आपदा में सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाएगी प्रदेश सरकार: मुख्यमंत्री

-कहा, आपदा से नुकसान को कम करने के लिए नियमों तथा मानवीय स्वभाव में बदलाव जरूरी
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार आपदा से लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में कड़ा कानून बनाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में गृह निर्माण के लिए स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की अनुमति, भूमि के भार वहन करने की क्षमता का पता लगाने के साथ-साथ जल निकासी की समुचित व्यवस्था पर कानून बनाया जाएगा। उन्होंने इसमें लोगों से राज्य सरकार को सहयोग का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि आज आपदा से अमूल्य जीवन एवं संपत्ति के नुकसान को कम करने के लिए नियमों तथा मानवीय स्वभाव में बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के प्रति सम्मान और संतुलन बनाकर ही आपदा की संभावना तथा इससे होने वाले नुकसान को न्यून किया जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश के पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में भूकंप और भूस्खलन जैसे भौगोलिक खतरों से उत्पन्न चुनौतियां, विषय पर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तत्वावधान में आज यहां आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल में इस बार बरसात में भारी बारिश, बादल फटने और बांधों से अत्याधिक पानी छोड़े जाने के कारण बहुत अधिक नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अप्रैल माह से ही राज्य में बारिश हो रही थी और मानसून में बहुत ज्यादा बारिश होने के कारण मानव जीवन और संपत्ति को काफी नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि इस आपदा के लिए मानवीय लालसा व असंवेदनशीलता इत्यादि भी कारण रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को सुरक्षा के दृष्टिगत नालों इत्यादि से समुचित दूरी पर घर बनाने और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसमें चूक से आपदा में जान-माल के नुकसान की आशंका और भी बढ़ जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही की बरसात में राज्य में बादल फटने की बहुत घटनाएं हुई हैं, जिनका व्यापक अध्ययन आवश्यक है। इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन का प्रभाव भी दृष्टिगोचर हो रहा है। किन्नौर और लाहौल-स्पीति जैसे बहुत कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इस बार काफी ज्यादा बारिश हुई है। उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से राज्य सरकार ने आपदा के दौरान बेहतर काम किया और रिकॉर्ड 48 घंटों के भीतर प्रभावित क्षेत्रों में बिजली, पानी और टेलीफोन सहित अन्य आवश्यक सेवाएं अस्थाई रूप से बहाल की गई। राज्य में किसानों-बागवानों को भी असुविधा न हो, इसका भी पूरा ध्यान रखते हुए सेब व अन्य नकदी फसलों को समय पर मंडियों तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया। उन्होंने राहत और बचाव कार्यों में बेहतर प्रयासों के लिए अधिकारियों सहित सभी लोगों की पीठ भी थपथपाई।