जब अटल ने अपनी कविता के माध्यम से वीरभद्र सिंह पर कसा था तंज
अटल बिहारी वाजपेयी वो महान हस्ती जिन्हें एक बार नहीं बल्कि तीन बार भारत के प्रधानमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ। अटल का साहित्य से लगाव जग ज़ाहिर था, वे उन विरले नेताओं में से थे, जिनका महज साहित्य में झुकाव भर नहीं था, बल्कि वे खुद लिखते भी थे। उनकी कविताएं आज भी पढ़ी जाती है। अटल विविध मंचों से और यहां तक कि संसद में भी अपनी कविताओं का सस्वर पाठ करते थे। एक बार जब अटल अपने मनाली वाले घर में छुट्टियां मनाने आए तो ख़राब सड़कें देख उन्हें बहुत निराशा हुई। उन्हें मनाली पहुँचने में खासी दिक्क्तों का सामना भी करना पड़ा, साथ ही मनाली में उस समय बिजली और नेटवर्क को लेकर भी बहुत सी समस्याएं थी। उस समय हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह की सरकार थी। तो मनाली के खस्ता हालात को देख अटल ने वीरभद्र पर तंज कस्ते हुए बड़े हलके फुल्के अंदाज़ में एक कविता लिख डाली और इसी कविता के माध्यम से खालिस्तानियों का ज़िक्र भी कर डाला। पढ़िए वो कविता :
मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो, गोरी
राजा के राज में।
जइयो तो जइयो,
उड़िके मत जइयो,
अधर में लटकीहौ,
वायुदूत के जहाज़ में।
जइयो तो जइयो,
सन्देसा न पइयो,
टेलिफोन बिगड़े हैं,
मिर्धा महाराज में।
जइयो तो जइयो,
मशाल ले के जइयो,
बिजुरी भइ बैरिन
अंधेरिया रात में।
जइयो तो जइयो,
त्रिशूल बांध जइयो,
मिलेंगे ख़ालिस्तानी,
राजीव के राज में।
मनाली तो जइहो।
सुरग सुख पइहों।
दुख नीको लागे, मोहे
राजा के राज में।