शिमला : एसएफआई इकाई ने विश्वविद्यालय के अंदर किया धरना प्रदर्शन
फर्स्ट वर्डिक्ट। शिमला
विश्वविद्यालय एसएफआई इकाई द्वारा कुछ प्रमुख मांगों को लेकर आज धरना प्रदर्शन किया गया। जिसके अंदर पिछले कई वर्षों से एसएफआई मांग कर रही थी कि समरहिल चौक पर जो एमसी शिमला द्वारा भगत सिंह की मूर्ति लगाने का प्रपोजल पास हुआ था, वह अभी तक नहीं लगाई गई है। इसके साथ-साथ समरहिल चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक रखा जाना था। अभी तक इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। इस पर बात रखते हुए हरीश ठाकुर ने कहा कि एक तरफ तो हमारी सरकारें भगत सिंह के नाम पर राजनीति करते हुए डोंग करती है, परंतु अभी तक भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव जैसे तमाम शहीद हुए साथियों को शहीदों का दर्जा नहीं दे पाई है और दूसरी तरफ सावरकर जैसे लोगों को वीर सावरकर कहते हुए उन्हें अपना आदर्श मानती है और नाथूराम जैसे आतंकवादियों की मूर्ति बनाते हुए उसकी पूजा करती है।
इस विश्वविद्यालय का ठेकाकरण किया गया और ईआरपी सिस्टम को यहां पर लाकर हजारों बच्चों का भविष्य अंधकार में डाला गया है, उसका जिम्मेदार कौन है। इस पर आगे बात रखते हुए उन्होंने कहा कि पिछले शनिवार को कुलपति सिकंदर कुमार ने अपना इस्तीफा दे दिया था, उसके बाद भी वह कुलपति कार्यालय आते हैं और अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं और विश्वविद्यालय के अंदर कुछ लोगों की प्रमोशन करने में लगे हुए हैं, जो कि यह दर्शाता है कि किस तरह भाजपा सरकार द्वारा उन्हें इस विश्वविद्यालय के अंदर लाया जाता है, ताकि उनके विचार से संबंध रखने वाले लोगों को इस विश्वविद्यालय के अंदर लाया जाए।
जिसके अंदर हम देखते हैं कि पिछले लंबे समय से विश्वविद्यालय का किस तरह कुलपति सिकंदर द्वारा भगवाकरण किया गया। इन सभी मुद्दों पर एसएसआई विश्वविद्यालय इकाई ने चेतावनी देते हुए कहा कि आने वाले समय के अंदर छात्रों को लामबंद करते हुए इस विश्वविद्यालय को बचाने और शिक्षा को बचाने की लड़ाई को लड़ते हुए एसएसआई आंदोलन करेगी, ताकि इस विश्वविद्यालयों का निजीकरण होने से रोका जा सके।