आप फैक्टर : नाई नाई, बाल कितने? जजमान, सामने आ जायेंगे
दलों के अहम-वहम उड़ गए और अब पार्टी हिमाचल में दो -दो हाथ करने को तैयार है। चर्चा आम है कि कई सियासी शूरवीर आम आदमी पार्टी के सम्पर्क में है। इनमें दोनों ही दलों के नेता शामिल है। खबर तो ये भी आ रही है कि एक मंत्री और कई विधायक भी आप से संपर्क में है, हालांकि अब तक ये सिर्फ कयास है। बात - मुलाकात हो भी रही होगी तो जाहिर है सार्वजानिक तौर पर तो होगी नहीं। बहरहाल, नेता -कार्यकर्ता इम्पोर्ट करके आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश में खूंटा गाड़ने का प्रयास जरूर कर रही है। विचारधार - सिद्धांत सब बाद में देखा जायेगा, फिलहाल तो सियासत हावी दिख रही है। माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। जिन्हें भाजपा -कांग्रेस में भविष्य नहीं दिख रहा वो भी आप की ओर दौड़ लगा रहे है, आखिर करियर का सवाल है। खुद विधायक नहीं बने तो जनता का भला कैसे करेंगे। वहीं शायद कुछ ऐसे भी होंगे जो विधायक बनकर जनता का भला नहीं कर पाएं सो अब सीधे मुख्यमंत्री बनकर जनसेवा करना चाहे। पर असल सवाल ये है कि क्या सच में आम आदमी पार्टी इस स्थिति में है कि हिमाचल में सरकार बना पाए।
जो लोग पंजाब के नतीजों के आधार पर हिमाचल का आकलन कर रहे है, उन्हें ये जहन में रखना होगा कि 2013 से आम आदमी पार्टी पंजाब में संघर्ष करती रही। दिल्ली के अलावा किसी अन्य राज्य में आप सम्मानजनक स्थिति में थी तो वो पंजाब था। पंजाब में रातों -रात कोई चमत्कार नहीं हुआ। दूसरा पंजाब में आप का मुख्य मुकाबला कांग्रेस से था, जो अंतर्कलह से ग्रसित थी। पर हिमाचल के मुकाबले में वो भाजपा भी है जो विजयरथ पर सवार भी है और अनुशासित भी। ऐसे में आप के लिए हालात मुश्किल होंगे। हालांकि गोवा और उत्तराखंड की तरह यहाँ भी पार्टी कांग्रेस का खेल जरूर ख़राब कर सकती है। शायद इरादा ही कांग्रेस को कमजोर कर 2027 में सत्ता हथियाने का हो। बहरहाल चुनाव में करीब सात माह का वक्त है और आप पर हर आम और खास की नजरें टिकी है। सियासत में समीकरण बदलते देर नहीं लगती। मुमकिन है 6 अप्रैल को मंडी में आप के शक्ति प्रदर्शन के बाद स्थिति और स्पष्ट हो। फिलवक्त इंतज़ार कीजिये, कौन आप का है, कौन आप का नहीं।
पंजाब में सरकार का प्रदर्शन होगा बड़ा फैक्टर :
पंजाब की भगवंत मान सरकार का प्रदर्शन भी हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बड़ा फैक्टर होगा। प्रदेश के कई निर्वाचन क्षेत्र पंजाब की सीमा पर है। कई क्षेत्रों में बोली-भाषा और रीति-रिवाज भी पंजाब जैसा है। वहीं हिमाचल में हुकूमत के कई निर्णय भी पंजाब की तर्ज पर लिए जाते है, मसलन कर्मचारियों का वेतनमान। ऐसे में यदि भगवंत मान सरकार का जादू पंजाब में चला तो असर हिमाचल में भी दिखेगा। पर यदि पंजाब सरकार अपेक्षाओं पर खरी नहीं उत्तरी तो पार्टी को खामियाजा हिमाचल में भुगतना पड़ सकता है।
