बड़ा सवाल : क्या 'आप' में गलेगी दाल ?
( words)
- गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि वालों को तवज्जो देती आ रही है आप
- दल बदलने वाले नेताओं के क्या पूरे होंगे अरमान ?
जिन्हें पता है कि कांग्रेस और भाजपा में दाल नहीं गलने वाली वो अब आप का रुख कर रहे है। पर सवाल ये है कि क्या आम आदमी पार्टी में इन नेताओं की दाल गलेगी। हिमाचल में अब तक जो नेता आप में गए है उनमें कांग्रेसी अधिक है, और अधिकांश ऐसे है जो विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक है। कोई पौंटा साहिब का विधायक बनना चाहता है, तो कोई फतेहपुर, नालागढ़ या अन्य किसी क्षेत्र का। इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि कांग्रेस में इन्हें टिकट मिलने की सम्भावना न के बराबर थी, सो इन्होंने मौके की नजाकत को समझते हुए आप का रुख कर लिया। ऐसा नहीं है कि भाजपा को खतरा न हो, भाजपा के भी कई नेता आप के संपर्क में बताये जा रहे है। विधायक बनने कि चाह में आगामी कुछ दिनों में कई भाजपा नेता भी आप में शामिल होते दिख सकते है। पर यक्ष प्रश्न ये है कि क्या दल बदलने वाले इन नेताओं को आप का टिकट मिलेगा ? यदि आप के दिल्ली और पंजाब मॉडल का विश्लेषण किया जाएँ तो पार्टी ने हमेशा गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि से आए लोगों को तवज्जो दी है। ऐसे में क्या आम आदमी पार्टी हिमाचल में आम आदमी पर दल बदलकर आएं नेताओं को तवज्जो देगी, ये फिलवक्त बड़ा सवाल है।
- दल बदलने वाले नेताओं के क्या पूरे होंगे अरमान ?
जिन्हें पता है कि कांग्रेस और भाजपा में दाल नहीं गलने वाली वो अब आप का रुख कर रहे है। पर सवाल ये है कि क्या आम आदमी पार्टी में इन नेताओं की दाल गलेगी। हिमाचल में अब तक जो नेता आप में गए है उनमें कांग्रेसी अधिक है, और अधिकांश ऐसे है जो विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक है। कोई पौंटा साहिब का विधायक बनना चाहता है, तो कोई फतेहपुर, नालागढ़ या अन्य किसी क्षेत्र का। इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि कांग्रेस में इन्हें टिकट मिलने की सम्भावना न के बराबर थी, सो इन्होंने मौके की नजाकत को समझते हुए आप का रुख कर लिया। ऐसा नहीं है कि भाजपा को खतरा न हो, भाजपा के भी कई नेता आप के संपर्क में बताये जा रहे है। विधायक बनने कि चाह में आगामी कुछ दिनों में कई भाजपा नेता भी आप में शामिल होते दिख सकते है। पर यक्ष प्रश्न ये है कि क्या दल बदलने वाले इन नेताओं को आप का टिकट मिलेगा ? यदि आप के दिल्ली और पंजाब मॉडल का विश्लेषण किया जाएँ तो पार्टी ने हमेशा गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि से आए लोगों को तवज्जो दी है। ऐसे में क्या आम आदमी पार्टी हिमाचल में आम आदमी पर दल बदलकर आएं नेताओं को तवज्जो देगी, ये फिलवक्त बड़ा सवाल है।
जानकार मानते है कि आम आदमी पार्टी वाकिफ है कि हिमाचल में आगामी विधानसभा चुनाव में कोई चमत्कार नहीं होगा, यहाँ पार्टी की कोशिश सिर्फ पाँव मजबूत करने की होगी। पार्टी के पास न जमीनी संगठन है और न चेहरा, ऐसे में रातों -रात सिर्फ पार्टी अपनी मौजूदगी दर्ज करवा सकती है। ऐसे में मुमकिन है दल बदलने वाले कई नेताओं के टिकट का अरमान इस बार पूरा हो जाएं।
सावधान कांग्रेस : कहीं खेल न बिगाड़ दे आप !
उधर आम आदमी पार्टी ने निश्चित तौर पर कांग्रेस की धड़कन बढ़ा दी है। 1990 से अब तक हर चुनाव में हिमाचल में बदलाव के लिए वोट होता आ रहा है और यदि ये वोट विभाजित होता है तो कांग्रेस का नुकसान तय है। भले ही कांग्रेस आप फैक्टर को नकार रही हो लेकिन गोवा और उत्तराखण्ड में आप व अन्य दलों ने कांग्रेस का खूब खेल बिगाड़ा है। गोवा में भाजपा और कांग्रेस गठबंधन के बीच आठ प्रतिशत वोट का अंतर रहा है। गोवा में आप ने 6 . 8 प्रतिशत और तृणमूल कांग्रेस ने 5 .2 प्रतिशत वोट हासिल किये, जो कांग्रेस की हार का बड़ा कारण बना। इसी तरह उत्तराखण्ड में कांग्रेस और भाजपा के बीच करीब साढ़े छ प्रतिशत वोट का अंतर रहा, जबकि बहुजन समाज पार्टी और आप ने मिलकर करीब आठ प्रतिशत वोट हासिल किये है। ऐसे में यदि आप हिमाचल में सात विरोधी वोट बाँट लेती है तो कांग्रेस का सत्ता वापसी का ख्वाब अधूरा रह सकता है।
