मंडी उपचुनाव : इब्दिता भी नहीं हुई और भौंहें तन गई
पिक्चर बेशक नई है लेकिन नाटक वहीँ पुराना चल रहा है। अभी तो मंडी लोकसभा उपचुनाव की तारीख भी तय नहीं हुई और कांग्रेसियों की भौंहें तन गई। कांग्रेसी दिग्गज टिकट आवंटन को लेकर अपना-अपना पक्ष सामने रख रहे है। कोई खुले तौर पर टिकट के लिए देवदारी पेश कर रहा है तो कोई आलाकमान के आदेश का इंतज़ार, मगर तैयारियां दोनों तरफ शुरू है। टिकट पर संशय बरकरार है और सियासी खींचतान चरम पर। एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री स्व.वीरभद्र सिंह की पत्नी और पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह है तो दूसरी तरफ सियासत के चाणक्य पंडित सुखराम के पोते और पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी रहे आश्रय शर्मा। फर्क है तो बस इतना कि प्रतिभा के साथ प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर सहित कांग्रेस का बड़ा तबका दिख रहा है, तो आश्रय कुछ अकेले-अकेले। प्रतिभा जहां आलाकमान के आदेश पर चुनाव लड़ने की बात कह रही है, तो आश्रय जनसम्पर्क अभियान भी शुरू कर चुके है।
दरअसल बीते दिनों कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने खुले मंच से मंडी लोकसभा के लिए प्रतिभा सिंह को सर्वमान्य प्रत्याशी बताया था। इस बात से पंडित सुखराम काफी आहत हुए। पंडित जी दिल्ली में थे और वहीँ से पलटवार किया कि कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कुलदीप राठौर प्रत्याशी का चयन नहीं करेंगे, उनके पास टिकट बांटने का कोई अधिकार नहीं है। टिकट किसे देना है और किसे नहीं, यह पार्टी हाईकमान का अंदरूनी फैसला होता है। उनका कहना है कि आश्रय शर्मा ने 2019 लोकसभा चुनाव में मंडी संसदीय सीट से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और इस लिहाज से उपचुनाव में आश्रय की दावेदारी सबसे प्रबल बनती है। यानी पंडित सुखराम अपने पोते आश्रय शर्मा के टिकट के लिए मोर्चा खोलते दिख रहे है। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में पंडित सुखराम ने भारतीय जनता पार्टी से अपने पोते के लिए टिकट मांगा था जो उन्हें नहीं मिला था। तब नाराज़ होकर सुखराम पोते सहित कांग्रेस में लौट गए और टिकट भी ले आये थे। पर हुआ वो ही जो अपेक्षित था, आश्रय चुनाव हार गए। अब उपचुनाव में पंडित सुखराम फिर आश्रय के लिए टिकट चाहते है तो प्रदेश कांग्रेस पूरी तरह प्रतिभा सिंह के साथ दिख रही है।
2019 में रिकॉर्ड अंतर से हारे थे आश्रय
2019 के लोकसभा चुनाव में आश्रय शर्मा रिकॉर्ड 4 लाख 5 हज़ार 459 वोट के अंतर से बुरी तरह चुनाव हार गए थे। उस चुनाव में रामस्वरूप शर्मा को 6 लाख 47 हजार 189 मत पड़े थे जबकि कांग्रेस के आश्रय शर्मा को महज 2 लाख 41 हजार 730 मत मिले थे। यहां तक कि जिन विधानसभा क्षेत्राें में कांग्रेस के विधायक थे, वहां पर भी आश्रय काे बढ़त नहीं मिल पाई थी। इसे देखते हुए आश्रय को दोबारा टिकट मिलने की उम्मीद बेमानी सी लग रही है।
प्रतिभा सिंह का दावा मजबूत
प्रतिभा सिंह मंडी संसदीय क्षेत्र से चार बार चुनाव लड़ चुकी है। दो बार उन्हें जीत मिली है और दो बार हार का सामना करना पड़ा है। 2014 की मोदी लहर में भी प्रतिभा सिंह मंडी से करीब 40 हजार वोट से ही हारी थी। मौजूदा समय में प्रतिभा एक दमदार प्रत्याशी मानी जा रही है। उनको पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उपजी सहानुभूति का लाभ मिलना भी तय है। नतीजा जो भी रहे पर यदि कांग्रेस प्रतिभा सिंह पर दाव खेलती है तो मंडी का घमासान रोचक होगा।
अब भाजपा को भी जोर लगाना होगा
मंडी लोकसभा उपचुनाव भाजपा के लिए आसान दिख रहा था पर बीते दिनों के सियासी घटनाक्रम और वीरभद्र सिंह के निधन के बाद स्थिति बदल चुकी है। विशेषकर यदि प्रतिभा सिंह मैदान में उतारती है तो भाजपा को भी जोर लगाना होगा। ऐसे में चर्चा है कि भाजपा दो मंत्रियों में से किसी एक को मैदान में उतार सकती है, यानी महेंद्र सिंह और गोविन्द सिंह ठाकुर में से कोई एक भाजपा का चेहरा हो सकता है।
