हर्ष महाजन के दल बदलने से किसको नफा और किसको नुकसान ?

इतिहास तस्दीक करता है कि प्रदेश में जिसकी सरकार बनती है वो ही पार्टी चंबा में भी बाजी मारती है। आंकड़ों पर निगाह डाले तो भाजपा के अस्तित्व में आने के बाद 1982 से 2017 तक हिमाचल प्रदेश में 9 विधानसभा चुनाव हुए है। इनमें से आठ बार प्रदेश में उसी दल या गठबंधन की सरकार बनी है जिसने जिला चंबा में बढ़त हासिल की है। सिर्फ 2012 का विधानसभा चुनाव अपवाद है, जब भाजपा ने चंबा में तीन सीटें जीती लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। पिछले चुनाव की बात करे तो भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चार सीटें जीती थी, जबकि केवल एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली।
इस बार जिला चम्बा के नतीजों पर सबकी निगाह रहने वाली है और इसके दो विशेष कारण है, पहला हर्ष महाजन और दूसरा कारण आशा कुमारी। वीरभद्र सिंह के करीबी रहे हर्ष महाजन की कुछ माह पूर्व ही बतौर प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष ताजपोशी हुई थी। पर किसी को भनक भी नहीं लगी और महाजन कांग्रेस के लिए रणनीति बनाते बनाते अचानक भाजपाई हो गए। उनका प्रभाव पुरे ज़िले में माना जाता है। ऐसे में उनके दल बदलने से किसको कितना नफा नुकसान होता है, ये देखना रोचक होगा। वहीं डलहौजी से कांग्रेस उम्मीदवार आशा कुमारी कांग्रेस सरकार आने की स्थिति में सीएम पद की दावेदार हो सकती है, इसके चलते भी चम्बा पर निगाह रहने वाली है।
इस बार ये चेहरे मैदान में :
वर्तमान चुनाव की बात करें तो इस बार चम्बा जिला में चार सीटिंग विधायकों में भाजपा ने दो के टिकट काटे है। भाजपा ने तीन पुराने उम्मीदवार मैदान में उतारे है। जबकि कांग्रेस ने चार पुराने प्रत्याशी उतारे है और एक नए चेहरे को मौका दिया है। अब देखना ये होगा कि क्या पिछली बार की तरह इस बार भी भाजपा चम्बा में अपने शानदार प्रदर्शन को बरकरार रख पाएगी या फिर कांग्रेस यहाँ बेहतर करेगी।
हंसराज, पवन नय्यर, जिया लाल और विक्रम जरियाल, 2017 में जिला चम्बा से भाजपा टिकट पर जीत कर ये चार विधायक शिमला विधानसभा तक पहुंचे थे। पर इस बार इनमें से दो का रास्ता भाजपा ने टिकट आवंटन के साथ ही रोक दिया है। चुराह से हंसराज और भटियात से विक्रम जरियाल को तो भाजपा ने टिकट दिया, लेकिन चम्बा सदर से सीटिंग विधायक पवन नैय्यर और भरमौर से सीटिंग विधायक जियालाल का टिकट काट दिया। भरमौर से पार्टी ने डॉ जनकराज को मैदान में उतारा है तो सदर सीट पर नाटकीय घटनाक्रम के बाद निवर्तमान विधायक की पत्नी नीलम नय्यर को टिकट दिया है। यहां पार्टी ने पहले इंदिरा कपूर को टिकट दिया था लेकिन अंतिम समय में टिकट बदल दिया गया। इसके बाद इंदिरा कपूर ने निर्दलीय चुनाव लड़ा है। वहीँ डलहौजी से भाजपा ने एक बार फिर आशा कुमारी के खिलाफ डीएस ठाकुर को ही मैदान में उतारा है।
उधर, कांग्रेस में डलहौज़ी से सीटिंग विधायक आशा कुमारी सहित 2017 के चार उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इनमें सदर सीट से नीरज नय्यर, भरमौर से ठाकुर सिंह भरमौरी, भटियात से कुलदीप सिंह पठानिया शामिल है। जबकि चुराह सीट से पार्टी ने यशवंत खन्ना को मौका दिया है।
कर्मचारी फैक्टर का दिखा असर :
ग्राउंड रिपोर्ट की बात करें तो चम्बा में कर्मचारियों की अच्छी तादाद है। यहां पुरानी पेंशन का मुद्दा भी हावी दिखा है। ऐसे में यहां नजदीकी मुकाबलों में कांग्रेस को एडवांटेज मिल सकता है।