देहरा :पराशर दंपति ने मुंबई में तबीयत बिगड़ने पर की थी चौली गांव की पूजा की मदद

देहरा: कोरोनाकाल में एक योद्धा की तरह डटे समाजसेवी, नेशनल शिपिंग बोर्ड के सदस्य और वीआर मेरीटाइम कंपनी के प्रबंध निदेशक कैप्टन संजय पराशर का मावनीय चेहरा एक बार फिर तब सामने आया, जब चौली पंचायत के बसालग गांव के दौरे के दौरान एक युवती उन्हें देखकर भावुक हाे गई। गांव की यवुती पूजा देवी की संजय व उनकी पत्नी सोनिका पराशर से मुलाकात तीन वर्ष पहले हुई थी। देवी ने बताया कि पराशर के मानवता के परिचय की गवाह वह वर्ष 2018 में रह चुकी है। अपने गांव में पराशर को देखकर युवती व स्वजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दरअसल चौली पंचायत की पूजा केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, बलाहर (गरली) की छात्रा थी और 2 मार्च 2018 को वह 12 विश्वविद्यालयों की राष्ट्रीय स्तर की खेलकूद प्रतियोगिता में अन्य पचास विद्यार्थयों के साथ भाग लेने मुंबई गई थी। रास्ते में ही उसकी तबीयत बिगड़नी शुरू हो गई और जब वह आयोजन स्थल तक पहुंची तो उसका शरीर खांसी, जुकाम व बुखार से बुरी तरह से जकड़ चुका था। जब दवाई देने के बाद भी पूजा के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ तो टीम के साथ गए में कंप्यूटर शिक्षक अमित वालिया ने कॉलेज सहपाठी सोनिका पराशर, जाेकि तब मुंबई में ही रहती थीं, से संपर्क साधा। सोनिका और संजय कुछ ही देर में वहां पहुंचे और स्थानीय अस्पताल में युवती का इलाज करवाया। पूजा ने बताया कि पराशर दंपति ने उसे बेटी की तरह प्यार दिया अौर लगातार नौ दिन तक अपने घर से खाना बनाकर उस तक पहुंचाते रहे। इतना ही नहीं दोनों ने उसका आत्मविश्वास भी बढ़ाया और इस वजह से उसने अपनी टीम के पांचों मैच खेले और खिताब पर भी कब्जा किया। कहा कि वह इस मदद को आजीवन याद रखेगी क्योंकि अनजाने शहर में सहायता के लिए पराशर दंपति की तरह कौन आगे आता है। वहीं, शिक्षक अमित वालिया ने बताया कि सोनिका व संजय ने समय पर पहुंचकर छात्रा पूजा का इलाज करवाया और टीम सदस्यों की भी हर संभव सहायता की।
रेफरी के निर्णय का विरोध दर्ज करवाया था पराशर ने-
चैंपियन टीम की सदस्य रही पूजा बताती हैं कि तब उनकी टीम चार मैच जीत चुकी थी और फाइनल मुकाबला चल रहा था। इस दौरान रेफरी ने गलत निर्णय लेकर विरोधी टीम को अंक दे दिए। संजय पराशर जोकि खो-खो के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं और उसी वक्त आयोजकों के समक्ष दर्ज विरोध दर्ज करवाया। इसका असर यह हुआ कि रेफरी को अपना ही फैसला बदलना पड़ा। आखिर में हिमाचल की टीम कर्नाटक को पटकनी देकर विजेता बन गई।