किस्सा : जब पंडित सुखराम के समर्थकों ने सीएम वीरभद्र सिंह को जनसभा नहीं करने दी !

बिना जनसभा किए ही कोटली से लौट आए थे तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह
साल था 1997, प्रदेश की सत्ता पर वीरभद्र सिंह काबिज थे और पंडित सुखराम हिमाचल विकास कांग्रेस बना चुके थे। उस दौर में वीरभद्र सिंह और पंडित सुखराम के बीच टकराव चरम पर था। बताया जाता है कि विधानसभा चुनावों से कुछ दिन पहले ही मंडी के कोटली में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के काफिले को रोक लिया गया था। दरअसल, कोटली में पंडित सुखराम समर्थकों का जमावड़ा था। स्थानीय लोग गुस्से और रोष से भरे हुए थे। कहा जाता है कि कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री की कार को निशाना तक बनाने की कोशिश की थी। पंडित सुखराम के पक्ष में लोग सड़कों पर थे, जिसके बाद माहौल देखकर वीरभद्र सिंह कोटली से लौट आए।
इस वाकये को याद करते हुए अनिल शर्मा बताते हैं कि—
"उस वक्त पंडित सुखराम और हम नई पार्टी बना रहे थे और कोटली में हमारी नई पार्टी का कार्यक्रम था। मुख्यमंत्री का वहां कोई आयोजन नहीं था, बल्कि वह तो बस वहां से होते हुए कहीं और किसी अन्य कार्यक्रम में जा रहे थे। जैसे ही हमारे समर्थकों को मालूम पड़ा कि वीरभद्र सिंह आए हैं, तो हमारे समर्थकों ने उनका घेराव कर उन्हें रोक दिया। फिर मैं खुद वहां पहुंचा, अपने समर्थकों को समझाया और उन्हें वहां से जाने दिया।"
अनिल कहते हैं कि, "वीरभद्र सिंह हमारे क्षेत्र में थे, हमारे मेहमान थे, उन्हें नहीं रोका जाना चाहिए था, मगर समर्थकों ने ऐसा किया।"