रूठों को मनाने में जुटे राजनैतिक दल, क्या मानेंगे बागी या होगी नामांकन वापसी!
- सोलन निर्वाचन क्षेत्र के तहत आते हैं 4 जिला परिषद् वार्ड
- 6 जनवरी पर टिकी सबकी निगाहें
- कल के बाद बदल सकते हैं राजनैतिक समीकरण
कल 6 जनवरी को पंचायत चुनाव के लिए नामांकन वापसी की अंतिम तिथि हैं। दोनों मुख्य राजनैतिक दलों की नज़र कल के दिन पर टिकी हैं खासतौर से जिला परिषद् चुनाव को लेकर। बेशक चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं हो रहे पर दोनों राजनैतिक दल इसे 2022 के सेमिफाइनल के तौर पर ले रहे हैं। कही बागियों ने राजनैतिक दलों की नींद उड़ाई हैं तो कही निर्दलीय उम्मीदवारों ने। पुरे प्रदेश में कमोबेश ऐसी ही स्थिति हैं और सोलन भी इससे इतर नहीं हैं।
सोलन : कहीं कांग्रेस का चैन उड़ाया तो कहीं भाजपा की नींद
सोलन निर्वाचन क्षेत्र की बात करें तो इसके तहत पूर्ण या आंशिक तौर पर जिला परिषद् की चार सीटें आती हैं। सलोगड़ा जिसके तहत आने वाली सभी 14 पंचायतें सोलन निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा हैं। सिरिनगर जिसके तहत 20 पंचायतें आती हैं और सभी सोलन निर्वाचन क्षेत्र का ही हिस्सा हैं। तीसरा जिला परिषद् वार्ड हैं कुनिहार जिसके तहत आने वाली 15 में से 6 पंचायतें सोलन निर्वाचन क्षेत्र के अधीन आती हैं और चौथा वार्ड हैं सपरून जहाँ 17 में से 4 पंचायतें सोलन निर्वाचन क्षेत्र में आती हैं। इन चारों जिला परिषद् वार्डों में बागियों और आज़ाद उम्मीदवारों ने ताल ठोकी हैं और कहीं कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों का का चैन चुराया हुआ हैं तो कही भाजपा समर्थित प्रत्याशियों की नींद। ऐसे में दोनों ही दलों की तरफ से रूठे हुए लोगों को मनाने का अंतिम प्रयास किया जा रहा हैं ताकि चुनाव में संभावित नुक्सान को कम किया जा सके।
सलोगड़ा वार्ड : मनोज की मौजूदगी से किसे नुक्सान!
सलोगड़ा वार्ड में भाजपा ने एक बार फिर कुमारी शीला को समर्थन देकर मैदान में उतारा हैं। तो कांग्रेस ने विकास पुरुष की छवि वाले नौणी प्रधान बलदेव ठाकुर पर दांव खेल इस मुकाबले को बेहद रोचक बना दिया हैं। इन दोनों के अलावा एक निर्दलीय प्रत्याशी भी चर्चा में हैं वो हैं मनोज वर्मा। कई राजैनतिक पंडित उन्हें कुमारी शीला के लिए वोट कटवा मान रहे हैं तो कई बलदेव ठाकुर के लिए। वहीं कुछ लोग उन्हें जिताऊ भी मानते हैं। सबका अपना - अपना आंकलन हैं। अब मनोज कल मैदान से वापस हटते हैं या ठीके रहते हैं ये देखना दिलचस्प होगा।
सपरून वार्ड: त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा को चिंता!
सपरून वार्ड से भाजपा से तीर्थ राम उम्मीदवार हैं लेकिन पार्टी विचारधारा से मेल रखने वाले अनिल कपिल ने मैदान में उतर कर उनकी परेशानी बढ़ा दी है। अनिल कपिल का अपना जनाधार हैं और जानकार मानते हैं कि विशेषकर कुछ पंचायतों में अनिल कपिल की मौजूदगी भाजपा को नुक्सान पहुंचा सकती हैं। कांग्रेस उम्मीदवार की बात करें तो यहाँ से राजिंदर सिंह मैदान में हैं जिनके नाम पिछले चुनाव में बतौर बीडीसी रिकॉर्ड जीत दर्ज हैं। ऐसे में यदि अनिल कपिल भी यदि मैदान में डटे रहते हैं ये त्रिकोणीय मुकाबला बेहद रोचक होने की उम्मीद हैं।
सिरिनगर वार्ड: बागी उम्मीदवार ने चुराई कांग्रेस की नींद!
सिरिनगर वार्ड में भी एक बागी हैं जिस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। फ़र्क़ इतना हैं की यहाँ बगावत कांग्रेस में हुई हैं। दरअसल, कंडाघाट से सम्बन्ध रखने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश ठाकुर अपनी पत्नी लीला देवी ठाकुर के लिए कांग्रेस का समर्थन मांग रहे थे, पर विधायक कर्नल धनीराम शांडिल का समर्थन मिला नारायण सिंह की पत्नी निर्मला ठाकुर को। रमेश ठाकुर और उनके परिवार को ये निर्णय नागवार गुजरा और लीला देवी ठाकुर बिना कांग्रेस के समर्थन के ही मैदान में उतर गई। उधर भाजपा ने यहाँ से सुनीता रोहाल को मैदान में उतारा हैं, और रोहाल भी मजबूत उम्मीदवार हैं। यानी अब मुकाबला त्रिकोणीय हो चूका हैं। माना जा रहा हैं की कांग्रेसी खेमा कोशिश कर रहा हैं की लीला देवी नामांकन वापस ले। अगर ऐसा नहीं होता हैं तो जानकार मानते हैं कि कांग्रेस के दो दिग्गजों की लड़ाई में रोहाल को फायदा हो सकता हैं। हालांकि तीनों उम्मीदवार जीतने का दमखम रखते हैं।
कुनिहार वार्ड: यहाँ कांग्रेस एकजुट, तो भाजपा में अंतर्कलह
जिला परिषद् के कुनिहार वार्ड में भी निगाहें बागियों पर टिकी हैं। यहाँ सोलन भाजपा का बड़ा नाम रविंद्र परिहार मैदान में हैं जिनके मुकाबले कांग्रेस ने भी एक युवा और सशक्त उम्मीदवार विवेकानंद परिहार पर दांव खेला हैं। यहाँ बगावत की आग से भाजपा को झुलसने का डर हैं। दरअसल भाजपा के ही अमर सिंह ठाकुर यहाँ से बतौर निर्दलीय मैदान में हैं जिनकी एक क्षेत्र विशेष में अच्छी पकड़ हैं। यदि अमर सिंह ठाकुर मैदान में डटे रहते हैं और भाजपा समर्थित प्रत्याशी के लिए वोट कटवा सिद्ध होते हैं तो कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को फायदा स्वाभाविक हैं। अमर सिंह भी दोनों अन्य प्रत्याशियों से कमतर नहीं हैं और न ही ये चुनाव पार्टी सिंबल पर हैं, सो यहाँ कुछ भी मुमकिन हैं।
फिलवक्त सबकी नज़रें बुधवार पर टिकी हैं। कितने निर्दलीय और बागी मैदान से हटते हैं और कितने टिक कर मुकाबला करते हैं ये तो नामांकन वापसी के बाद ही पता चलेगा। नामांकन वापसी के बाद कटने समीकरण बदलेंगे।