क्या प्रतिभा सिंह भी बदल दी जाएगी ?

- उपचुनाव के मैंडेट से पार्टी में सीएम सुक्खू की पोजीशन बेहद मजबूत
- प्रतिभा को हटाने का मतलब एक किस्म से वीरभद्र सिंह की विरासत को चुनौती देना !
- मौजूदा पोलिटिकल गणित का असर होली लोज की पोलिटिकल केमिस्ट्री में भी दिखता है
|आगामी 25 अप्रैल को पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसके बाद उन्हें एक्सटेंशन मिलेगा या हटा दिया जायेगा, इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। हालांकि एक वर्ग मानता है कि प्रतिभा सिंह को हटाने का मतलब होगा एक किस्म से वीरभद्र सिंह की विरासत को चुनौती देना। इसमें कोई संशय नहीं कि प्रतिभा सिंह की ताजपोशी की मुख्य वजह भी वीरभद्र सिंह की विरासत को भुनाना ही था। तो क्या अब हिमाचल में कांग्रेस का गुजारा बगैर वीरभद्र नाम के मुमकिन है, ये अहम सवाल है ?
हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं कि अब हिमाचल में कांग्रेस का सबसे बड़ा और मजबूत चेहरा सुखविंद्र सिंह सुक्खू ही है और पार्टी में अधिकांश बदलाव उनकी रज़ा अनुसार होने है। विशेषकर उपचुनाव में मिले मैंडेट ने सुक्खू की पोजीशन बेहद मजबूत कर दी है।
उधर होली लॉज भी अब पहली जितना मजबूत नहीं दीखता लेकिन इतना कमजोर भी नहीं हुआ कि उसे दरकिनार किया जा सके। ये ही कारण है की प्रतिभा सिंह संगठन की मुख्या है तो उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह कैबिनेट मंत्री। जो विधायक खुलकर होली लॉज के साथ है, उन्हें भी एडजस्ट करने की कोशिश भी दिखती है। पर होली लॉज के साथ असल मसला ये ही है कि खुलकर साथ दिखने वाले एकाध ही बचे है। कोई निष्ठा बदल चूका है, तो कोई भाजपाई हो गया। यानी मौजूदा पोलिटिकल गणित में होली लॉज कमजोर है और इसका सीधा असर पोलिटिकल केमिस्ट्री में भी साफ दिखता है। पर जनता के बीच वीरभद्र परिवार के असर पर अब भी कोई सवाल नहीं है।
गौर करने लायक बात ये भी है कि हिमाचल में कांग्रेस संगठन का नए सिरे से गठन कर रही है और इसमें पीसीसी चीफ को फ्रीहैण्ड नहीं मिला है। कांग्रेस ने इस बार नया फार्मूला इजादा किया है। माहिर मानते है कि अगर प्रतिभा सिंह को बदलना होता तो संगठन भंग करते वक्त ही उन्हें भी हटा दिया जाता , पर आलाकमान ने ऐसा नहीं किया। आगे भी मुमकिन है कि आलाकमान सन्तुलन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिभा सिंह को ही एक्सटेंशन दे। वैसे भी कांग्रेस में अक्सर सरकार और संगठन में विरोधी गुटों की ताजपोशी का रिवाज सा है, ताकि दबाव दोतरफा बना रहे।
फिलवक्त सब अटकलें है और निगाहें आलाकमान पर टिकी है। भविष्य में प्रदेश अध्यक्ष बदलता है या नहीं, इससे बड़ा सवाल फिलहाल ये है कि करीब तीन महीने से बगैर संगठन चल रही कांग्रेस को नए पदाधिकारी कब मिलते है।
इन नामों को लेकर अटकलें
पूर्व अध्यक्ष कुलदीप राठौर आलाकमान के नजदीक है और सीएम सुक्खू के विरोधी भी। उनके होली लॉज के साथ भी बेहतर सम्बन्ध है और इस नाते उनकी दावेदार मजबूत है। इसका अलावा चर्चा में संजय अवस्थी का नाम भी है जो सीएम सुक्खू के करीबी है। जिला मंडी से इकलौते विधायक चंद्रशेखर की दावेदारी भी खारिज नहीं की जा सकती। मंडी में लगातार दो चुनावों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ है, इस लिहाज से चंद्रशेखर को ताकतवर कर पार्टी मंडी पर विशेष फोकस कर सकेगी।
वहीँ जिला शिमला से तीन मंत्री है। ऐसे में अगर एक मंत्री को ड्राप कर संगठन की कमान दी जाती है तो कैबिनेट में भी संतुलन बनाया जा सकेगा। चर्चा में रोहित ठाकुर और अनिरुद्ध सिंह के नाम है। बहरहाल, ये सब कयास है और अब भी एक बड़ा तबका मानता है कि प्रतिभा सिंह को एक्टेंशन मिलना लगभग तय है।