हिन्दुस्तान में सिर्फ 16 महिलाएं ही पहुंची हैं सीएम की कुर्सी तक

**वर्तमान में सिर्फ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी है पद पर काबिज
देश की राजनीति में महिलाओं ने भी अपना वर्चस्व दिखाया है। एक दौर में 'आयरन लेडी' इंदिरा गांधी न सिर्फ देश की सियासत का मुख्य चेहरा थी बल्कि प्रधानमंत्री रहते उनका लोहा पूरी दुनिया ने माना। सोनिया गांधी लम्बे वक्त तक कांग्रेस की कमान संभालती रही है। वहीँ वर्तमान में निर्मला सीतारमण देश की वित्त मंत्री है। देश को बेशक अब तक सिर्फ एक महिला प्रधानमंत्री मिली हो, लेकिन सैकड़ों नाम ऐसे है जो अन्य महत्पूर्ण पदों पर रहे। वहीँ कई महिलाएं ऐसी है जिन्होंने बतौर मुख्यमंत्री अपने राज्यों की कमान संभाली है। वर्तमान में ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री है और देश की सियासत का दमदार चेहरा।
देश की सियासी अतीत पर निगाह डाले तो आजादी के बाद से अब तक भारत में कुल 16 महिला मुख्यमंत्री हुई हैं जिनमें शीला दीक्षित, राबड़ी देवी, जयललिता और सुषमा स्वराज जैसे नाम शामिल हैं। अब तक13 राज्यों को महिला मुख्यमंत्री मिल चुकी है जिनमें जम्मू व कश्मीर भी शामिलहै, जो अब केंद्र शासित प्रदेश है। वहीं उत्तर प्रदेश, दिल्ली व तमिलनाडु को दो - दो महिला मुख्यमंत्री मिली है।
मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने वाली महिलाओं की बात करें तो इनमें से अधिकांश ऐसी है जो राजनैतिक पृष्ठभूमि वाले परिवारों से आती है। ममता बनर्जी, सुषमा स्वराजऔर मायावती जैसे उदाहरण बेहद कम है। करीब दो दशक पहले एक के बाद एक लगातार कई राज्यों में महिला मुख्यमंत्रियों का आना एक शुभ संकेत था, तब शीला दीक्षित, मायावती, जयललिता, वसुंधरा राजे जैसी कई महिलाएं एक ही वक्त पर राज्यों की कमान संभाल रही थी। पर वर्तमान में ममता बनर्जी इकलौती ऐसी महिला है जो किसी राज्य की मुख्यमंत्री है।
सुचेता कृपलानी : देश की पहली महिला मुख्यमंत्री
सुचेता कृपलानी वो पहली महिला थी जो भारत के किसी राज्य की मुख्यमंत्री बनी। 1963 में सुचेता को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। 25, जून, 1908 में पंजाब के अंबाला में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्मी सुचेता कृपलानी ने एक लेक्चरर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी। सुचेता के पति आचार्य कृपलानी एक समाजवादी थे। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान ही सुचेता 1939 में नौकरी छोड़कर राजनीति में आईं थी। सुचेता उन चंद महिलाओं में शामिल थी जिन्होंने बापू के करीब रहकर देश की आज़ादी की नींव रखी थी। मुख्यमंत्री बनने से पहले वह लगातार दो बार लोकसभा के लिए चुनी गईं इसके अलावा 1946 में वह संविधान सभा की सदस्य भी चुनी गई थी। 1948 से 1960 तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव थीं।
उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद की मेंहदावल विधानसभा सीट से वर्ष 1962 में सुचेता कृपलानी ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा था। यहीं से जीत कर वह विधानसभा में पहुंची तो उन्हें श्रम सामुदायिक विकास और उद्योग विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। उस समय मुख्यमंत्री के रूप में चंद्रभान गुप्ता की ताजपोशी हुई थी। पर एक राजनीतिक घटनाक्रम में मुख्यमंत्री पद से चंद्रभान गुप्ता को त्याग पत्र देना पड़ा इसके बाद सुचेता कृपलानी को सीएम चुना गया था।
1971 में सुचेता कृपलानी ने राजनीति से संन्यास ले लिया। संन्यास लेने के बाद वह अपने पति के साथ दिल्ली में ही रहने लगीं और अपनी समस्त चल अचल संपत्ति संसाधन लोक कल्याण समिति को दान कर दी। वर्ष 1974 में 70 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। आज भी स्वच्छ राजनीति की जब बात होती है तो सुचेता कृपलानी का नाम लिया जाता है।
नंदिनी सत्पथी : दो बार बनी उड़ीसा की मुख्यमंत्री
नंदिनी सत्पथी का जन्म 9 जून, 1931 को उड़ीसा के कटक जिले में हुआ था। नंदिनी के पिता का नाम कालिंदी चरण पाणिग्रही था। भारत की प्रसिद्ध महिला राजनीतिज्ञ के साथ वह एक लेखिका भी थीं। 1939 में आठ वर्ष की उम्र में उन्हें यूनियन जैक को खींच कर उतारने और साथ ही कटक की दीवारों पर ब्रिटिश विरोधी पोस्टरों को हाथ से चिपकाने के लिए भी ब्रिटिश पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटा गया था। नंदिनी स्नातोकत्तर करते हुए ही छात्र राजनीति से जुड़ गयी थी। 1972 में उन्हें उड़ीसा राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद 1974 में वह फिर राज्य की मुखिया बनीं। 4 अगस्त 2006 को 75 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हुई।
शशिकला काकोडकर : दो बार संभाली गोवा की कमान
शशिकला काकोडकर का जन्म 7 जनवरी 1935 को पेरूम हुआ था। शशिकला काकोडकर के पिता का नाम दयानंद बंडोडकर था। दयानंद बंडोडकर गोवा के पहले मुख्यमंत्री थे। शशिकला अपने पिता दयानंद बंधोडकर के निधन के बाद 1973 में मुख्यमंत्री बनी थी, तब गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला था। 1977 में वे दूसरी बार गोवा की मुख्यमंत्री बनी और 1979 तक मुख्यमंत्री रही। फिर 1979 में अपनी पार्टी के भीतर एक विभाजन के कारण इस पद से अपदस्थ हुई। 28 अक्टूबर 2016 में 81 वर्ष की आयु में शशिकला काकोडकर का निधन हुआ।
सैयदा अनवरा तैमूर : देश की पहली मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री
सैयदा अनवरा तैमूर का जन्म 24 नवम्बर 1936 में हुआ था। सैयदा अनवरा तैमूर दिसंबर 1980 से लेकर जून 1981 तक असम की मुख्यमंत्री रही थी। सैयदा अनवरा तैमूर देश की पहली मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री रही है। वह 1972, 1978, 1983 और 1991 में चार बार विधायक रह चुकी थी। इसके साथ ही 1988 में राज्यसभा की सदस्य भी थी। साल 2011 में कांग्रेस का साथ छोड़कर वह ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) में शामिल हो गई थीं। 28 सितम्बर 2020 को 84 वर्ष की आयु में सैयदा अनवरा तैमूर की मृत्यु हुई।
जानकी रामचंद्रन : वो 23 दिन तक संभाली तमिलनाडु की कमान
तमिलनाडु के राजनीतिक इतिहास में चार फ़िल्मी सितारे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे है जिनमे जानकी रामचंद्रन भी शामिल है। जानकी रामचंद्रन का जन्म 30 नवंबर 1923 को हुआ था और अपने फिल्मी करियर में उन्होंने 25 से ज्यादा फिल्मों में किरदार निभाया था। जानकी रामचंद्रन के दूसरे पति एमजी रामचंद्रन थे। एनजीआर और जानकी रामचंद्रन ने कई फिल्मों में साथ अभिनय भी किया। जानकी एमजीआर के सहारे राजनीति में आई और एनजीआर के निधन के बाद जानकी तमिलनाडु की मुख्यमंत्री भी बनी। 7 जनवरी 1988 से 30 जनवरी 1988 तक जानकी एआईएडीएमके से राज्य की पहली महिला सीएम बनी। हालांकि उनका कार्यकाल महज 23 दिनों का ही था।19 मई 1996 को उनका निधन हो गया था।
जयललिता : कई बार तमिलनाडु की सीएम बनी जयललिता
जयललिता का जन्म 24 फरवरी 1948 को एक 'अय्यर ब्राह्मण' परिवार में, मैसूर राज्य के मेलुरकोट गांव में हुआ था। 1982 में उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की।1984 से 1989 के दौरान तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए राज्य का प्रतिनिधित्व किया।1991 से 1996, 2001, 2002 से 2006 तक और 2011 से 2014 तक जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं। जयललिता राज्य की पहली निर्वाचित मुख्यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री रहीं। राजनीति में आने से पहले जयललिता अभिनेत्री थी और उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगू, कन्नड़, हिंदी तथा एक अँग्रेजी फिल्म में भी काम किया। राजनीति में उनके समर्थक उन्हें अम्मा और पुरातची तलाईवी ('क्रांतिकारी नेता') कहकर बुलाते थे। 5 दिसम्बर 2016 को 68 वर्ष की आयु में जयललिता जयराम का निधन हुआ।
मायावती : चार बार बनी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री
मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को नई दिल्ली में ही हुआ। इनका पूरा नाम मायावती प्रभु दास है। इनके माता-पिता का नाम रामरती तथा प्रभु दयाल था। मायावती बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष है। दलित नेता मायावती को उत्तर प्रदेश की दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव मिला। मुलायम सिंह यादव की सरकार के पतन के बाद 3 जून 1995 को मायावती भाजपा के सहयोग से उत्तर प्रदेश की दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं।1995, 1997, 2002 और 2012 में मायावती ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री की बागड़ोर संभाली है। राजनीति में आने से पहले मायावती एक शिक्षक थी। आज भी मायावती सक्रीय राजनीति में है और देश में दलित राजनीति का बड़ा चेहरा है।
राजिंदर कौर भट्टल : पंजाब की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री
राजिंदर कौर भट्टल एक भारतीय राजनीतिज्ञ और कांग्रेस की सदस्य हैं। राजिंदर कौर पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब में मुख्यमंत्री का पद संभालने वाली प्रथम और एकमात्र महिला हैं। राजिंदर कौर भट्टल का जन्म 30 सितंबर 1945 को अविभाजित पंजाब में लाहौर में हुआ था। उनके पिता का नाम हीरा सिंह भट्टल था। 1996 से फरवरी 1997 तक हरचरण सिंह बराड़ के इस्तीफा देने के बाद राजिंदर कौर ने मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया। 1992 के बाद से वह लगातार पांच बार लेहरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रही।
राबड़ी देवी : पति जेल गए तो मुख्यमंत्री बन गई
राबड़ी देवी ने राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य के रूप में तीन बार बिहार की मुख्यमंत्री का पदभार संभाला है। वह एक पारंपरिक गृहिणी हैं। मुख्यमंत्री के तौर पर उनका पहला कार्यकाल केवल दो वर्ष का ही रहा लेकिन दूसरा कार्यकाल पुरे पांच वर्षों का रहा। राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है। जुलाई 1997 में चारा घोटाले मामले में उनके पति और बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो गई, और तय हो गया कि लालू यादव को जेल जाना पड़ेगा व साथ ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ेगा। यहीं से पटकथा लिखी गई बिहार के पहले महिला मुख्यमंत्री की। तारीख थी 25 जुलाई 1997 और लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
सुषमा स्वराज : भाजपा की पहली महिला मुख्यमंत्री
सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली मुख्यमंत्री रही है। 1998 में जब अंदरूनी खींचतान के चलते भाजपा को लगा की दिल्ली में सरकार खतरे में है, तो भाजपा ने सरकार बचाने के लिए सुषमा स्वराज को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाया। पर प्याज संकट के कारण भाजपा विधानसभा चुनाव हार गई। तब बढ़ते प्याज के दाम दिल्ली चुनाव में बड़ा मुद्दा थे और उसी के चलते भजपा को हार का सामना करना पड़ा। बाद में जब पार्टी विधानसभा चुनावों में पार्टी हार गई तो सुषमा स्वराज राष्ट्रीय राजनीति में लौट आईं। सुषमा स्वराज के नाम कई अन्य विशेषताएं भी जुड़ी है। वे किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता, भाजपा की पहली महिला मुख्यमंत्री, पहली केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री, महासचिव, प्रवक्ता और नेता प्रतिपक्ष रही हैं। 67 साल की उम्र में अगस्त 2019 में उनका निधन हो गया।
शीला दीक्षित : तीन बार रही दिल्ली की मुख्यमंत्री
शीला दीक्षित लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी। शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला नगर में एक पंजाबी खत्री परिवार में हुआ था। बतौर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का दिल्ली में एक लंबा कार्यकाल रहा है। 1998 से 2013 तक लगातार 15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही।1984 से 1989 तक शीला दीक्षित ने उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी किया था। 2014 में उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया था लेकिन 2014 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। 20 जुलाई 2019 को राजनीति की लंबी पारी खेलने वाली शीला दीक्षित का दिल्ली में निधन हुआ था।
उमा भारती : गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद देना पड़ा इस्तीफा
उमा भारती का जन्म 3 मई 1959 को एक लोधी राजपूत परिवार में हुआ। उमा भारती एक भारतीय नेता है और पूर्व में भारत की जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री थी। उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री भी रह चुकी है। उमा भारती मध्य प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। 2003 में उनके नेतृत्व में भाजपा ने चुनाव लड़ा और तीन-चौथाई बहुमत प्राप्त किया जिसके बाद वे मुख्यमंत्री बनीं। पर उनका कार्यकाल एक साल तक चला। हुबली दंगों के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
वसुंधरा राजे : ग्वालियर राजघराने की ये बेटी बनी दो बार राजस्थान की सीएम
वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। वसुंधरा राजे का जन्म 8 मार्च 1953 को मुंबई में हुआ। वसुंधरा राजे ने बतौर भाजपा की राष्ट्रीय सदस्य राजनीतिक पारी की शुरुआत की। 1985 में राजस्थान विधानसभा की सदस्य चुने जाने के बाद उन्हें भाजपा युवा मोर्चा, राजस्थान का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। पांच बार विधानसभा की सदस्य रही है। साथ ही पांच बार लोकसभा का चुनाव भी जीत चुकी हैं। वसुंधरा राजे दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी है। वे 2003 से 2008 तक और 2013 से 2018 तक सीएम रही। वसुंधरा ग्वालियर राजघराने में जन्मी है और उनकी शादी धौलपुर राजघराने में हुई थी। वसुंधरा अब भी सक्रिय राजनीति में है।
ममता बनर्जी : दीदी के आगे बंगाल में सब फेल
ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी 1955 में कोलकाता में हुआ था। ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख हैं। 1984 में जाधवपुर से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीतकर वे अपनी युवावस्था में कांग्रेस में शामिल हो गईं, उसी सीट को 1989 में उन्होंने खो दिया था और 1991 में फिर से जीत हासिल की। 2009 के आम चुनावों तक उन्होंने सीट को बरकरार रखा। इस बीच 1997 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की और केंद्र में दो बार रेल मंत्री बनीं। 2011 , 2016 व इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में वे प्रचंड बहुमत के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री चुनी गईं। 2011 में उन्होंने दशकों पुराने वामपंथी शासन को बंगाल से उखाड़ फेंका था।
पश्चिम बंगाल की राजनीति में ममता बनर्जी दीदी के नाम से प्रसिद्ध है। खास बात ये है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ममता के खिलाफ पूरी ताकत झोंकी थी लेकिन उसे मुँह की खानी पड़ी। इस जीत के बाद ममता बनर्जी न सिर्फ बंगाल में बल्कि पुरे देश में विपक्ष का सबसे कद्दावर चेहरा बनकर उभरी है।
महबूबा मुफ्ती : भाजपा के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में चलाई सरकार
महबूबा मुफ़्ती का जन्म 22 मई 1959 को बिजबिहारा में हुआ। महबूबा मुफ्ती ने 1996 में विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीति में कदम रखा। 2004 में अनंतनाग निर्वाचन क्षेत्र से संसद के निचले सदन के लिए चुने जाने से पहले लगातार दो बार कश्मीर के विधायक के रूप में कार्य किया। 2014 में फिर से वो सांसद बनीं। इसके बाद 2016 में अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद वो जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी। उन्होंने दो साल तक सरकार चलाई, लेकिन 2018 में जब भाजपा ने समर्थन वापस लिया तो उनको इस्तीफा देना पड़ा। बहरहाल वर्तमान में जम्मू -कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है। धारा 370 हटाए जाने के बाद इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। अब तक यहां चुनाव नहीं हुए है।
आनंदीबेन पटेल : मोदी पीएम बने तो आनंदीबेन सीएम बनी
आनंदीबेन पटेल का जन्म गुजरात के मेहसाणा जिले के खरोद गांव में 21 नवम्बर 1941 को एक पाटीदार परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम आनंदीबेन जेठा भाई पटेल है। आनंदीबेन गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। वे वर्ष 2014 से 2016 तक गुजरात की मुख्यमंत्री रही। नरेंद्र मोदी जब देश के प्रधानमंत्री बने तो आनंदी बेन पटेल को गुजरात की सीएम का दायित्व सौंपा गया था। वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश की राज्यपाल है और इससे पहले वे मध्य प्रदेश की राज्यपाल भी रह चुकी है। आनंदीबेन पटेल गुजरात की राजनीति में 'लौह महिला' के रूप में जानी जाती हैं।