एमबीबीएस की पढ़ाई अधूरी रहने पर भी विद्यार्थियों को मिलेगी बड़ी सुविधा

हिमाचल में मेडिकल कॉलेजों में नई शिक्षा नीति को लागू करने की कवायद तेज हो गई है। प्रदेश के एकमात्र अटल मेडिकल एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय नेरचौक ने संबद्ध संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में नई शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने की कवायद तेज कर दी है। एनईपी लागू होने से एमबीबीएस की पढ़ाई अधूरी छोड़ चुके युवाओं को मायूस नहीं होना पड़ेगा। अगर कोई विद्यार्थी एक साल, दो साल या तीन साल बाद डिग्री अधूरी छोड़ता है तो उसे पहली साल के लिए सर्टिफिकेट, दो साल के लिए डिप्लोमा और तीन साल पूरे करने पर डिग्री दी जाएगी। नई व्यवस्था में मेडिकल कॉलेजों में कई प्रकार के कोर्स भी शुरू होंगे, जिससे मेडिकल क्षेत्र में युवाओं के लिए अवसर खुलेंगे।
नई व्यवस्था को तुरंत प्रभाव से लागू करने के लिए मेडिकल के वीसी ने समन्वयक भी नियुक्त कर दिए हैं। मल्टी कोर्स और मल्टी डोमेन शुरू करना मेडिकल विश्वविद्यालय के लिए चुनौती भरा रहने वाला है। इसके लिए विवि के परीक्षा नियंत्रक डॉ. प्रवीण कुमार शर्मा को एनईपी लागू करने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। परीक्षा नियंत्रक के अलावा विवि के सेक्शन ऑफिसर संजीव कुमार और स्टेनो टाइपिस्ट सुमित कुमार भी एनईपी लागू करने में सहयोग करेंगे। अटल मेडिकल एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय नेरचौक में छह मेडिकल कॉलेज, चार डेंटल कॉलेज, 47 नर्सिंग कॉलेज, चार आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और एक होमोपैथिक मेडिकल कॉलेज है। इसके अलावा कई अन्य निजी मेडिकल संस्थान भी मेडिकल विवि के अधीन हैं। अटल मेडिकल एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय नेरचौक के रजिस्ट्रार अमर सिंह नेगी ने बताया कि विवि यूजीसी के आदेशों का पालन करते हुए नई शिक्षा नीति को लागू करने जा रहा है।आने वाले समय में इससे मेडिकल क्षेत्र में युवाओं को बहुत से लाभ मिलेंगे।