समझिए सोलन में क्यों हैं पेयजल किल्लत और क्या हैं समाधान
बरसात के मौसम में भी शहर में पेयजल आपूर्ति ठप है। ऐसा पहली बार नहीं है बल्कि सालों से ऐसा होता चला आ रहा है। दरअसल बरसात शुरू होते ही पेयजल स्तोत्रों में गाद आना शुरू हो जाती है जिससे पानी की लिफ्टिंग नहीं हो पाती। इसके चलते आईपीएच पर्याप्त पानी मुहैया नहीं करवा पाता। हालांकि एलम का इस्तेमाल कर विभाग कुछ हद तक पानी लिफ्ट करने क प्रयास करता है लेकिन गाद अधिक होने की स्थिति में ये पुरानी तकनीक कारगार सिद्ध नहीं हो पाती। इस वर्ष भी ऐसा ही हुआ है, दोनों मुख्य पेयजल योजनाओं, अश्वनी व गिरी में गाद के चलते लिफ्टिंग नहीं हो पा रही। आइये जानते है किस तरह शहर में पेयजल आपूर्ति होती है और इस समस्या क स्थायी हल क्या हैं।
- शहर को पेयजल आपूर्ति देने के लिए दो मुख्य योजनाएं हैं, अश्वनी पेयजल योजना और गिरी योजना।
- इन योजनों से आईपीएच विभाग पानी लिफ्ट करता हैं और वार्ड दस में बने मुख्य पेयजल टैंकों तक पहुंचाता हैं।
- पहले पानी को योजना के समीप बने टैंक में पहुंचाया जाता हैं, जहाँ से ट्रीटमेंट के बाद पानी लिफ्ट कर वार्ड दस के टैंक तक पहुँचता हैं।
- बरसात के मौसम में जब गाद आती हैं तो वाटर ट्रीटमेंट नहीं हो पाता और पानी वार्ड दस के मुख्य टैंकों तक लिफ्ट नहीं हो पाता।
- वार्ड दस में बने टैंकों से शहर में पेयजल वितरण का ज़िम्मा नगर परिषद् का हैं।
परक्युलेशन वेल हैं समाधान:
अश्वनी पेयजल योजना में काफी समय से परक्युलेशन वेल बनाने की योजना हैं। करीब 15 करोड़ की ये योजना अब तक सिरे नहीं चढ़ पाई हैं। यदि परक्युलेशन वेल बन जाता हैं तो गाद की समस्या से निजात मिल सकता हैं।आईपीएच विभाग ने करीब एक वर्ष पहले इस हेतु सरकार को योजना भेजी थी लेकिन अब तक इसे मंजूरी नहीं मिली हैं।एक्सईएन आईपीएच सोलन ई सुमित सूद काफी वक्त से इस योजना के लिए प्रयासरत हैं। उनका मानना हैं कि बहुत जल्द इसका शिलान्यास होगा और शायद अगली बरसात में शहर को पेयजल किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
धारों की धार टैंक ठीक होने से मिलेगी राहत:
धारों की धार में वर्ष 2006 में 38 लाख लीटर क्षमता का एक स्टरगे टैंक बनाया गया था। ये वाटर टैंक लेकज़ हैं जिसके चलते इसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। यदि इसे दुरुस्त कर दिया जाए तो किल्लत के समय शहर को कुछ राहत मिल सकती हैं। हालांकि आईपीएच एक्सईएन की पहल पर इसे अमेरिकी तकनीक से ठीक किये जाने को स्वीकृति मिली हैं। यदि ये टैंक ठीक होता हैं तो शहर को कुछ राहत जरूर मिलेगी।
लीकेज बड़ी समस्या:
अनुमान के अनुसार करीब तीस प्रतिशत पेयजल लीकेज के चलते व्यर्थ बहता हैं। नगर परिषद् को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की सख्त आवश्यकता हैं।काफी समय से नप पेयजल पाइप लाइन बदलने की बात कह रही है लेकिन कुछ वार्डों को छोड़ कर इस दिशा में पर्याप्त कार्य नहीं हुआ है।
वैकल्पिक योजना का अभाव :
क्षेत्र में गिरि व अवश्वनी दो बड़ी पेयजल योजनाएं हैं। गिरि पेयजल योजना से शहर सहित कसौली विस क्षेत्र के करीब 40 गांव के लिए पेयजल की सप्लाई की जाती है। वहीं अश्वनी योजना से शहर के कुछ हिस्से सहित लगभग 8 गावों में पेयजल आपूर्ति की जाती है। शहर में सुचारू पेयजल आपूर्ति हेतु एक नई योजना की सख्त आवश्यकता है गिरी पेयजल योजना सिर्फ सोलन शहर के लिए शुरू की गई थी ,लेकिन वर्तमान में अनेक गांव भी इस योजना से जोड़ दिए गए है। ऐसे में इस योजना पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।सम्बंधित विभाग व सरकार को दूरदृष्टि दिखा कोई वैकल्पिक योजना तैयार करने की जरुरत है।