देहरा :पढ़ाई में दक्ष पर आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों का सहारा बनेंगे संजय पराशर

देहरा :' मेरा ध्येय सर्वेभवन्तु सुखिना है तथा इसी भावना के साथ जसवां -परागपुर समेत पूरे प्रदेश की सेवा करना चाहता हूं। प्रभु कृपा से कोरोना काल में हमने हजारों लोगों तक अपनी पहुंच सेवा के माध्यम से बनाई है। कोशिश है कि हर जरूरतमंद तक सहायता पहुंचे तथा सभी सुखी हों।' यह शब्द प्रसिद्ध समाजसेवी तथा वीआर मेरीटाइम कंपनी के सीईओ एवम नेशनल शिपिंग बोर्ड के सदस्य
संजय पराशर ने परागपुर विकासखण्ड की ग्राम पंचायत मूहिं के सूहिं गांव में कहे। किडनी की बीमारी से जूझ रहे गांव के उत्तम चंद का कुशलक्षेम जानने आए पराशर ने कहा कि हम जितना मर्जी विकास और उन्नत्ति की बातें कर लें, लेकिन जब तक गांव का सर्वांगीण विकास नहीं होगा, देश अपेक्षाकृत आगे नहीं बढ़ सकता। युवाओं को रोजगार मिले तो गांव खुद विकास के रास्ते पर आगे निकलेंगे। हमने जमीनी स्तर पर रोजगार के लिए काम शुरू कर दिया है। जसवां परागपुर के दर्जनों युवाओं को मर्चेंट नेवी की नौकरी दिलवाई है। इस साल 500 उच्च शिक्षित युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। जिसे हम पूरी शिद्दत से पूरा करेंगे। पराशर ने कहा कि डाडासिबा तथा रक्कड़ में हमारे कार्यालय स्थानीय युवाओं के लिए नौकरी की सूचनाओं का आधार बने हैं। यह लम्बा रास्ता है, अतः रोजगार के लिए हमारे प्रयास निरन्तर बढ़ते जायेंगे।
पराशर ने सेना से सेवानिवृत्त अध्यापक मुकंद लाल शर्मा, तथा हरियाणा सरकार में एजी रमन कुमार शर्मा से आग्रह किया कि वे अपने क्षेत्र के एक विद्यार्थी को चुनें, जिसे वह किसी बड़ी यूनिवर्सिटी में अपने खर्चे पर पढ़ाएंगे । बच्चे के उज्ववल भविष्य के लिए वे सब कुछ करेंगे जो उनसे होगा। पराशर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि यह शरुआत एक साल के लिए ही होगी। आने वाले 25-30 सालों तक हम अलग अलग क्षेत्रों से ऐसे बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा लेंगे जो पढ़ने में दक्ष हैं, लेकिन आर्थिक मजबूरियों के कारण अपने उद्देश्य तक नहीं पहुंच पाते।
हिमाचल में रोजगार के अवसरों के लिए उनके पास मास्टर प्लान है। तथा इस प्लान को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर समेत संघ के बड़े नेताओं के सामने रख चुके हैं। उम्मीद है हमारी पहल पर सकारात्मक परिणाम सामने आयेंगे। कहा कि युवाओं के रोजगार के लिए पूरा प्रदेश किस तरह औद्योगिक हब बने इसके लिए मेहनत की जरूरत है। हालांकि यह कार्य मुश्किल नहीं है । केवल इच्छाशक्ति की जरूरत है जिसे हम करके दिखायेंगे। पराशर ने उनसे मिलने आए लोगों का आह्वान किया कि हम एक विज़न के साथ मैदान में हैं,जिसे पूरा किए बिना ना रुकेंगे ना थकेंगे। कहा कि जरूरत के समय में जब भी लोग आवाज लगाएंगे,वे उनके बीच हाजिर रहेंगे। बता दें कि संजय पराशर कोरोना काल में पूरे हिमाचल की आवाज बनकर उभरे हैं।कोरोना संक्रमण की दूसरी तेज लहर के बीच लोगों को अस्पतालों में जरूरी दवाईयों की कमी ना हो इसके लिए लगभग 3 करोड की दवाईयों समेत हजारों ऑक्सिमिटर, पीपीई किट,ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर तथा राशन के रूप में राहत सामग्री लोगों के घर घर जाकर वितरित कर चुके हैं।पराशर के साथ उनकी धर्मपत्नी सोनिका पराशर भी लगातार जनसेवा में लगीं हुई हैं। पराशर अब तक छह विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप भी प्रदान कर चुके हैं।