काँगड़ा: आदर्श स्वाभिमान मंच के तहत प्रदेश में मौजूदा सरकार द्वारा शास्त्री पद की भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक बैठक का किया आयोजन
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आज हिमाचल प्रदेश के सभी साथियों ने आदर्श स्वाभिमान मंच के तहत प्रदेश में मौजूदा सरकार द्वारा शास्त्री पद की भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक बैठक आयोजित की गई। जिसमें अध्यक्ष अध्यक्ष डॉ. संजीव शर्मा ने जानकारी दी कि सरकार ने शास्त्री भर्ती हेतु नए R&P (रूल्स एंड रेगुलेशंस) नियम लागू किए हैं, जिनका असर प्रदेश में संस्कृत शिक्षा पर प्रतिकूल रूप से पड़ सकता है। नए नियमों के अनुसार, कोई भी शास्त्री योग्यता प्राप्त छात्र जो कमीशन या बैचवाइज भर्ती के माध्यम से शास्त्री पद पर नियुक्ति चाहता है, उसे अब केवल बीए, बीएससी करने वाले उम्मीदवारों से ही प्रतियोगिता करनी होगी, जिन्होंने संस्कृत को एक ऐच्छिक विषय के रूप में लिया हो। यह बदलाव प्रदेश के संस्कृत महाविद्यालयों और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन को समाप्त करने का कारण बन सकता है। इसका परिणाम यह हो सकता है कि प्रदेश में संस्कृत महाविद्यालयों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, और धार्मिक संस्कार जैसे विवाह, पूजा और अन्य कर्मकांडों को करने के लिए कोई प्रशिक्षित शास्त्री नहीं रहेगा। यह बदलाव न केवल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को प्रभावित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक गंभीर संकट उत्पन्न कर सकता है। अध्यक्ष डॉ. संजीव शर्मा ने सरकार से कई बार आग्रह किया है कि कृपया शास्त्री पद को समाप्त न किया जाए। यदि सरकार कोई नया नियम लागू करना चाहती है, तो इसके लिए एक समिति बनाकर विचार किया जाए ताकि प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और शास्त्री की विद्या का संरक्षण हो सके। संजीव शर्मा ने क्षेत्रीय विधायक श्री विक्रम ठाकुर जी को एक ज्ञापन भी सौंपा और उनसे आग्रह किया कि वे इस विषय को विधानसभा में उठाएं। इस संदर्भ में आचार्य सागर शर्मा, आचार्य रंजना देवी और आचार्य सुमित शर्मा सहित अन्य साथियों ने विधायक विक्रम ठाकुर से मिलकर इस मामले को गंभीरता से उठाने का निवेदन किया।