सोलन : पाइनग्रोव स्कूल द्वारा माउंट एवरेस्ट पर्वतारोहण
पाइनग्रोव स्कूल के परिसर में भव्य एवं अनेकानेक अन्तरंग खेल सुविधाओं से परिपूर्ण ‘विंग कमांडर एस एस ज्ञानी स्मारक खेल केंद्र’ बनकर तैयार है, जिसका विधिवत उदघाटन रविवार 25-09-2022 को प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण एवम् आयुष मंत्री डॉ राजीव सहजल की उपस्थिति में किया गया। इस सुअवसर पर पाइनग्रोव स्कूल द्वारा एक और दुर्लभ उपलब्धी की ओर कदम बढ़ाया गया है। विद्यालय के 24 विद्यार्थियों, जिनमें 16 लड़के एवं 8 लड़कियाँ हैं तथा 2 अध्यापिकाओं क्रमशः मिस रोज़ामान, मिस वेणी नेगी तथा स्कूल एडमिनिस्ट्रेटर लेफ्टिनेंट कमांडर अभिषेक राणा सहित कुल 27 सदस्यों का एक ‘एवरेस्ट आरोहण पर्वतीय दल’ माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप को आरोहित करने के लिए 25-09-2022 की सुबह विद्यालय के कार्यकारी निदेशक केप्टन ए जे सिंह द्वारा ‘फ्लैग ऑफ’ के अगले क्षण कूच कर गया। इस अवसर पर विद्यालय की स्पेशल एजुकेटर मिस श्रिया,प्रधानाचार्य संजय चौहान, हैड एलीमेंट्री डॉ किरण अत्री, हैड ऑफ़ कल्चरल अफेयर्स विशाल गौरी एवं हैड ऑफ़ पेस्टोरल केयर सुनील वर्मा भी उपस्थित रहे। विदित रहे कि इससे पहले भी पाइनग्रोव स्कूल के विद्यार्थियों का एक दल दक्षिणी अफ्रीका के सर्वोच्च शिखर ‘किलिमंजारो’पर चढ़ाई कर चुका है। माउंट एवरेस्ट पर्वतारोहण के पहले दिन यह ‘एवरेस्ट आरोहण पर्वतीय दल’ पाइनग्रोव स्कूल से दिल्ली एवं दिल्ली से काठमांडू के लिए उड़ान भरेगा। काठमांडू में ‘एडवेंचर पल्स’ की ओर से स्वागत किया जाएगा एवं थमेल में स्थित हवाई अड्डे के होटल में आगे की यात्रा का ब्यौरा दिया जाएगा। ‘एवरेस्ट आरोहण पर्वतीय दल’ दूसरे दिन रमैचैप पहुँचकर लुक्ला के लिए उड़ान भरेगा। लुक्ला का तेनजिंग हिलेरी हवाई अड्डा दुनिया की सबसे चुनौतिपूर्ण हवाई पट्टियों में से एक है। लुक्ला से फाक्डिंग के लिए लगभग तीन घंटों के सुन्दर पैदल ट्रैक भी इसी दिन तय किया जाएगा। तीसरे दिन फाक्डिंग से खूबसूरत दूधकोसी नदी, नक्काशीदार मणि पत्थर, सागरमाथा राष्ट्रीय उद्यान , रंगीन बौद्ध प्रार्थना झंडों के मध्य होते हुए नामचे का ट्रैक तय किया जाएगा। चौथे दिन नामचे से थम्सेरकू और कोंग्डेरी की बर्फ से ढकी पहाड़ियों से होते हुए सिनागबोचे की ओर कूच किया जाएगा जो कि 3800 मीटर पर स्थित है। समुद्र तल से इतनी उंचाई पर यह पहली रात होगी जहाँ हवा में कम ऑक्सीजन का आदि होने के लिए सार्वभौमिक स्वीकृत तरीका अर्थात ‘ऊँचा चढ़ना और कम सोना’ का अभ्यास प्रारम्भ किया जाएगा। यहाँ के सुप्रसिद्ध शेरपा सांस्कृतिक संग्रहालय का दौरा भी किया जाएगा। पाँचवे दिन का ट्रैक फुकीथांगा नदी के किनारे से विस्तृत रोडोडेड्रोन जंगलों से होते हुए, बर्फ से ढके पर्वतों को दिनभर निहारते हुए एवरेस्ट के करीब होने का एहसास दिलाता है। इस ट्रैक के मध्य खुम्बू क्षेत्र के सबसे प्राचीन एवं पवित्र ‘तेंगबोचे मठ’ में प्रार्थनाओं में भाग लेकर भिक्षुओं एवं लामाओं का आशीर्वाद लेने का सौभाग्य प्राप्त होता है। छठे दिन इम्जाकोहल नदी एवं इसके विस्तार में फैले विशाल पहाड़ी ढलानों से होते हुए 4252 मीटर पर स्थित डिंगबोचे गाँव तक का ट्रैक तय किया जाएगा। सातवें दिन दुनिया के चौथे सबसे ऊँचे पर्वत ‘बिंदु लोहत्से’ तथा दुनिया के पाँचवे सबसे ऊँचे पर्वत ‘मकालू’ होते हुए अम्दाबलम, द्वीप शिखर, बरुन्त्से, लोबुचे पूर्व और थमसेरकू तक का सफ़र तय करके हाई एल्टीटयूड मेडिसन पर एक घंटे का सत्र आयोजित किया जाएगा। आठवें दिन हल्की बर्फ एवं हिमनदों को पार करते हुए, अनेक सुप्रसिद्ध पर्वतारोहियों के स्मारकों को निहारते हुए 4930 मीटर की उंचाई पर स्थित लोबुचे पहुँचेगे। यहाँ पहुँचकर पर्वतारोहियों को असीम उत्साह मिलता है क्योंकि वे अपने आप को बेस कैंप से मात्र एक दिन पीछे पाते हैं। नौवें दिन पाइनग्रोव स्कूल का यह ‘एवरेस्ट आरोहण पर्वतीय दल’ 5360 मीटर की समुद्र तल से ऊँचाई अर्थात बेस कैंप पर पहुँचेगाऔर अपनी सफलता को कैमरे में कैद करके, जश्न मनाकर नाश्ते हेतु गोरक्षप तक लौटेगा। इसके पश्चात अगले दिन उन सभी पूर्व वर्णित पहाड़ों, नदियों के तटों, पगडंडियों, ग्लेशियरों से होते हुए वापस आने का दौर शुरू होगा। इसी क्रम में फेरीच, नामचे, लुक्ला, काठमांडू, दिल्ली होते हुए लगभग पन्द्रहवें दिन यह दल गौरवमयी मुस्कान के साथ, एवरेस्ट पर पाइनग्रोव स्कूल का झंडा लहराकर वापस पहुँचेंगे।