एक माता, एक बेटी, एक बेटा, इन्हीं के इर्दगिर्द है कांग्रेस : भारद्वाज
( words)
पंकज सिंगटा। फर्स्ट वर्डिक्ट
शहरी विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज भाजपा के वरिष्ठ नेता है और उन चंद नेताओं में शामिल है जिन्हें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का करीबी माना जाता है। विधानसभा चुनाव से पहले शिमला नगर निगम के चुनाव होने है जिन्हें सत्ता का सेमिफाइनल कहा जा रहा है। भारद्वाज शिमला शहरी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक है और ऐसे में जाहिर है शिमला नगर निगम का चुनाव उनके लिए निजी तौर पर बहुत महत्वपूर्ण रहने वाला है। इसके साथ ही इन दिनों प्रदेश में नए जिलों की मांग जोरों पर है और कहीं न कहीं सरकार में शामिल कई नेताओं का भी इस ओर एक सकारात्मक रवैया रहा है। ऐसे ही कई मसलों पर फर्स्ट वर्डिक्ट ने सुरेश भारद्वाज से खास चर्चा की। भारद्वाज ने हर मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी। वहीं कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह के साथ उनकी सियासी नोक झोंक के प्रश्न पर उन्हें अपने ही चिर परिचित अंदाज में अपनी बात रखी। पेश है इस बातचीत के मुख्य अंश ....
सवाल : विधानसभा चुनाव से पहले शिमला नगर निगम चुनाव होने है। आप शिमला शहर से विधायक है और कहीं न कहीं निजी तौर पर भी आपके लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण रहने वाला है। उपचुनाव में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। किस तरह से शिमला नगर निगम चुनाव को लेकर तैयारियां है ?
उत्तर : हिंदुस्तान में चुनाव आते रहते है। 2017 से भी हम अगर देखे तो हमने पहले नगर निगम का चुनाव लड़ा। उसके बाद हमने विधानसभा का चुनाव लड़ा, 2019 में लोकसभा के चुनाव हुए, उसके बाद 2019 में ही उन सीटों पर चुनाव हुए जो खाली हुई थी। इसके बाद 2021 में पंचायती राज संस्थाओं और नगर निगम के चुनाव हुए। फिर उपचुनाव हुए। कुछ ही समय में अब शिमला नगर निगम का चुनाव है और उसके साथ ही विधानसभा का चुनाव आएगा। आजकल भी कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे है और हमारे बहुत सारे कार्यकर्त्ता उसमें व्यस्त है। कुल मिलाकर चुनाव एक सतत प्रक्रिया है और इसमें हार जीत चलती रहती है, तो इसमें कोई बहुत बड़ा मसला नहीं है। शिमला नगर निगम ने इस बार बहुत अच्छे काम किये है और मैं समझता हूँ कि उसके आधार पर भाजपा वहां पर विजय हासिल करेगी।
सवाल :क्या इस बार भी नगर निगम के चुनाव पार्टी चिन्हों पर करवाए जायेंगे ?
उत्तर : पहले नगर निगम चुनाव बिना पार्टी सिंबल के होते थे लेकिन पिछले नगर निगम के चुनाव पार्टी सिंबल पर हुए है। अब इस पर सरकार में विचार किया जाएगा कि ये पार्टी सिंबल पर हो या इन्हें फ्री सिंबल कर दिया जाये। अभी इस पर चर्चा नहीं हुई है। इस पर मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल से चर्चा की जाएगी और उसके बाद तय किया जाएगा।
सवाल : शिमला नगर निगम में कुछ नए वार्डों बनाये गए है और कांग्रेस इसे लेकर विरोध भी जता रही है। क्या कहेंगे ?
उत्तर : डीलिमिटेशन एक क़ानूनी प्रक्रिया है और जनसंख्या के अनुसार वार्ड बनते है। कांग्रेस के समय में 2017 में डीलिमिटेशन की गयी लेकिन वो एक तरफ़ा की गयी और इर्रेशनल थी। प्रशासन ने प्रयास किया है कि जो बहुत बड़े वार्ड है उनको दूसरों के बराबर किया जाए और जो छोटे वार्ड है उनकी जनसंख्या इधर उधर से डाल कर बड़ा किया जाए। ये सब प्रशासन ने किया है और उनका निर्णय है। सच कहूं तो अभी तक डीलिमिटेशन में क्या किया है वो मैंने विस्तार पूर्वक नहीं देखा है क्यूंकि जिस दिन इसका नोटिफिकेशन आया था मैं उस दिन से टूर पर हूँ। डीलिमिटेशन की प्रोसेस में अभी ओब्जेक्शन्स का टाइम है। यदि किसी को उसमे आपत्ति हो और वह आपत्ति दर्ज़ कर सकता है और प्रशासन उसे ठीक करेगा।
सवाल : कांगड़ा के अंदर नए जिलों को बनाने की मांग जोरों पर उठ रही है और भाजपा का भी एक सकारात्मक रवैया इसकी ओर दिख रहा है। बीते दिनों तो एक फेक न्यूज़ भी वायरल हुई थी कि नए जिले बना दिए गए है। तो क्या नए जिले बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी ?
उत्तर : मैं मानता हूँ कि प्रशासनिक दृष्टि से जो छोटी इकाइयां है वो विकास कार्यों में लाभकारी रहती है। जयराम ठाकुर की सरकार में हमने बहुत स्थानों पर उपमंडल बनाये है। जिन्हें कांग्रेस की सरकारें अनदेखा करती थी, उन स्थानों पर हमने नए उपमंडल बनाए है। इसी तरह कई स्थानों पर तहसील यूनिट बनाए गए है। जिलों को लेकर भी विचार जब होगा, मन्त्रिमण्डल के समुख आएगा तो हम अपनी राय उसमे देंगे, लेकिन ये मुख्यमंत्री के ऊपर निर्भर करता है कि उनके आंकलन में जिला बनाना उपयोगी है या नहीं है। जब वह विषय को मन्त्रिमण्डल में लाएंगे तो हम सब विचार करेंगे पर अभी तक सीधे तौर पर यह विषय चर्चा के लिए नहीं आया है। फेक न्यूज़ मैंने भी देखी है, उसमे तो जिले बना दिए गए है, अब किसने बनाए है यह मुझे मालूम नहीं है।
सवाल : 2022 विधानसभा के चुनाव बहुत नज़दीक है और भाजपा मिशन रिपीट को लेकर बात कर रही है और कांग्रेस कह रही है कि वो 2022 में सत्ता में फिर वापसी करेगी। विधानसभा चुनाव को किस तरह से देखते है?
उत्तर : देखिये अगर आप हिंदुस्तान की बात करे तो आज कांग्रेस बिलकुल हाशिये पर है और आपको कांग्रेस मुक्त भारत बनता दिखाई दे रहा होगा। जो अभी 5 राज्यों के चुनाव भी हो रहे है उसमें उत्तर प्रदेश जैसा बहुत बड़ा राज्य है, वहां पर कांग्रेस कभी थी, अब तो उसकी गिनती ही नहीं होती है। तो कांग्रेस का जो भविष्य है वो बहुत सुखद नहीं है। केवल मात्र एक माता है, एक बेटी है, एक बेटा है उसके इर्दगिर्द सारी कांग्रेस चलती है। हिमाचल प्रदेश में भी यदि देखा जाए तो इनके पास न कोई पॉलिसी है ना कोई विज़न है और न कोई लीडरशिप है। तो ऐसे में कांग्रेस का भविष्य बहुत ज्यादा नहीं है। हम आंकलन केवल एकाध चुनाव के जीतने हारने पर करेंगे तो उससे पूरी विधानसभा के चुनाव के रुख का अंदाज़ा नहीं लगा सकते है। इस बार जयराम ठाकुर की सरकार ने गरीब हितेषी सरकार बन कर दिखाया है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार इस बार रिपीट करेगी और हिमाचल प्रदेश में इतिहास बनेगा, कांग्रेस कहीं देखने को नहीं मिलेगी।
सवाल : आप वरिष्ठ नेता है और मुख्यमंत्री के करीबी भी माने जाते है। प्रदेश भर में पुरानी पेंशन का मुद्दा गूंज रहा है जिसको लेकर कर्मचारी संघर्षरत है। इन दिनों डॉक्टर्स भी हड़ताल कर रहे है, और भी कई कर्मचारी मसले है। आपको नहीं लगता कि विधानसभा चुनाव में इसका असर पड़ सकता है ?
उत्तर : जो ऑर्गेनाइज़्ड सेक्टर होता है, जो सरकार से वेतनमान प्राप्त करता है उनमे अपने वेतन विसंगतियों को लेकर इस प्रकार की नाराज़गी और प्रसन्नता चलती रहती है। हिमाचल प्रदेश ऐसा राज्य है जहाँ पर पंजाब वेतनमान प्रदेश की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के बावजूद भी जारी किया गया है। आगे भी जो विसंगतियां है उनको भी दूर किया जा रहा है। अब आपको इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि 2015 में जब स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की सरकार थी, तब पुलिस कर्मचारियों के साथ एक अन्याय किया था, उनको 8 साल तक इनिशियल स्टेज पर रखा गया बल्कि जो उनके साथ के कर्मचारी थे उनको 2 साल में पूरा हो जाता था। उस अन्याय को भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दूर किया है। इसी प्रकार से और भी बहुत सारे ऐसे मसले है जिनको ये सरकार दूर कर रही है। हिमाचल प्रदेश का कर्मचारी जानता है कि कौन सी सरकार उनके हित में है। जयराम सरकार कर्मचारियों की हित चिंतक सरकार है इसलिए कर्मचारी मांग भी इसी सरकार से करते है। जयराम ठाकुर की सरकार ने पैट, पेरा, पीटीए इन सबको नियमित कर दिया है और बाकी जो हमारे आउटसोर्स के कर्मचारी है उनके लिए कैबिनेट सब कमेटी बनाई है। उसके लिए विचार विमर्श हो रहा है कि किस प्रकार से उनको राहत दी जाएगी। बाकि भी जो कर्मचारियों के मसले है समय-समय पर वह उठते भी रहते है और उनका निदान भी होता रहता है। मैं समझता हूँ कि ये कोई ऐसे मसले नहीं है कि जिन पर हिमाचल प्रदेश की सरकार के ऊपर असर पड़ेगा। जयराम सरकार कर्मचारियों के हित में हरसंभव कदम उठा रही है।
सवाल : पिछले सत्र में सवर्ण आयोग की मांग रखी गयी थी और जमकर हंगामा हुआ था। सरकार ने मांग तो मान ली थी लेकिन फिलहाल क्या स्थिति है सवर्ण आयोग को लेकर ? सवर्ण आयोग का यदि गठन नहीं होता है तो बजट सत्र के दौरान घेराव की चेतावनी भी दी गई थी।
उत्तर : देखिये हिमाचल सरकार ने उस दौरान मांग में ली थी लेकिन यह तय नही है कि आयोग का नाम क्या होगा। जरूरी नही है कि उसका नाम सवर्ण आयोग ही रखा जाए। उसका नाम कुछ भी हो सकता है। जितना मेरी जानकारी है धर्मशाला में ही सेशन के दौरान इस हेतु नोटिफिक्शन जारी कर दिया गया था। बाकि प्रक्रिया मुख्यमंत्री के संज्ञान में है, वो इस पर उचित समय पर निर्णय लेंगे और उसके अनुसार काम होगा।
सवाल : आजकल सोशल मीडिया पर आपकी और विक्रमादित्य की नोंक झोंक या कह लीजिये वार पलटवार लगातार चल रहा है, उसको लेकर क्या कहेंगे ?
उत्तर : मेरा विक्रमादित्य के साथ नोंक झोंक का प्रश्न ही पैदा नहीं होता है। कोई वार या पलटवार नहीं है। विक्रमादित्य अपने शिमला ग्रामीण से विधायक है, वह अपनी बात कर सकते है। शायद पार्टी में वो और ज्यादा आगे बढ़ने की कोशिश करते है तो शायद इस लिए बहुत सारे मसलों पर वो बात करते है। हमारी उनके साथ कोई बराबरी नहीं है क्यूंकि वो राजा है, अब आजकल राजा तो रहते नहीं है लेकिन फिर भी राजा बने है। इसलिए हमारी उनके साथ किसी प्रकार की कोई बराबरी नहीं है। मैं शिमला शहर से विधायक हूँ वो शिमला ग्रामीण में अपने पिता की सीट खाली करके वहां से विधायक बने है। तो वो अपना काम करते है और मैं अपना काम करता हूँ, तो वार - पलटवार का कोई सवाल पैदा नहीं होता।
