भरमौर में नाचे मोर,नहीं किसी को सियासी ठौर...
◆ ठाकुर की ठकुराई का सवाल,जिया का "जिया" जनता में नहीं
◆डाक्टर जनक ने पकड़ी नब्ज़,सामने खड़े ललित
अरविंद शर्मा। फर्स्ट वर्डिक्ट
भरमौर की साल दिसंबर में भोर कैसी होगी? क्या ठाकुर सिंह भरमौरी अपनी ठकुराई फिर से हासिल करेंगे या फिर मौजूदा विधायक जिया लाल से जनता फिर जिया लगाएगी? या डॉ जनक इन दोनों की नब्ज परख के अपना कोई इलाज हासिल कर लेंगे? क्या डॉ जनक के साथ जिला परिषद सदस्य ललित भी इतने लालायित हो जाएंगे कि इन तीनों को टक्कर देने से परहेज नहीं बरतेंगे ?
चंबा जिले के छोर के इस विधानसभा क्षेत्र में आगामी विधानसभा चुनावों में जंग दिलचस्प होने के आसार बनते जा रहे हैं। हालांकि अभी तक मैदान में सीधे-सीधे जंग ठाकुर सिंह भरमौरी और जिया लाल के बीच दिख रही है,बशर्ते भाजपा की उस लिस्ट में उनका नाम न हो,जिसमें टिकट कटने के कई नाम दर्ज होने की बात कही जा रही है।
खैर,दिलचस्प इसलिए है कि भाजपा के घरेलू डॉक्टर के नाम से मशहूर डॉक्टर जनक के बाबत भी यह बात एक बार से फिर सिर उठा चुकी है कि वो चुनाव लड़ सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो जाहिर सी बात होगी कि भाजपा का दिल जिया लाल से भर चुका साबित होगा। कांग्रेस में भी कमोवेश यही हालात हैं। ठाकुर सिंह भरमौरी अस्वस्थ चले आ रहे हैं। ऐसे में उनके बेटे अमित भरमौरी फ्रंट फुट पर दौड़ रहे हैं। अगर परिवारवाद की बात ही हावी रही तो यहां भी पिता की जगह पुत्र ले सकता है। नए चेहरों में कांग्रेस के ही जिला परिषद सदस्य ललित भी अपना नाम दावेदारों की लिस्ट में शामिल करवा चुके हैं।
दरअसल, मौजूदा भाजपा विधायक जिया लाल के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर भाजपा की छवि में फ्रैक्चर की वजह बन सकता है। यही वजह है कि भाजपा के भीतर अब जिया लाल से जिया न लगाने की बातें उठनी शुरू हो गई हैं। पॉवर प्रोजेक्ट्स इशुज़ की वजह से भी जिया की पॉलिटिकल पॉवर में डिस्चार्ज की वजह बनती बताई जा रहीं हैं। ऐसे में विकल्प के तौर पर डॉ जनक को भरमौर के पहाड़ों में भाजपा का कल्प वृक्ष माना जा रहा है।
कांग्रेस में ठाकुर सिंह भरमौरी की छत्र छाया बरसों से बनी हुई है। मगर हैल्थ इशुज़ की वजह से पॉलिटिकल इशुज़ बन रहे हैं। ऐसे में उनके बेटे अमित भरमौरी सियासी विरासत को संभालने के लिए खूब ताकत झोंक रहे हैं। मगर सामने जिला परिषद सदस्य और कांग्रेसी झंडाबरदार ललित के भी टिकट के लिए लालायित बताए जा रहे हैं , हालांकि ललित आने वाले समय में आम आदमी पार्टी का भी रुख कर सकते हैं। पंचायती राज व्यवस्था के यह सिपाही भी अपने सियासी प्रतिद्वंदियों के खिलाफ तलवार उठाने को तैयार बताए जा रहे हैं।
ऐसे में भरमौर में कई सियासी मोर नाचते हुए नजर आने शुरू हो गए हैं। बादल गरज रहे हैं,बिजलियां गर्ज रहीं हैं। देखना यह दिलचस्प होगा कि जब वोटों की बाढ़ आएगी तो किस की किश्ती लहरों को पार करेगी और किसकी डूबती है ?
