जयराम ही होंगे फेस, क्या संगठन में भी आएगा ग्रेस !

आहिस्ता - आहिस्ता ही सही लेकिन उपचुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद से लग रही नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों पर अब लगभग विराम लग चूका है और ये भी तय है की पार्टी जयराम ठाकुर के चेहरे पर ही अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगी। बताया जा रहा है कि बीते दिनों दिल्ली में हुई भाजपा हाईकमान की बैठक में इस बात पर मुहर लग चुकी है, हालांकि इस संदर्भ में अब तक पार्टी ने औपचारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। जाहिर है अब जयराम समर्थक बाग-बाग है और उम्मीद लगाए बैठे अन्य नेताओं के समर्थकों के अरमानों पर पानी फिर चूका है। खैर ये सियासत है, यहां उतार चढ़ाव होते रहते है, अब असल सवाल ये है की जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा के लिए मिशन रिपीट की राह आसान होगी या कठिन। यहाँ ये जहन में रखना भी जरूरी है कि जयराम न सिर्फ सरकार का चेहरा है बल्कि भाजपा प्रदेश संगठन में भी फिलवक्त जयराम ठाकुर का असर दिख रहा है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बेशक सुरेश कश्यप हो लेकिन जानकार मानते है कि संगठन के बड़े निर्णयों में जयराम ठाकुर का ही प्रभाव है। अब इसे लेकर माहिर बंटे हुए है, कुछ इसे पार्टी की ताकत मानते है तो कई का मानना है कि पार्टी को इसका नुक्सान होगा। यहाँ गौर करने वाली बात ये भी है कि सुरेश कश्यप की ताजपोशी के बाद जमीनी स्तर पर पार्टी संगठन में कोई व्यापक बदलाव नहीं हुआ है। यानि संगठन में अधिकांश वे ही लोग है जिनकी नियुक्ति पूर्व अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल के समय हुई थी। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि जो संगठन भाजपा की ताकत माना जाता है वो उपचुनाव में कुछ हद तक कमजोर दिखा था। अब इसके अपने सियासी मायने है और सबका अपना -अपना विश्लेषण।
कयास लगते रहे, पर नहीं बदला संगठन :
उपचुनाव में मिली शिकस्त के बाद ये कयास भी लग रहे थे कि संभवतः पार्टी संगठन में व्यापक बदलाव करें, पर ऐसा हुआ नहीं। पार्टी वर्तमान संगठन के साथ ही विधानसभा चुनाव के रण में उतरती है या इसे धार देने के लिए आवश्यक बदलाव होते है, ये देखना रोचक होगा। विशेषकर कई जिलों में पार्टी संगठन को पैना किये जाने की जरूरत है। मजबूत संगठन और नेतृत्व सुनिश्चित कर पार्टी कुछ हद तक अंतर्कलह और असंतोष को भी साधने में कामयाब हो सकती है। पर असल सवाल ये ही है कि क्या पार्टी के रणनीतिकार भी ऐसा सोचते है।
पहला इम्तिहान शिमला नगर निगम चुनाव :
ये जहन में रखना भी जरूरी है कि विधानसभा चुनाव से पहले जयराम ठाकुर के सामने एक बड़ा इम्तिहान और है, ये है शिमला नगर निगम चुनाव। यदि नगर निगम चुनाव में पार्टी बेहतर नहीं कर पाती है तो स्वाभाविक है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की स्थिति भी असहज हो सकती है। ऐसे में मुमकिन है कि नेतृत्व परिवर्तन का जिन्न फिर बाहर आ जाएं।