'हरमेल' से सबका 'मेल', कांग्रेस - भाजपा के लिए खतरे की घंटी
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कसौली निर्वाचन क्षेत्र के समीकरण बदल चुके है । दरअसल लंबे अरसे तक भाजपा में विभिन्न दायित्व संभाल चुके हरमेल धीमान अब आम आदमी पार्टी में शामिल हो चुके है। हरमेल धीमान जाने - माने समाजसेवी है और कई वर्षों के जमीनी स्तर पर काम कर रहे है। हरमेल भाजपा में भी टिकट के दावेदार थे और जानकार ये तय मान रहे है कि आगामी चुनाव में वे आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार होंगे। उनके साथ उनके काफी समर्थक भी अब आप में शामिल हो रहे है। पर दिलचस्प बात ये है कि बीते दिनों कई कांग्रेसी विचारधारा के लोग भी आप में शामिल हुए है। इनमे युवा इंटक के नेता भी शामिल है। वहीँ माना जा रहा है कि आगामी दिनों में भाजपा -कांग्रेस से और कई लोग आप का दामन थाम सकते है। यानी दोनों पार्टियों से खफा असंतुष्ट नेता - कार्यकर्ताओं का मेल हरमेल के साथ मुमकिन है। इनके साथ आने का कितना लाभ आप और हरमेल को मिलता है, ये देखना रोचक होने वाला है। बहरहाल ये तय है कि कसौली में इस बार मुकाबला आमने -सामने का नहीं बल्कि त्रिकोणीय होने जा रहा है।
कसौली वीआईपी निर्वाचन क्षेत्र है क्यों कि यहाँ से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ राजीव सैजल विधायक है। डॉ सैजल पिछले दो चुनाव हारते- हारते बचे है और लाज़मी है कि अब मंत्री होने के चलते क्षेत्र के लोगों की अपेक्षाएं भी उनसे बढ़ी है। ऐसे में ये बदले समीकरण उनकी परेशानी में इजाफा कर सकते है। वहीँ पिछले दो चुनाव में डॉ सैजल को कड़ी टक्कर देने वाले विनोद सुलतानपुरी इस बार प्रो एक्टिव जरूर है लेकिन क्या वे इस बार भीतरघात साध पाते है या नहीं, ये देखना भी रोचक होगा।
फिलवक्त हरमेल धीमान लाइम लाइट में है। उनका चुनाव लड़ना भी तय है और जिस आक्रमकता के साथ वे मैदान में उतर चुके है वो डॉ सैजल और सुल्तानपुरी दोनों के लिए खतरे की घंटी है। दोनों नेताओं को ये जहन में रखना होगा कि हरमेल के साथ न सिर्फ आप के समर्थक होंगे बल्कि दोनों तरफ के असंतुष्ट भी उन्हें मजबूत कर सकते है। बहरहाल चुनाव में काफी वक्त है और हर दिन नए समीकरण बनते बिगड़ते रहेंगे।
