संस्कृत भारत की अस्मिता, इससे दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं: प्रो मोहिनी अरोड़ा

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के बलाहर (कांगड़ा) स्थित वेदव्यास परिसर में महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक प्रो. मोहिनी अरोड़ा ने डी.एम.के. सांसद दयानिधि मारन के संस्कृत विरोधी बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। प्रो. अरोड़ा ने कहा कि संस्कृत हमेशा से समृद्ध और सशक्त भाषा रही है, और यह ज्ञानविज्ञान का एक अटल कोश है। उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल भारत की संस्कृति का आधार नहीं है, बल्कि यह आधुनिक तकनीक में भी अत्यंत उपयोगी है, विशेषकर कम्प्यूटर विज्ञान में। उनके अनुसार, आज भारत में संस्कृत बोलने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, और विदेशी भी इस भाषा को सीखने के लिए भारत आ रहे हैं या ऑनलाइन माध्यम से इसका अध्ययन कर रहे हैं। अरोड़ा ने आरोप लगाया कि दयानिधि मारन जैसे लोग संसदीय चर्चाओं में संस्कृत के अनुवाद की बात पर अपनी नकारात्मक टिप्पणियों से अपनी संस्कृत विरोधी मानसिकता को सामने ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल संस्कृत में है, और इस पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी भारत की आत्मा पर चोट करने जैसा है। अरोड़ा ने यह भी कहा कि मारन ने यह भी नहीं सोचा कि उनका खुद का नाम "दयानिधि" संस्कृत से लिया गया है, जो संस्कृतनिष्ठ है। ऐसे में संस्कृत पर इस प्रकार की फूहड़ टिप्पणी करना न केवल उनकी गलत सोच को दर्शाता है, बल्कि एक महान भाषा का अपमान भी है। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के वेदव्यास परिसर स्थित महिला अध्ययन केंद्र ने दयानिधि मारन के इस विचार की कड़े शब्दों में निंदा की है। प्रो. अरोड़ा ने जोर देकर कहा कि अगर मारन माफी नहीं मांगते हैं, तो महिला शक्ति इस मुद्दे पर देशभर में आंदोलन कर इस दुष्प्रयास का विरोध करेगी।