कैप्टेन जयराम ठाकुर यथावत, पर प्लेइंग इलेवन में बदलाव मुमकिन
बीते दिनों सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को बदलने को लेकर खूब कयास लगते रहे, विशेषकर मुख्यमंत्री के दिल्ली प्रवास के दौरान। पर मुख्यमंत्री ताव- तेवर सहित लौटे और सबकी बोलती बंद हो गई। अब कम से कम उपचुनाव तक तो विरोधी भी खामोश है, और यदि नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे तो मान सकते है कि ख़ामोशी बरकरार ही रहेगी। बहरहाल मुख्यमंत्री तो है पर उनकी प्लेइंग इलेवन को लेकर जरूर चर्चा हो रही है। अब जयराम कैबिनेट के मेक ओवर को लेकर कयासों का बाजार गर्म है। कहा जा रहा है कि टीम जयराम के 11 में से कुछ नॉन परफार्मिंग मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है, कुछ के महकमे बदल सकते है, तो कुछ को बेलगाम होने का खामियाजा भुगतना पड़ा सकता है। मुख्यमंत्री के खासमखास सिपहसालार भी इस फेहरिस्त में शामिल बताए जा रहे है। एंटी इंकम्बेंसी साधने के लिहाज से पार्टी कैबिनेट के मेकओवर की रणनीति पर अमल कर सकती है।
कैबिनेट फेरबदल की सुगबुगाहट के बीच कैबिनेट में शामिल कई नेताओं के विरोधी भी प्रो एक्टिव है। एक गुट विशेष के निशाने पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल दिख रहे है। कहा जा रहा है की या तो डॉक्टर साहब की छुट्टी होगी या कैबिनेट में उनका वजन घटेगा। पर देश भर में वैक्सीन में अव्वल हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री को बदले जाना तर्कसंगत नहीं लगता। दूसरा मुख्यमंत्री की तरह ही डॉ राजीव सैजल भी स्वच्छ छवि वाले नेता भी है और स्वभाव से सरल भी। तीसरा पांच विधानसभा सीट वाले जिला सोलन से डॉ सैजल इकलौते मंत्री है और अनुसूचित जाती से भी आते है।
जयराम कैबिनेट में सीएम के बाद सबसे मजबूत माने जाने वाले महेंद्र सिंह ठाकुर को बदलने को लेकर भी कयास है। दरअसल बीते कुछ समय में महेंद्र सिंह के कुछ बयानों ने पार्टी की मुश्किलें निसंदेह बढ़ाई है। पर महेंद्र सिंह परफार्मिंग भी है और अन्य कुछ मंत्रियों से इतर मजबूत भी। जाहिर है ऐसे में उन्हें हटाना भी आसान नहीं है। हाँ यदि पार्टी उन्हें मंडी लोकसभा उपचुनाव में उतारती है तो इस बहाने जरूर कैबिनेट से उनकी एग्जिट हो सकती है। इसी तरह सरवीन चौधरी के नाम को लेकर भी चर्चा जरूर है पर सरवीन कैबिनेट में इकलौती महिला है। साथ ही सरवीन ओबीसी वर्ग से भी आती है।
2020 में हुए कैबिनेट विस्तार में पार्टी ने राजेंद्र गर्ग और सुखराम चौधरी को मंत्री बनाया था। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आशीर्वाद से पहली बार विधानसभा पहुंचे घुमारवीं विधायक गर्ग खाद्य आपूर्ति मंत्री तो बन गए पर अब तक अधिक प्रभावशाली नहीं दिखे है। हालांकि गर्ग के खिलाफ भी कोई मुद्दा नहीं दिखता। वहीँ पौंटा साहिब से विधायक सुखराम चौधरी ऊर्जा मंत्रालय मिलने के बावजूद निकाय और पंचायत चुनाव में पार्टी को अधिक ऊर्जा नहीं दे पाए थे। विरोधी उनके स्थान पर डॉ राजीव बिंदल की एंट्री का राग जरूर गा रहे है, पर बिंदल का अतीत इसमें आड़े आ सकता है। यदि मंत्रिमंडल में फेरबदल होता है तो इन दोनों नेताओं पर भी नज़र रहेगी।
