#बामुलाहिजा : अब कांग्रेस के मुँह में दही क्यों जम गया ?

दोगलापन : विजय शाह और जगदीश देवड़ा पर हमलावर, रामगोपाल पर चुप्पी !
भाजपा से भी सवाल : कोर्ट ने मंत्री को लताड़ दिया, पार्टी भी कुछ कहेगी ?
मध्य प्रदेश के बदजुबान मंत्री विजय शाह और अब डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा के सेना पर विवादित ब्यान को लेकर जो कांग्रेस लगातार बीजेपी पर हमलावर है, उसी कांग्रेस को रामगोपाल यादव का ब्यान शायद दिखाई नहीं दिया। या सपा नेता ने सैनिकों की जाति को लेकर जो कहा वो कांग्रेस को शायद गलत ही न लगता हो ! अगर ऐसा नहीं है तो फिर कांग्रेस को सांप क्यों सूंघ गया ? कारण सबको पता है, दरअसल सियासत की फितरत ही दोगली है और ये फितरत ही कांग्रेस के इस दोगलेपन का कारण है। सपा के बगैर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का गुजारा नहीं है, और शायद इसलिए कांग्रेस के मुँह में दही जमा है। बड़े नेताओं के ब्यान तो छोड़िये, कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर भी इसकी निंदा नहीं की।
कांग्रेस के मुख्य फेसबुक पेज पर करीब 70 लाख जुड़े है, और बीते कुछ वक्त से कांग्रेस हर मुद्दे पर अपन स्टैंड यहाँ स्पष्ट करती है। मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह ने 12 मई को महू के रायकुंडा गांव में आयोजित सार्वजनिक समारोह में कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया था। इसके बाद कांग्रेस ने भाजपा पर जोरदार हमला बोला। पार्टी के फेसबुक पेज पर भी इसे लेकर कई पोस्टें हुई। पर 15 मई को जब रामगोपाल यादव ने वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह पर जातिसूचक टिप्पणी कर दी, तब कांग्रेस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इस बीच मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने प्रधानमंत्री की शान में कसीदे पढ़ते पढ़ते फिर सेना को लेकर विवादित ब्यान दे दिया। जिस कांग्रेस को कल सांप सूंघ गया था आज उसने तुरंत इस पर हाला बोल दिया। नेता भी एक्टिव हो गए और सोशल मीडिया टीम भी।
बहरहाल सवाल ये ही है कि अगर कांग्रेस राजनीति से ज्यादा सेना के सम्मान की लड़ाई लड़ रही है, तो बदजुबानी भाजपा के नेता करें या उसके किसी सहयोगी दल के नेता, ये अंतर क्यों ?
सवाल भाजपा से भी है। उनके जिस नेता को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ लगा दी , उसके ब्यान को शर्मनाक बताया, उस नेता के खिलाफ अब तक भाजपा ने क्या किया ? क्या उसके खिलाफ कोई एक्शन होगा ? और कब होगा ? अगर रामगोपाल यादव का ब्यान अस्वीकार्य है, तो उनके अपने नेताओं के ब्यान का शर्मनाक नहीं है ? या सियासत में शर्म का स्थान ही नहीं बचा !