न्याय पंचायत की आवश्यकता के बारे में हुई चर्चा

उपमंडल मुख्यालय के उपमंडल अधिकारी कार्यालय के सभागार में एक बैठक का आयोजन किया गया । जिसकी अध्यक्षता उपमंडल अधिकारी नागरिक विकास शुक्ला ने की । बैठक में करीब 30 पंचायतों के प्रधान मौजूद रहे तथा मौजूद सभी प्रधानों से न्याय पंचायत का गठन करने के बारे में चर्चा की गई । शुक्ला ने कहा कि लोगों में आपसी झगड़ा, घरेलू हिंसा तथा अन्य बातों को लेकर अक्सर झगड़ा होता रहता है । इसके न्याय के लिए वह उपमंडल अधिकारी कार्यालय पहुंचते हैं तथा इसमें लोगों का काफी समय बर्बाद होता है । यदि पंचायत स्तर पर ही इनका निपटारा किया जाए तो लोगों के लिए काफी राहत मिलेगी । उन्होंने कहा कि 1952 1968 तथा 1994 पंचायती राज एक्ट के अनुसार पंचायतों को कई मामले निपटाने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि पंचायत में तीन व्यक्तियों (पंचायत प्रधान उपप्रधान तथा वार्ड सदस्य) का एक बेंच होगा जोकि किसी मामले को लेकर निर्णय करेगा । इसके पश्चात यदि प्रार्थी को निर्णय से संतुष्टि न हो तो वह उपमंडल अधिकारी कार्यालय जा सकता है, परंतु उससे पहले पंचायत के निर्णायक मंडल द्वारा दिए गए निर्णय को भी देखा जाएगा । उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता की शिकायत का निवारण करने में संबंधित वार्ड सदस्य शामिल नहीं होगा । पंचायत निर्णायक मंडल में अन्य अर्थात पंचायत के लोगों को भी शामिल कर सकता है इसमें पंचायत प्रधान उपप्रधान तथा वार्ड सदस्य का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि पंचायत द्वारा समन जारी करने के बाद व्यक्ति नहीं पहुंचता है तो तीन शमनों के बाद निर्णायक मंडल का निर्णय माननीय होगा । उन्होंने यह भी कहा कि समन की फीस जुर्माने के तौर पर ₹100 तक वसूली जा सकती है ।उन्होंने बताया कि यदि प्रार्थी चाहे तो वह अपना पक्ष रखने के लिए अधिवक्ता को भी ले जा सकता है । उन्होंने बताया कि जल्द ही न्याय व्यवस्था को चलाने के लिए एक प्रशिक्षण शिविर लगाया जाएगा जिसमें सभी पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा । इस अवसर पर तहसीलदार संतराम शर्मा, नायब तहसीलदार मोहन लाल शर्मा, सीडीपीओ विनोद गौतम, खंड विकास अधिकारी कार्यालय की ओर से अरविंद कुमार, परमिंदर ठाकुर सहित अन्य मौजूद रहे ।