 1000 रुपये प्रतिमाह बढ़ाने की घोषणा की गई है। इनकी सेवाएं पहले की तरह जारी रखी जाएंगी। इन्हें नहीं हटाया जाएगा। 1000 रु की वृद्धि से ये शिक्षक भी पूर्णतः संतुष्ट नहीं दिखाई दे रहे। 2555 एसएमसी शिक्षकों को भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बजट से कई उम्मीदें थी। यह कर्मचारी यह आस लगाए बैठे थे कि वे एसएमसी शिक्षकों के लिए अनुबंध या नियमित नीति लाई जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बता दें कि शिक्षा विभाग में एसएमसी शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2012 में भाजपा की पिछली सरकार में हुई थी। ये नियुक्तियां वीरभद्र सरकार ने भी जारी रखी। 2017 में फिर भाजपा सरकार बनी और इसको चार साल पूरे हो चुके हैं पर अब तक इस सरकार में भी एसएमसी शिक्षकों के लिए कुछ खास नहीं हुआ, बस हर वर्ष इनके कार्यकाल को बढ़ा दिया जाता है।
कंप्यूटर शिक्षक नाखुश, 1000 रुपये वेतन वृद्धि ऊंट के मुँह में जीरा :
प्रदेश में तैनात कम्प्यूटर शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया था कि पंजाब सरकार के फार्मूले पर उनकी सेवाएं भी अब रेगुलर की जाए, क्योंकि उन्हें बहुत वर्ष आउटसोर्स पर सेवाएं देते हुए हो गए हैं। पंजाब सरकार ने सोसायटी बनाकर ऐसे शिक्षकों की सेवाएं सोसायटी में ही रेगुलर कर दी है परन्तु हिमाचल में ऐसा नहीं हो पाया। हालांकि इनके वेतन में 1000 रुपए की वृद्धि की गई है। प्रदेशभर के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा प्रदान कर रहे अध्यापकों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बजट को निराशाजनक बताया है। प्रदेश कंप्यूटर शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष रोशन मेहता, महासचिव राकेश शर्मा ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से स्थायी नीति की मांग की थी। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में सबसे शोषित वर्ग में कम्प्यूटर अध्यापक आते हैं। सरकार ने 1000 रुपए की घोषणा करके ऊंट के मुंह में जीरा के समान कार्य किया हैं।
पुरानी पेंशन : मिला सिर्फ समस्या सुलझाने का वादा
कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग पुरानी पेंशन पर बजट में तो कोई प्रवधान नहीं हुआ, मगर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदन में ओल्ड पेंशन स्कीम पर समस्या सुलझाने का वादा कर कर्मचारियों के ज़ख्मों पर मरहम लगाने का प्रयास किया है। उन्होंने सदन में कहा कि कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए आंदोलित हैं। वह कर्मचारियों की भावनाओं का सम्मान करते हैं। जो सुझाव आएंगे, उन पर विचार होगा। उन्होंने कर्मचारियों से बातचीत के लिए भी अपील की। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को आंदोलन का रास्ता छोड़कर बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए। उधर, पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन में एनपीएस कर्मचारी नेताओं सहित आधा दर्जन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चूका है। इतने बड़े प्रदर्शन के बावजूद मुख्यमंत्री कर्मचारियों से मिलने नहीं गए।
नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता : अधूरी रही मांग, हज़ारों कर्मचारी निराश
नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता की मांग करने वाले कर्मचारी इस बजट से निराश नजर आ रहे है। हर बार की तरह इस बार भी उनकी मांग अधूरी रह गई। बजट से पहले हिमाचल अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन ने मांग की थी कि सरकार भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अंतर्गत नियुक्त कर्मचारियों को नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता देने के वायदे को पूरा करे। संगठन ने कहा की भाजपा ने चुनाव से पूर्व अनुबंध नियमित कर्मचारियों से वरिष्ठता का जो वादा किया था, उसे चार साल बीत जाने पर भी पूरा नहीं किया है। उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष इस मांग को 50 से अधिक बार उठाया जा चुका है। मुख्यमंत्री खुद भी कह चुके हैं कि आपकी यह मांग जायज है। जेसीसी की बैठक में भी इस मांग पर कमेटी गठन की बात कही गयी, लेकिन उस पर भी कोई कमेटी नहीं बनी।
संगठन के पदाधिकारियों के अनुसार 2008 में पहली बार तत्कालीन भाजपा सरकार ने लोक सेवा आयोग,
अधीनस्थ चयन बोर्ड द्वारा भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अंतर्गत नियुक्त कर्मचारियों को अनुबंध आधार पर नियुक्त किया। निश्चित वैधानिक प्रक्रिया को पूरा करने के बाद भी कमीशन पास कर्मचारियों को प्रदेश के इतिहास का सबसे लंबा अनुबन्ध काल दिया गया। उसके बाद आई सरकार ने अनुबंध अवधि को कम किया लेकिन कर्मचारियों को नियुक्ति की तिथि से अपना कर्मचारी नहीं माना। सरकार कर्मचारी के सेवा की गणना उनके नियमितीकरण से कर रही है, ना कि उनकी प्रथम नियुक्ति से। यह लोकसेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा बोर्ड जैसी संवैधानिक संस्थाओं की मान्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाने जैसा है। कमीशन और बैच के आधार पर नियुक्त यह कर्मचारी सभी नियमों और सेवा शर्तों को पूरा करके नियुक्त हुए हैं। इसलिए इनकी सर्विस को प्रमोशन और अन्य सेवा लाभों के लिए नियुक्ति की तिथि से गिना जाए न कि नियमितीकरण की तिथि से। कर्मचारियों की ये मांग इस बजट में भी अधूरी ही रही।
अच्छी पहल : 500 चिकित्सकों के पद भरेगी सरकार
हिमाचल के स्वास्थ्य संस्थानों को सुदृढ़ करने के लिए चिकित्सा अधिकारियों के विशेषज्ञ काडर को बढ़ाने का फैसला लिया गया है। नए मेडिकल कॉलेज नाहन, चंबा, नेरचौक, और हमीरपुर में फैकल्टी और अन्य श्रेणियों के पद भरे जाएंगे। सीएम ने चिकित्सा अधिकारियों के 500 नए पदों को भरने की घोषणा की है। इससे प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधा तो सुधरेगी ही, साथ ही प्रदेश के मेडिकल संस्थानों से पास हुए डॉक्टरों को नौकरी भी मिल पाएगी। ये आम जनता की ही नहीं बल्कि प्रदेश के चिकित्सक संगठनों की भी मांग थी। फिलवक्त प्रदेश में करीब 2600 चिकित्सकों का काडर था, जो अब बढ़ा दिया गया है।
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इस बजट का मुख्य आकर्षण कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी रहा। सीएम ने करीब डेढ़ लाख कर्मियों, श्रमिकों, पैरा वर्करों आदि का मानदेय बढ़ाने की घोषणा की है।
-आउटसोर्स कर्मियों के वेतन में न्यूनतम 4,200 रुपये प्रतिमाह की बढ़ोतरी। प्रत्येक आउटसोर्स कर्मी को अब न्यूनतम 10,500 रुपये प्रतिमाह मिलेंगे।
-दिहाड़ीदारों को 50 रूपए की बढ़ोतरी के साथ अब 350 रूपए प्रतिदिन दिहाड़ी मिलेगी। पंचायत चौकीदार के लिए नीति भी जल्द आएगी।
-एसएमसी शिक्षकों के मानदेय में 1000 रूपए की बढ़ोतरी, यथावत रहेगी सेवाएं, बनेगी नीति।
-आईटी टीचर्स के मानदेय में 1000 रूपए की बढ़ोतरी।
पद बढ़ोतरी प्रतिमाह मानदेय
आशा वर्कर 1825 4700
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 1700 9000
मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 900 6100
आंगनबाड़ी सहायिका 900 4700
सिलाई अध्यापिका 900 7950
मिड डे मील वर्कर 900 3500
राजस्व नम्बरदार 900 3200
जल रक्षक 900 4500
वाटर कैरियर 900 3900
पैरा फिटर / पंप ऑपरेटर 900 5500
पंचायत चौकीदार 900 6500
राजस्व चौकीदार 900 5000
मल्टी पर्पस वर्कर 900 3900
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खुला नौकरियों का पिटारा
highlights
आशा कार्यकर्ता : 780 पद - गृहरक्षकों की होगी भर्ती - भरे जायेंगे चतुर्थ श्रेणी के पद
कर्मचारियों के साथ - साथ सरकार ने बजट में बेरोज़गारों का भला करने का प्रयास किया है। कुल 30 हजार पदों को भरने की बात कही गई है। स्वास्थ्य विभाग में विषेशज्ञ डॉक्टर, डॉक्टर, नर्सें, रेडियोग्राफर,ओटी सहायक, लैब तकनीशियन, डेंटल हाइजीनिस्ट, फार्मासिस्ट, एमआरआई तकनीशियन, ईसीजी तकनीशियन व अन्य तकनीशियनों के 500 से अधिक पद भरे जाएंगे। 780 आशा कार्यकर्ताओं के नए पद भरे जाएंगे। साथ ही 437 पद आशा फैसिलिटेटर व सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के 870 पद भी भरे जाएंगे। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत विभिन्न श्रेणियों के 264 पद भरे जाएंगे। हमीरपुर, नाहन, चंबा तथा नेरचौक में स्थित नए आयुर्विज्ञान महाविद्यालय में समुचित फैकल्टी व अन्य श्रेणियों के पद भरे जाएंगे। इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों में खाली फंक्शनल पदों को भी सरकार भरेगी। जलशक्ति विभाग में पैरा फिटर, पंप ऑपरेटर तथा मल्टी टास्क पार्ट टाइम वर्कर के पद भरे जाएंगे। इसमें शिक्षा विभाग में विभिन्न शिक्षकों की भर्ती, पुलिस आरक्षी भर्ती, बिजली बोर्ड के तकनीकी पद जैसे लाइनमैन, जूनियर टी मेट इत्यादि, एचआरटीसी में ड्राइवर तथा कंडक्टर इत्यादि की आवश्यक भर्तियां, राजस्व विभाग के कर्मी, पशुपालन विभाग के डॉक्टर व कर्मी, शहरी निकायों के लिए स्टाफ, पंचायत सचिव, पंचायतों के लिए तकनीकी सहायक और ग्राम रोजगार सहायक, विभिन्न विभागों में लिपिक, जेओए आईटी, तकनीकी शिक्षा विभाग में विभिन्न श्रेणियों के अध्यापक एवं
इंस्ट्रक्टर, रेशम विभाग के इंस्पेक्टर तथा विभिन्न विभागों में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के पद भी भरे जाएंगे । आगामी वर्ष में शिक्षा एवं लोक निर्माण विभाग में अंशकालीन मल्टी टास्क वर्करों की भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण किया जाएगा। गृह रक्षकों की आवश्यक भर्ती करने का भी सरकार ने निर्णय लिया है।