सिरमौर : चोरी-छिपे लाया जा रहे बेसहारा पशुओं काे पुलिस ने पकड़ा
कपिल शर्मा। सिरमाैर
बेसहारा पशुओं से भरा कैंटर चोरी छिपे लाया जा रहा था नौहराधार, ग्रामीणों ने पुलिस की मदद से पकड़वाया, नौहराधार के जंगलों में थी पशुओं को छोड़ने की योजना, पुलिस व स्थानीय लोगों ने वापस भेजा पशुओं से भरा केंटर सर्दियों का मौसम शुरू होते ही नौहराधार व हरिपुरधार में पशुओं का जमावड़ा शुरू हो जाता है। सर्दियों के मौसम में चारे की कमी के कारण आसपास के गांवों से लोग आवारा पशुओं को जंगल में छोड़ देते है। यूं तो ग्रामीणों द्वारा अपने पशुओं को आवारा छोड़ने से लोग पहले ही परेशान है, मगर जब सोमवार को सोलन जिला के चायल से आवारा पशुओं से भरा एक केंटर नौहराधार पहुंचा, तो लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। लोगों ने पशुओं से भरे केंटर को रोक दिया और इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी गई। केंटर में करीब एक दर्जन आवारा पशुओं को ठूंस कर नौहराधार लाया गया था। हैरान करने वाली बात यह थी कि सभी पशुओं के कान में टैग भी लगे हुए थे।
ग्रामीणों ने चालक से जब पूछा कि इतने पशुओं को कहां लेकर जा रहे, हो तो तुरंत चालक ने केंटर में बैठे व्यक्ति की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इन पशुओं को यह व्यक्ति संगडाह ले जा रहा है। इन्होंने सारे पशु चायल में पशुपालको से खरीदे हैं। पुलिस ने सबसे पहले गाड़ी के दस्तावेज चेक किए, उसके बाद पशुओं के बारे में चालक से गहनता से पूछताछ शुरू की। पूछताछ में चालक ने कबूल किया कि सारे बेसहारा पशुओं को चायल से लाया गया है और इन्हें नौहराघार के जंगल में छोड़ने की योजना थी। पुलिस ने चालक से दस्तावेज की कापी लेकर आवारा पशुओं को वापस चायल भेज दिया। पुलिस ने सख्त हिदायत देकर कहा कि यह पशु जिन लोगों से लाए हैं, उन्ही को वापस सौंप दें। यदि यह पशु उनके मालिकों तक नहीं पहुंचाए, तो चालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। बता दें कि पहले भी गाड़ियों में बाहर से बेसहारा पशुओं को नौहराधार के जंगलों में छोड़ा गया है, जिससे इन बेसहारा पशुओं को खेतों में घुसने से रोकने के लिए किसानों को दिन-रात पहरा देना पड़ रहा है। दिन व रात्रि के समय में 25 से 30 की संख्या में पशुओं का झुंड खेतों में से गुजरता है।
दिन में सड़कों पर घूमते नजर आते हैं, जिससे चालकों को भी अपने वाहनों को गुरजने में दिक्क़ते पेश आती है। वहीं, रात को यह जानवर जिस भी खेत में घुस जाते हैं, वहां खड़ी फसल को रोंद कर नष्ट कर देते हैं, इन पशुओं को देखकर किसान लाठी लेकर बेसहारा पशुओं को बहुत दूर तक खदेड़ रहे हैं, मगर फिर भी दूसरे किसान इन्हें खेतों में आते देख वापस लौटा देते हैं। इस और न तो गाैशाला संचालकों का ध्यान है और न ही इस और सरकार कोई ठोस कदम उठा रही है। क्षेत्र में बर्फीबारी से व अत्यधिक ठंड से यह आवारा पशु जंगलों में सड़कों, खेतों में मर जाते हैं। क्योंकि बर्फ में पशु बाहर रह जाते हैं। किसान संजय सुरेंद्र, जितेंद्र व दिनेश आदि ने बताया कि रात को खेतों में बेसहारा पशुओं का झुंड आता है और खड़ी फसल को खराब कर पैरों से रोंद कर चला जाता है। इन्होंने सरकार व प्रसाशन से मांग की है कि इस बारे में कोई ठोस कदम उठाया जाए तथा ऐसे लोगों पर सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाए।