दिखा दमखम या दम 'कम' ...
दमखम या दम 'कम', अरविन्द केजरीवाल और भगवंत मान के मंडी में हुए रोड शो के बाद फिलवक्त ये बड़ा सवाल है। क्या आम आदमी पार्टी ने भरपूर दमखम दिखाया या दम की नुमाईश में कुछ गुंजाईश रह गई। इस सवाल के जवाब में कई के अरमान टिके है तो कई के भविष्य का ब्लूप्रिंट इससे तय होना है। ब्लॉकबस्टर, हिट या फ्लॉप.. हिमाचल के सियासी पटल पर आप की पहली पिक्चर का कलेक्शन कैसा रहा, ये अहम सवाल है जिसका जवाब सभी ढूंढ रहे है।
कहते है मंडी में सियासत कभी ठंडी नहीं होती, ये तो एक सत्य था ही मगर अब एक तथ्य ये भी है कि आम आदमी पार्टी की दस्तक के बाद से सियासी खिचड़ी में रोमांच का तड़का भी लग गया है, जिसका प्रभाव समूचे हिमाचल पर पड़ा। आप ने भाजपा कांग्रेस की धुकधुकी भी बढ़ाई और जनता के दिल तक पहुँचने की कोशिश भी की। हाथ में तिरंगा, सर पर आम आदमी पार्टी की टोपी और ज़बान पर इंकलाब ज़िंदाबाद के नारे लिए आप के समर्थक मंडी पहुंचे। आम आदमी पार्टी के रोड शो में एकत्रित जन सैलाब उम्मीद से ज़्यादा था मगर दावों से कम। हिमाचल की सियासत में आप की एंट्री ज़बरदस्त हुई मगर ये और बेहतर हो सकती थी।
उधर, जैसा अपेक्षित था विरोधयों की प्रतिक्रिया भी वैसे ही आई। वैसे तो कांग्रेस और भाजपा दोनों कभी एक सी बात करते नहीं, किन्तु आप की रैली को लेकर दोनों की प्रतिक्रिया एक जैसी रही, दोनों ने इस रैली को फ्लॉप शो करार दिया। हालांकि लोकतंत्र में कौन हिट है और कौन फ्लॉप, ये जनता तय करती है, नेता नहीं।
तो कुछ और बात होती ...
आप की एंट्री से हिमाचल की सियासत हाई ज़रूर हुई है मगर एक आध सियासी स्टंट और होते तो शायद बात कुछ और होती। कयास लगाए जा रहे थे कि रोड शो के दिन कांग्रेस और भाजपा के कुछ और बड़े चेहरे पार्टी में शामिल हो सकते है, और दोनों पार्टियां इस बात को लेकर चिंतित भी थी। पर ऐसा कुछ हुआ नहीं। पार्टी के पास अब भी कोई बड़ा चेहरा नहीं है। यूँ तो आप आम आदमी को ही अपना बड़ा चेहरा मानती है मगर बिना फेस के पार्टी के राह आसान नहीं होगी। अब तक जिन नेताओं ने आप का दामन थामा है उनमे कोई भी ऐसा नहीं दिखता जिसके चेहरे पर पार्टी आगामी चुनाव में उतर सके।
ये संगरूर नहीं है ...
समर्थकों को सम्बोधित करते हुए भीड़ देख कर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा की मुझे लोगों का हुजूम देख कर ये प्रतीत हो रहा है की मैं मंडी नहीं संगरूर में ये रोड शो कर रहा हूँ। पर आप को जल्द समझना होगा कि मंडी, संगरूर नहीं है और हिमाचल भी पंजाब या दिल्ली नहीं है। हिमाचल में लोकल फैक्टर काफी अहम है और आप को यहाँ बेहतर करना है तो पहले हिमाचल से कनेक्ट करना होगा। पार्टी सिर्फ दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री के चेहरे पर चुनाव नहीं जीत सकती, पार्टी में हिमाचल के बड़े चेहरों का होना बेहद ज़रूरी है।
