कहीं जोश कहीं उड़े होश, 'आप' के आ जाने से
ये निर्विवाद तथ्य है कि देश में इस वक्त भाजपा सबसे मजबूत राजनैतिक दल है और उसे टक्कर देने में मोटे तौर पर कांग्रेस विफल रही है। हाल ही में हुए 5 राज्यों के चुनाव में भाजपा ने अपना लोहा मनवाया है। दूसरी तरफ कांग्रेस आगे बढ़ने के बजाए एक और कदम पीछे हो गई है। भाजपा और कांग्रेस के प्रदर्शन से इतर आम आदमी पार्टी भी पंजाब में शानदार जीत दर्ज कर देश के सियासी समीकरणों को बदलती नजर आ रही है। भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का वजूद हमेशा ही रहा है, आजादी से पहले राष्ट्रीय आंदोलन के दौर में भी और आजादी के बाद भी। किन्तु उनकी भूमिका सिर्फ उनसे संबंधित राज्यों तक ही सीमित रही। हालांकि अब आम आदमी पार्टी इन परिस्थितियों को बदलती नज़र आ रही है। दिल्ली में कामयाबी से अपनी सरकार चलाने के बाद आम आदमी पार्टी ने पंजाब में भी कमाल कर दिखाया है। ज़ाहिर है पार्टी अब राष्ट्रीय दल बनने के पथ पर अग्रसर है। फिलवक्त देश में आठ राष्ट्रीय दल है और आम आदमी पार्टी भी इनमें जगह बनाने की पूरी कोशिश कर रही है। अलबत्ता अभी आम आदमी पार्टी के लिए मंज़िल दूर सही, मगर असंभव नहीं।
आप की इस जीत से राष्ट्रीय राजनीति के साथ साथ हिमाचल के सियासी समीकरण भी बदलते नज़र आ रहे है। ये पहले से ही तय माना जा रहा था कि अगर पार्टी पंजाब में बेहतर करती है तो इसकी आवाज़ हिमाचल प्रदेश में भी गूंजेगी। पंजाब में आप की बंपर जीत से हिमाचल प्रदेश में सियासी सुगबुगाहट तेज़ हो गई है। पार्टी काफी लम्बे समय से हिमाचल में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही है। सियासी माहिर मान रहे है कि हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी (आप) की दस्तक आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व भाजपा की रणनीति पर भारी पड़ सकती है। ये लगभग तय है कि शिमला नगर निगम चुनाव से आप हुंकार भरेगी और विधानसभा चुनाव में दमखम से उतरेंगी।
राष्ट्रीय पार्टी का टैग हासिल करना लक्ष्य :
देशभर में एक तबका आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के विकल्प के तौर पर देखने लगा है। वर्तमान में कांग्रेस और आप दोनों ही दलों की सरकारें दो -दो राज्यों में है। अब निश्चित तौर पर आप का टारगेट राष्ट्रीय पार्टी का टैग हासिल करना है।
राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए तीन शर्तें होती है, इन तीन शर्तों में जो पार्टी एक शर्त भी पूरा करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलता है। पहला कोई भी दल जिसे चार राज्यों में प्रादेशिक (क्षेत्रीय दल) का दर्जा प्राप्त है उस दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल होता है। दूसरा, कोई दल तीन अलग- अलग राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 2 फीसदी सीटें जीतता है। यानी कम से कम 11 सीटें जीतना जरूरी होता है, लेकिन यह 11 सीटें किसी एक राज्य से न होकर तीन अलग- अलग राज्यों से होनी चाहिए। तीसरा, यदि कोई पार्टी 4 लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6 फीसदी वोट हासिल करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है। निकट भविष्य में बेशक ये मुश्किल हो लेकिन आप की नजर हिमाचल या गुजरात में 6 से अधिक वोट हासिल करने पर होगी ताकि 2024 लोकसभा चुनाव में बेहतर कर वो राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर सकें।
हिमाचल : सत्ता विरोधी वोट बंटा तो कांग्रेस को होगी मुश्किल !
चुनाव परिणाम में वोट प्रतिशत पर गौर करें तो उत्तराखंड में आप को 3.31 प्रतिशत वोट, वहीं गोवा में आप को 6.77 प्रतिशत वोट हासिल हुए है। ये वोट प्रतिशत भले ही सत्ता पर काबिज होने के लिए नाकाफी है मगर अन्य राजनीतिक दलों के समीकरण बनाने और बिगड़ने के लिए काफी है। प्रदेश में आप भले ही बेहतर न कर पाए मगर माना जा रहा है कि आप के आने से कांग्रेस के लिए स्थिति मुश्किल हो सकती है। 1985 के बाद हुए सभी विधानसभा चुनावों में प्रदेश की जनता बदलाव के लिए सत्ता विरोधी वोट करती आ रही है और यदि ये सत्ता विरोधी वोट बांटने में आप कामयाब रही तो कांग्रेस के अरमानों पर पानी फिर सकता है। वहीं एक तबका ऐसा भी है जो आप के दिल्ली मॉडल का मुरीद है, ऐसे में गुड गवर्नेंस की बात करने वाली भाजपा के लिए भी चुनौती कम नहीं होने वाली।
कई नेता बदल सकते है पाला :
हिमाचल का वर्तमान सियासी परिवेश आम आदमी पार्टी के लिए मुनासिब सिद्ध हो सकता है। दरअसल कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां यहाँ अंतर्कलह से जूझ रही है और दोनों तरफ ऐसे नेताओं की कमी नहीं है जो पाला बदल सकते है। ऐसे में संभवतः आप के लिए हिमाचल में मौजूदगी दर्ज करवाना ज्यादा मुश्किल न हो। यूँ तो पार्टी यहां 2014 से पांव जमाने की कोशिश में है लेकिन न पार्टी के पास चेहरा है और न संगठन। पर अब मन जा रहा है कि आगामी कुछ दिनों में कई नेता आप ज्वाइन कर सकते है। पंजाब के चुनाव नतीजे के बाद हिमाचल प्रदेश में आप की सदस्यता लेने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। बहरहाल, आप के सामने पहली चुनौती शिमला नगर निगम चुनाव की है।
