क्षय रोग मुक्त हिमाचल के लिए आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट किए गए प्रशिक्षित

प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी क्षय रोग मुक्त हिमाचल अभियान के अंतर्गत आज सोलन जिला के नालागढ़ उपमंडल में आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों को क्षय रोग प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला की अध्यक्षता जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. राजेंद्र शर्मा ने की। कार्यशाला में नालागढ़ उपमंडल के 35 आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों को क्षय रोग के बारे में प्रशिक्षण प्रदान किया गया। डॉ. राजेंद्र शर्मा ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य जिला में क्षय रोग से पीडि़त रोगियों की पहचान कर निर्धारित समय पर इन रोगियों की जांच करना है ताकि क्षय रोग समाज के निर्माण में योगदान दिया जा सके। उन्होंने कहा कि समय पर परीक्षण करवाकर दवा आरंभ करने से क्षय रोग से मुक्ति पाई जा सकती है। क्षय रोग अर्थात टीबी लाईलाज बीमारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक है कि लक्षणों के अनुसार रोगी समय पर अस्पताल में अपनी जांच करवाएं और रोग का पता चलने पर समयबद्ध दवा ले। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2021 तक हिमाचल को क्षय रोग मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए आवश्यक है कि जन-जन को क्षय रोग के विषय में जागरूक किया जाए। डॉ. राजेंद्र शर्मा ने कहा कि फार्मासिस्ट मूलरूप से रोगी का परीक्षण भी करते हैं और सभी रिकॉर्ड भी बनाकर रखते हैं। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से तपेदिक के रोगियों के संबंध में पूरी जानकारी फार्मासिस्ट के स्तर पर उपलब्ध रहती है। इसलिए यह आवश्यक है कि इनका क्षय रोग के संबंध में पूर्ण प्रशिक्षण करवाया जाए।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. मुक्ता रस्तोगी ने इस अवसर पर कहा कि मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से सभी चिकित्सा खंडों में कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभियान के सफल कार्यान्वयन के लिए पंचायत प्रतिनिधियों व आम जन का सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि जिला में विभिन्न अस्पतालों व अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में क्षय रोग की निःशुल्क जांच उपलब्ध है। जिले में क्षय रोग रोगियों की पहचान व रोग से बचाव की जानकारी के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सघन खोज अभियान के तहत शिविरों का आयोजन किया जा रहा है ताकि जिला में क्षय रोग के रोगियों के आंकड़े को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सके। डॉ. करूणेश नागल ने संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के संदर्भ में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि आरएनटीसीपी क्षय रोग उन्मूलन के अनुसार पता लगाना (डिटेक्ट), उपचार करना(ट्रीट), रोकथाम(प्रिवेंट), निर्माण (बिल्ड) अर्थात डीटीपीबी को चार रणनीतिक स्तंभों में एकीकृत किया गया है। डॉ. जयपाल गर्ग ने क्षय रोगी की जांच के लिए प्रयोगशालाओं की सुविधाओं तथा हिमाचल प्रदेश में रेफरल लिंक केस के बारे में जानकारी प्रदान की। डॉ. आशा मधानियां ने क्षय रोग के उपचार में दवाओं की उचित मात्रा तथा उपचार की अवधि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। डॉ. मुक्त रस्तोगी ने क्षय रोग के संबंध में आयुर्वेदिक फार्मासिस्टों की विभिन्न शंकाओं का निवारण भी किया।