दो दिन की मास कैजुअल लीव पर पटवारी और कानूनगो

- आज और परसो नहीं बनेंगे हिमाचली प्रमाण पत्र सहित कई जरूरी सर्टिफिकेट
- जमीन की E-KYC प्रक्रिया भी होगी ठप
हिमाचल में राजस्व विभाग के कार्यरत सभी नायब तहसीलदार, कानूनगो, पटवारियों को स्टेट कैडर में डालने के अधिसूचना जारी होने से संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ ने सरकार के खिलाफ फिर से मोर्चा खोल दिया है। इस निर्णय से नाराज पटवारी और कानूनगो ने 25 और 27 फरवरी को दो दिन की मास कैजुअल लीव (सामूहिक अवकाश) पर जाने का निर्णय लिया है। प्रदेश में 2,828 पटवारी और कानूनगो कैजुअल लीव पर है। ऐसे में प्रदेश भर में आज और परसो लोगों के हिमाचली प्रमाण, आय प्रमाण पत्र, कृषक प्रमाण पत्र और ईडब्लूएस आदि प्रमाण पत्र नहीं बनेंगे। इन दो दिनों में लोगों की रजिस्ट्रियां, इंतकाल और लोन से संबंधित कार्य भी प्रभावित होंगे। साथ ही प्रदेश भर में चल रही ई केवाईसी की प्रक्रिया भी ठप होगी।
वहीं हिमाचल प्रदेश संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ के मुताबिक अगर दो दिनों में सरकार कोई उचित निर्णय नहीं लेती है तो 28 फरवरी से मुहाल के पटवारी और कानूनगो अनिश्चितकाल के लिए पेन डाउन स्ट्राइक पर चले जाएंगे।
स्टेट कैडर की अधिसूचना से खफा
हिमाचल में राजस्व विभाग के नायब तहसीलदार, पटवारी और कानूनगो अभी तक डिस्ट्रिक्ट कैडर के तहत आते थे। ऐसे में इस वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों के आरएंडपी रूल्स भी इसी आधार पर तय किए गए हैं, लेकिन सुक्खू सरकार ने डिस्ट्रिक्ट कैडर को समाप्त कर नायब तहसीलदारों, पटवारियों और कानूनगो को लेकर अब राज्य कैडर की अधिसूचना जारी कर दी है, जिससे हिमाचल प्रदेश संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ को प्रमोशन चैनल प्रभावित होने का अंदेशा है। ऐसे में महासंघ ने अब मास कैजुअल लीव पर जाने का फैसला लिया है।
पटवारियों और कानूनगो को स्टेट कैडर में डालने और मांगे न मानने से नाराज पटवारी और कानूनगो ने पिछली साल 15 जुलाई से ऑनलाइन सेवाएं देना बंद कर दिया था। इस दौरान पटवारी और कानूनगो विभिन्न मंचों के माध्यम से सरकार को स्टेट कैडर की अधिसूचना जारी न करने का अल्टीमेटम जारी किया था। वहीं, 15 अगस्त 2024 को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ बैठक के बाद राज्य पटवारी और कानूनगो संघ ने काम पर लौटने का निर्णय लिया था। इसके बाद महासंघ की राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा के साथ भी बैठक हुई, जिसमें महासंघ ने अपनी मुख्य आठ मांगें रखी थी, जिस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने मांगों के समाधान को लेकर बलवान कमेटी गठित की गई थी। ऐसे में महासंघ ने कमेटी के समक्ष अपनी मुख्य आठ मांगें रखी थी, जिसके बाद बलवान कमेटी ने सिफारिश सरकार की भेजी थी। ऐसे में महासंघ ने 20 अगस्त 2025 से ऑनलाइन सेवाएं देनी शुरू कर दी थी।
ये थी वो 8 मांगें
- पहली मांग कानूनगो का नायब तहसीलदारी कोटा 60 से बढ़ाकर 80 फीसदी किया जाना था।
- महासंघ ने कानूनगो एवं नायब तहसीलदार के भर्ती एवं पदोन्नति के नियमों में संशोधन करने और विभागीय परीक्षा को तर्कसंगत बनाने की मांग रखी थी।
- चार पटवार वृत्त पर एक कानूनगो वृत गठित करने और लैंड रिकार्ड मैनुअल के आधार पर पटवार वृत सृजित करने की मांग।
- महासंघ ने भू-व्यवस्था के कानूनगो की पदोन्नति बतौर नायब तहसीलदार भू-व्यवस्था में ही करने और भू-व्यवस्था विभाग में कैडर स्ट्रेंथ के आधार पर पदोन्नति अनुपात निर्धारित करने की भी डिमांड रखी थी।
- इसके अतिरिक्त प्रदेश के सभी पटवारखानों व कानूनगो भवन को रहने, कार्य करने, मूलभूत सुविधाओं सहित कंप्यूटर-प्रिंटर-हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्शन से जोड़े जाने की मांग को भी प्रमुखता से साथ रखा गया था।
- राजस्व विभाग के कानूनगो की एक वर्ष की बंदोबस्त ट्रेनिंग (जो कि पहले से हुई है) को दोबारा करवाने के आदेशों को रद्द करवाने की मांग की थी।
- प्रदेश में रिक्त पड़े कानूनगो के पदों को भरने के लिए सेवानिवृत्त कानूनगो को पुनर्नियुक्ति देने के बजाए योग्य पटवारियों को एकमुश्त छूट दिए जाने की भी सरकार से मांग की गई थी।
- पटवारी एवं कानूनगो की वेतन विसंगतियों को दूर करने और पटवारी एवं कानूनगो के वेतन व भत्तों में वृद्धि किए जाने की भी मांग थी।
संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष सतीश चौधरी का कहना है कि, बलवान कमेटी की सिफारिशों को माना जाना चाहिए था. मास कैजुअल लीव पर जाने के बाद भी अगर सरकार ने वार्ता को नहीं बुलाया तो 28 फरवरी से मुहाल पटवारी और कानूनगो पेन डाउन स्ट्राइक पर जाएंगे। उम्मीद है कि प्रदेश सरकार पेन डाउन स्ट्राइक की नौबत को नहीं आने देगी।