सोलन : एसएफआई इकाई द्वारा महाविद्यालय में राज्य कमेटी के आह्वान पर धरना प्रदर्शन
एसएफआई सोलन इकाई द्वारा विश्वविद्यालय में पीएचडी के अंदर हो रही धांधलियो के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। एसएफआई ने कहा क़ि हमारे कुलपति द्वारा अपने बेटे को पीएचडी में एडमिशन दिलाने के लिए यूजीसी की गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए अपने बेटे की डायरेक्ट एडमिशन करवाई है। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार पीएचडी में एडमिशन के लिए नेट जेआरएफ पास करने के बाद प्रवेश परीक्षा देनी होती थी। उसे क्लियर करने के बाद पीएचडी में प्रवेश मिलता था। परंतु अपने उच्च पद का दुरुपयोग कर कुलपति ने अपने बेटे को बिना किसी टेस्ट के ही सीधा प्रवेश दे दिया। एसएफआई कड़े शब्दों में इसकी निंदा करती है और मांग करती है कि जल्द से जल्द इस प्रवेश को वापिस लिया जाए। वहीं दूसरी ओर न्यू एजुकेशन पॉलिसी को हिमाचल में लागू करने के लिए सरकार काफी समय लंबे समय से कोशिश कर रही है इस पॉलिसी के अंदर हमारी शिक्षा को निजीकरण और सांप्रदायिकरण किया जा रहा है 2014 में रूसा सिस्टम को भी सबसे पहले हिमाचल प्रदेश में लागू किया गया। एसएफआई मांग करती है कि नई शिक्षा नीति को वापस लिया जाए। न्यू एजुकेशन पॉलिसी के माध्यम से सरकार आंगनवाड़ी को प्राइमरी स्कूलों के साथ मर्ज करने की बात कर रही है और वहीं पर स्कूलों को भी निजी हाथों में सौंप रही है और जिन स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों की संख्या कम है उनको प्राइवेट के साथ मर्ज करने की बात नई शिक्षा नीति मे की गई है। इसी के साथ साथ PTA के नाम पर जो छात्रों से करोड़ों रुपए लूटे जा रहे हैं उसे छात्रों से लेना बंद किया जाए। हर साल विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों से पीटीए के नाम पर करोड़ों रुपए लूटता है पर वह कहां खर्च होते हैं इसका कोई ब्यौरा नहीं है। साथ ही महाविद्यालय के अंदर खाली पड़े अध्यापकों के पदों को भी जल्द से जल्द भरा जाए। एसएफआई मांग करती है कि कुलपति के ऊपर से सख्त कार्रवाई हो। न्यू एजुकेशन पॉलिसी को हिमाचल में इंप्लीमेंट न किया जाए तथा पीटीए के नाम पर छात्रों को लूटना बंद करें। अगर जल्द से जल्द इन मागों को पूरा नहीं किया गया तो एसएफआई छात्रों को लामबंद करते हुए एक उग्र आंदोलन करेगी। जिसका जिम्मेदार विश्वविद्यालय प्रशासन तथा हमारी सरकार होगी इस मौके पर शिवानी, संतोष, वंशिका, संजय, श्रेया, शलेजा अंकिता, आर्यन, सौरव सहित 20 लोग सम्मिलित थे।