संत निरंकारी सत्संग भवन दाड़लाघाट में सत्संग का आयोजन

संत निरंकारी सत्संग भवन दाड़लाघाट में रविवार को सत्संग का आयोजन किया गया। मंच पर विराजमान सयोंजक महात्मा शंकर दास निरंकारी ने कहा कि सत्संग से जीवन में सहनशीलता व कर्मों में पावनता आती है। ज्ञान के अनुसार हमारे कर्म बन जाए तो हमारा जीवन भी सुन्दर बन जाएगा। निरंकारी सद्गुरू माता सुदीक्षा महाराज जी की सीख भी यहीं है कि हमारा जीवन खुशबू की तरह महकें, जब हमारे बोली-भाषा में प्रेम होगा व हमारे व्यवहार में नम्रता होगी तो जीवन बड़ा ही सुन्दर व सरल बन जाएगा। कबीरदास जी के बारे में कहा जाता है कि जब उनसे पूछा गया कि सत्संग में जाना जरूरी क्यों है,तो वह एक कील को हथौड़े से दीवार पर मारते रहे। उनके पास जो जिज्ञासा लेकर गया था, वह इस बात को समझ नहीं पाया और अंत में उन्हें साफ शब्दों में बताना पड़ा की हथौड़े की चोट से कैसे यह कील मजबूती से टिकी है। अगर बार-बार इसको चोट न मारी जाती तो यह दीवार में नहीं टिकती। इसका भाव यह हुआ कि हमें अपने आप को पक्का करना है तो निरंतर सत्संग के प्रति लगन होनी चाहिए। इससे पूर्व अन्य अनुयायियों ने विचारों और भजनों के माध्यम से निरंकारी मिशन का प्रचार एवं गुणगान किया। इस मौके पर काफी संख्या में निरंकारी समुदाय के अनुयायियों ने भाग लिया।अंत मे लंगर का भी आयोजन किया गया।