हाल ए कांग्रेस : अध्यक्ष बदलेगा या नहीं, असमंजस !
चर्चा तो खूब हुई लेकिन कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम का पर्चा नहीं निकला। बात दरअसल ये है कि कांग्रेस आलाकमान पंजाब में हुई दुर्गति के बाद जल्दबाजी में कोई निर्णय लेना नहीं चाहता। इधर हिमाचल कांग्रेस में असमंजस की स्थिति है। प्रदेश अध्यक्ष आज बदलेगा, कल बदलेगा, चार दिन में बदलेगा या नहीं बदलेगा, जितने मुँह उतनी बात। क्या नेता और क्या कार्यकर्ता, सब के सब असमंजस में है। कई नेताओं के निष्ठावान अपने आका के प्रमोशन के इन्तजार में है, तो उधर वर्तमान अध्यक्ष कुलदीप राठौर भी आश्वस्त दिख रहे है। जानकार मान रहे है कि ये स्थिति कांग्रेस के लिए अच्छी नहीं है और बेहतर ये होगा कि पार्टी आलाकमान कुछ तो फरमान दे। अलबत्ता कम से कम ये तो स्पष्ट हो कि बदलाव होगा भी या नहीं।
ग्राउंड रिपोर्ट की बात करें तो पूर्व अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के समर्थक तो आशावान है ही, होलीलॉज के निष्ठावान भी प्रतिभा सिंह के नाम को आगे बढ़ा रहे है। सुक्खू निसंदेह ऐसे नेता है जिनके समर्थक हर निर्वाचन क्षेत्र में है और बतौर अध्यक्ष काम करने का उनका अनुभव भी उनक दावा मजबूत करता है। पर होलीलॉज ( वीरभद्र परिवार ) उनके नाम पर सहमत हो, ये मुश्किल लगता है। उपचुनाव में होलीलॉज का तिलिस्म सबने देखा है और ऐसे में आलाकमान को संतुलन सुनिश्चित करना होगा। उधर, प्रतिभा सिंह के नाम पर भी कई नेताओं को आपत्ति होगी, सो ये निर्णय भी आलाकमान के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। वहीँ मुकेश अग्निहोत्री होलीलॉज के करीबी भी है और काफी हद तक संतुलन साध कर भी चल रहे है। पर उन्हें नेता प्रतिपक्ष के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस की सरदारी भी मिले, ये भी होता नहीं दिखता। ऐसे में माहिर मान रहे है कि यदि बदलाव हुआ तो संभवतः सुक्खू को नेता प्रतिपक्ष का ताज देकर अग्निहोत्री को प्रदेश की कमान दी जा सकती है।
क्या इस फॉर्मूले पर आगे बढ़ेगी कांग्रेस ?
नगर निगम चुनाव में कॉंग्रेस्स का प्रदर्शन ठीक ठाक रहा था और उपचुनाव में तो कांग्रेस ने क्लीप स्वीप कर दिया। बावजूद इसके क्या राठौर को हटाया जाना चाहिए, ये बड़ा सवाल है। दरअसल प्रदेश अध्यक्ष होने के बावजूद जमीनी स्तर पर राठौर की मजबूत पकड़ नहीं दिखती। पर राठौर का किसी गुट में न होना उनके पक्ष में जाता है। ऐसे में मुमकिन है कांग्रेस राठौर को न बदला जाएँ, बल्कि कांग्रेस संसदीय क्षेत्रवार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने के फार्मूला पर आगे बढ़े।
