क्या जूनियर सुल्तानपुरी पर दांव खेलेगी कांग्रेस ?

शिमला से लगातार 6 लोकसभा चुनाव जीते थे स्व केडी सुल्तानपुरी
सुल्तानपुरी के बाद पांच में से चार चुनाव हारी कांग्रेस
सुक्खू सरकार में शिमला संसदीय क्षेत्र को मिली है भरपूर तवज्जो
शिमला संसदीय क्षेत्र की जब भी चर्चा होती है एक नाम जुबान पर आ ही जाता है। ये नाम है कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे स्वर्गीय केडी सुल्तानपुरी का। ये वो नाम है जिन्हें शिमला संसदीय क्षेत्र की जनता से इतना प्यार मिला जितना शायद ही किसी अन्य नेता को कभी अपने संसदीय क्षेत्र से मिला हो। सुल्तानपुरी ने इस क्षेत्र से लगातार छ लोकसभा चुनाव जीते और इसलिए उन्हें शिमला की राजनीति का सुल्तान तक कहा गया। सुल्तानपुरी जब भी मैदान में उतरे जीत कर ही लौटे। सातवीं लोकसभा के चुनाव में शिमला संसदीय सीट से पहली बार कांग्रेस के सिपाही बनकर मैदान में उतरे केडी सुल्तानपुरी ने ऐसा दुर्ग बनाया जिसे उनके चुनाव मैदान में रहते कोई भेद नहीं पाया। ना सुल्तानपुरी को कोई दूसरी पार्टी का नेता हरा पाया और न ही कांग्रेस में इनका कोई प्रतिद्वंदी इनके आगे टिक पाया। 1980 से 1998 तक सुल्तानपुरी लगातार 6 चुनाव जीते। सुल्तानपुरी के दौर में शिमला संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का सूर्य सदा उद्यमान रहा।
हालंकि अब तस्वीर वैसी नहीं है। कभी कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले शिमला सांसदी क्षेत्र में अब कांग्रेस की परिस्थिति पहले सी नहीं रही। पिछले तीन चुनाव इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस हार चुकी है। सुल्तानपुरी के बाद यहाँ कांग्रेस पांच में से चार चुनाव हारी है। पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस यहाँ लगातार हार रही है। हाँ ये बात अलग है कि विधानसभा चुनाव के दौरान अब भी इस क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा दिखता है, मगर लोकसभा चुनाव में नतीजें प्रतीकूल ही रहते है।
बहरहाल 2024 लोकसभा चुनाव नजदीक है और हार कि हैट्रिक के बाद इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि शिमला संसदीय क्षेत्र में उसे जीत नसीब होगी। प्रदेश की सुक्खू सरकार में सबसे अधिक तवज्जो भी शिमला संसदीय क्षेत्र को ही मिली है। इस क्षेत्र से पांच मंत्री और तीन सीपीएस है। ऐसे में इस क्षेत्र से कांग्रेस को उम्मीद होना लाजमी भी है। किन्तु कांग्रेस की उम्मीद पूरी होती है या नहीं ये काफी हद तक कैंडिडेट पर निर्भर करेगा।
फिलवक्त शिमला संसदीय क्षेत्र से मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल, विनय कुमार, मोहनलाल ब्राक्टा के नाम चर्चा में हैऔर इस फेहरिस्त में एक नाम केडी सुल्तानपुरी के पुत्र विनोद सुल्तानपुरी का भी है। विनोद के चुनाव लड़ने के कयास इन दिनों तेज़ है। माना जा रहा है की पार्टी विनोद को चुनावी मैदान में उतार सकती है। विनोद सुल्तानपुरी वर्तमान में कसौली विधानसभा क्षेत्र से विधायक है और वो पूर्व सरकार में मंत्री रहे डॉ राजीव सैजल को हरा कर विधानसभा पहुंचे है। शिमला संसदीय क्षेत्र हिमाचल की एक मात्र आरक्षित लोकसभा सीट है। वहीँ माहिर मानते है इस क्षेत्र का जातीय समीकरण भी विनोद का दावा मजबूत करते है और उनके पिता की सियासी विरासत का लाभ भी उन्हें मिल सकता है। बहरहाल क्या कांग्रेस जूनियर सुल्तानपुरी पर दांव खेलती है और यदि टिकट मिला तो क्या विनोद अपने पिता वाला जादू दिखा पाएंगे, ये देखना रोचक होगा।