कांगड़ा : जोर आजमाईश और दम की नुमाईश में फिलवक्त कांग्रेस गायब
हिमाचल की सियासत के सबसे बड़े किले काँगड़ा को फतेह करने के लिए भाजपा और आप ने रोड मैप तैयार कर लिया है। आबादी के साथ -साथ सियासी रसूख के लिहाज से भी सबसे बड़े जिले काँगड़ा में सियासी फ़िज़ा गरमाने लगी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल काँगड़ा का रुख करने वाले है। दरअसल काँगड़ा वो जिला है जो हिमाचल की सत्ता की राह को प्रशस्त करता है। हिमाचल के 68 विधायकों में से कुल 15 जिला कांगड़ा से चुनकर आते है। कहते है जिसने काँगड़ा जीत लिया उसका बेड़ा पार हुआ, और यही कारण है कि आप और भाजपा मिशन कांगड़ा पर निकल पड़े हैं।
पिछले आठ विधानसभा चुनाव के नतीजों पर निगाह डाले तो जिसे कांगड़ा ने चाहा सरकार उसी की बनी। पिछले चुनाव में भी यहाँ भाजपा को 11 सीटें मिली थी और सरकार भी उसी की बनी। अब भाजपा अपने इस किले को बचाने के लिए मुस्तैद हैं तो आप सेंधमारी के लिए पूरी तरह तैयार। 22 अप्रैल को नगरोटा बगवां में जगत प्रकाश नड्डा का रोड शो है, तो इसके अगले दिन यानी 23 अप्रैल को अरविंद केजरीवाल की धर्मशाला में जनसभा होगी। जाहिर हैं वार पलटवार भी होंगे और सियासी ताप भी खूब बढ़ने वाला हैं। वहीं इस जोर आजमाईश और दम की नुमाईश में कांग्रेस अभी कहीं नहीं दिख रही। निगाहें कांग्रेस पर भी होगी, ये देखना रोचक होगा कि भाजपा और आप के इन आयोजनों के मुकाबले पार्टी क्या करती हैं और कब करती हैं। कांग्रेस के कई नेताओं के पाला बदलने के कयासों में कांगड़ा से भी एक बड़ा नाम इन दिनों चर्चा में हैं, अब ये भाजपा में जाते हैं या आप में या कांग्रेस में ही रहेंगे, ये देखना भी रोचक होगा।
'आप' को चाहिए दमदार चेहरा :
6 अप्रैल को मंडी में हुआ अरविन्द केजरीवाल और भगवंत मान का रोड शो कई मायनों में सफल रहा था और कई कसौटियों पर असफल। पार्टी ठीकठाक भीड़ इक्कठा करने में तो सफल हो गई थी लेकिन किसी बड़े नेता के पार्टी में शामिल होने के कयास सिर्फ कयास ही रह गए थे। ऐसे में कांगड़ा में आप की कोशिश रहेगी कि कुछ दमदार हिमाचली चेहरो को पार्टी में शामिल कर माहौल बनाया जा सके। यदि ऐसा नहीं होता हैं तो बगैर मजबूत स्थानीय चेहरे के पार्टी लम्बा दौड़ पायेगी, ऐसा नजदीक भविष्य में तो मुश्किल लगता है।
जयराम जानते हैं, माइनस कांगड़ा मिशन रिपीट नहीं संभव
बीते कुछ माह में खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांगड़ा में मोर्चा संभाला हुआ हैं। लगातार मुख्यमंत्री कांगड़ा के दौरे कर रहे हैं और अमूमन हर निर्वाचन क्षेत्र पर उनकी कृपा बरसी हैं। जयराम जानते हैं कि माइनस कांगड़ा मिशन रिपीट संभव नहीं हैं और जाहिर हैं कांगड़ा को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। खुद मुख्यमंत्री जमीनी स्तर के पदाधिकारियों से संवाद साधे हुए हैं। जो शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल नहीं कर पाएं वो करने का दावा जयराम ठाकुर कर रहे हैं।
'ब' से बेहतर 'ब' से बदलाव :
पिछली सरकार में स्वर्गीय जीएस बाली और सुधीर शर्मा जिला कांगड़ा में कांग्रेस के प्रमुख चेहरे रहे हैं। बाली अब रहे नहीं और सुधीर के खिलाफ पार्टी के भीतर ही कुछ असंतोष हैं। वर्तमान जिला संगठन भी छाप छोड़ने में कामयाब नहीं दिखा रहा। जानकार मानते हैं कि पार्टी को कांगड़ा में बेहतर करना हैं तो बदलाव करना होगा। आशीष बुटेल, भवानी पठानिया सहित कई ऐसे चेहरे हैं जो नेतृत्व करने में सक्षम दिखते हैं। इनमें से किसी को दायित्व और शक्ति दिए जाने की जरुरत हैं।
