क्या चुराह से फिर विधानसभा की राह पकड़ेंगे हंसराज ?
** चुराह सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला, कुछ भी मुमकिन
** यशवंत खन्ना ने दमदार तरीके से लड़ा है चुनाव
दो बार चुराह से विधानसभा की राह पकड़ने वाले हंसराज क्या तीसरी बार विधानसभा पहुंच पाएंगे ? ये बढ़ा सवाल है। अक्सर चर्चा में रहने वाले विधानसभा उपाध्यक्ष और चुराह के सिटींग विधायक हंसराज को यहां से भाजपा ने एक बार फिर मैदान में तो उतार दिया, पर चुराह उन सीटों में से एक हो सकती है जहां इस बार बड़े चेहरे धराशाई हो सकते है। हालांकि यहां के क्षेत्रीय और जातीय समीकरण के लिहाज से हंसराज की जमीनी पकड़ को लेकर कोई संशय नहीं है, लेकिन यदि प्रदेश में सत्ता बदलाव के लिए मतदान हुआ है तो हंसराज भी इस लहर की चपेट में आ सकते है।
परिसीमन बदलने से पहले चुराह विधानसभा सीट राजनगर के नाम से जानी जाती थी। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों को जनता ने बराबर का प्यार दिया है। ये वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री विद्याधर की सीट रही है और वे तीन बार यहां से विधायक रहे। उनके बाद उनके पुत्र सुरेंद्र भारद्वाज यहां से 2003 और 2007 में विधायक रहे। फिर परिसीमन बदलने के बाद राजनगर सीट का नाम हुआ चुराह और 2012 में हंसराज पहली दफा यहाँ मैदान में उतरे और जीते भी। 2017 में भी हंसराज ने ही रिपीट किया। दोनों मौकों पर उन्होंने सुरेंद्र भारद्वाज को हराया। इस बार हंसराज तीसरी बार भाजपा मैदान में है।
उधर दो बार हार का मुँह देखने के बाद इस बार कांग्रेस ने यहां से चेहरा बदल दिया। इस बार कांग्रेस ने एक नए चेहरे यशवंत सिंह खन्ना को मैदान में उतारा है। यशवंत को सीटिंग विधायक के खिलाफ एंटी इंकम्बैंसी और ओपीएस जैसे मुद्दों से तो आशा है ही, लेकिन साथ ही उन्होंने चुनाव भी बेहद मजबूती से लड़ा है। निसंदेह इस बार चुराह में हंसराज की राह आसान नहीं होने जा रही। इस सीट पर बेहद कड़ा मुकाबला है और नतीजे आने का इंतज़ार जारी है।