क्या फिर मनोहर, रीता और कमल किशोर के इर्दगिर्द घूमेगी सियासत
आगामी विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और कई नेताओं के माथे पर अब चिंता की लकीरे खींची हुई है। टिकट मिलने के लिए अब कुछ नेता एक्टिव हो गए है, तो कुछ सुपर एक्टिव। टिकट किसे मिलेगा ये तो आने वाला समय ही तय करेगा, बहरहाल हाल ऐ इंदौरा भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है। यहाँ गुटबाजी और अंतर्कलह के कारण भाजपा की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही है, तो कांग्रेस में भी चेहरे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। वहीँ अब आम आदमी पार्टी भी हिमाचल की 68 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है, ऐसे में यहाँ के राजनैतिक समीकरण भी बदल सकते है। इस बार इंदौरा में दिलचस्प मुकाबला तय है।
इंदौरा में पिछले दो चुनाव की बात करे तो 2012 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय मनोहर लाल धीमान ने जीत हासिल की थी और दूसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार कमल किशोर थे, जबकि तीसरे स्थान पर बीजेपी उम्मीदवार रीता धीमान रही। उस समय मनोहर लाल धीमान कांग्रेस एसोसिएट विधायक रहे लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव आते ही करीब छः माह पूर्व ही मनोहर भाजपा में शामिल हो गए। तब मनोहर धीमान ने भाजपा से टिकट की मांग की थी लेकिन भाजपा ने पिछले उम्मीदवार यानी रीता धीमान पर ही दांव खेला और किसी तरह भाजपा मनोहर को मना कर अंतर्कलह साधने में भी सफल रही। नतीजन कांग्रेस के कमल किशोर को हरा कर रीता धीमान ने इस सीट पर जीत दर्ज की।
मनोहर, रीता या कोई और :
पर इस बार इंदौरा में भाजपा की डगर कठिन हो सकती है। पिछली बार यहाँ मनोहर धीमान भाजपा से टिकट की मांग कर रहे थे, तब पार्टी के कई बड़े नेताओं ने उन्हें मना कर जैसे तैसे भगवां लहराया। अब फिर विधानसभा चुनाव दस्तक दे रहे है और मनोहर धीमान फिर टिकट की कतार में है। अब यदि भाजपा फिर रीता धीमान को टिकट देती है तो मनोहर धीमान का क्या रुख होता है, ये देखना रोचक होगा। माना जा रहा है कि मनोहर इस बार चुनाव लड़ने के मूड में है, पार्टी टिकट पर या टिकट के बगैर। हालांकि खुद मनोहर अब तक इस विषय पर खुलकर नहीं बोल रहे है। दूसरी ओर विधायक रीता धीमान का दावा भी टिकट के लिए कमतर नहीं होगा, पर उनकी राह आसान नहीं दिख रही।
दो चुनाव हार चुके है कमल किशोर :
उधर कांग्रेस में फिलवक्त चेहरे को लेकर ही स्थिति स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस के कमल किशोर को इस बार टिकट मिलना मुश्किल दिख रहा है। कमल किशोर लगातार कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के रूप में दो चुनाव हार चुके है। 2012 के विधानसभा चुनाव में कमल निर्दलीय मनोहर धीमान के खिलाफ चुनाव हार गए थे। 2017 के चुनाव में भी पार्टी ने कमल किशोर को ही टिकट दिया लेकिन तब भी भाजपा की उम्मीदवार रीता धीमान ने कमल किशोर को हरा दिया। लगातार दो चुनाव हारने के बाद इस बार पार्टी कमल किशोर पर मेहरबान होगी या किसी नए चेहरे को मैदान में उतारेगी, ये तो आने वाला समय ही बताएगा।
वायरल हुआ रीता के खिलाफ गुस्से वाला वीडियो :
विद्याक रीता धीमान से जनता पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिख रही। सोशल मीडिया पर उनकी एक जनसभा का वीडियो भी इन दिनों खूब वायरल हुआ है जिसमें एक युवक खुलकर उनके खिलाफ बोल रहा है। हालांकि रीता के पास गिनाने के लिए कई उपलब्धियां भी है। बहरहाल रीता के पास उपलब्धियां ज्यादा है या उनके खिलाफ अंसतोष, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
