कांग्रेस पर 'अपनों' के वार ज्यादा 'धारदार' !

- सुधीर ने सोशल मीडिया को बनाया सियासी असला दागने का लांच पैड !
- हर्ष महाजन कब ब्लफ करते है और कब हकीकत बयां, समझना मुश्किल !
हिमाचल में सत्तारूढ़ कांग्रेस पर भाजपा लगतार हमलावर है, पर 'अपनों' के वार कांग्रेस पर ज्यादा 'धारदार' दिख रहे है। दरअसल, मुद्दा कोई भी हो, जितना तीखे प्रहार कांग्रेस पर पुराने मूल भाजपाई नहीं करते, उसे कहीं ज्यादा वो नेता करते है जो कभी कांग्रेस के अपने थे। हर्ष महाजन और सुधीर शर्मा; खासतौर पर ये दो वो चेहरे है जो दशकों कांग्रेस में रहे, फिर भाजपाई हुए और अब ही अपनी पुरानी पार्टी के लिए सबसे बड़ा सरदर्द भी बन गए। भाजपा में अगर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को छोड़ दे, तो पुराने नेताओं में एकाध ही ऐसे चेहरे दीखते है जो हर मुद्दे पर और पूरी शिद्द्त से, कांग्रेस को घेरते भी है और असरदार भी दीखते है। बाकी तो मानो रस्म अदायगी चली हो। निसंदेह इसका कारण नेताओं की क्षमता नहीं, बल्कि भाजपा के भीतर के अपने कारण है। इस पर विस्तृत चर्चा फिर कभी। पर फिलहाल भाजपा के सियासी हमलो को जो धार 'पुराने वाले' भाजपाई नहीं दे पा रहे, उसकी कमी ये 'नए वाले' जरूर पूरी कर रहे है।
यदा-कदा प्रदेश के मुद्दों पर बोलने वाले हर्ष महाजन, जब भी बोलते है सियासी पारा चरम पर होता है। हर बार नया दावा और वार में ज्यादा धार। दिलचस्प बात ये है की हर्ष महाजन कब ब्लफ कर रहे है और कब हकीकत बयां कर रहे है, इसे समझना मुश्किल है। खासतौर से असंभव दिख रहा राज्यसभा चुनाव जीतकर उन्होंने साबित किया है कि उन्हें जरा भी हल्के में लेना कितना भारी साबित हो सकता है। ये कहना गलत नहीं होगा कि हर्ष महाजन जब भी मीडिया से मुखातिब होते है, कांग्रेस को खज्जल (व्यथित ) करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। किसी भी नाम का जिक्र करते है और मानो कांग्रेस को काम पर लगा देते है।
इसी तरह सुधीर शर्मा की बात करें तो सुक्खू सरकार के खिलाफ अमूमन हर मसले पर उनकी प्रतिक्रिया चर्चा में रहती है, कभी अंदाज के चलते तो कभी सटीक शब्द बाणों के चलते। सोशल मीडिया को एक किस्म से उन्होंने सियासी असला दागने का लांच पैड बना लिया है। सुधीर कोई मौका नहीं छोड़ते और लगभग हर बार, वार निशाने पर होता है। कब फिरकी लेनी है और कब आक्रमक होना है, इस सियासी अदा के वो माहिर है। इन दोनों नेताओं के अलावा राजेंद्र राणा भी लगातार कांग्रेस पर हमलावर दीखते है। हालाँकि राणा भाजपा से ही कांग्रेस में आये थे।
उधर कांग्रेस से काउंटर अटैक एक जिम्मा मुख्य तौर पर खुद सीएम सुक्खू संभालते दीखते है। वे भाजपा के पांच गुट भी गिनाते है, और भाजपा में हावी पुराने कोंग्रेसियों का जिक्र कर पुराने भाजपाइयों से सियासी ठिठोली भी करते है।