सूरजपुर के पिपलुघाट में विश्रामगृह की हालात जर्जर

ग्राम पंचायत सूरजपुर के पिपलुघाट में जर्जर विश्रामगृह को दुरुस्त करवाने की मांग स्थानीय जनता द्वारा की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 1964 में पिपलुघाट विश्रामगृह को बनाया गया था,जोकि आज तक क्षेत्र में पिपलुघाट के लिए एक धरोहर के तौर पर थी,परंतु इसका रखरखाव व उचित देखभाल नहीं होने से इस धरोहर रूपी विश्रामगृह की दयनीय स्थिति बनकर रह गई है। यह भवन पूरी तरह से प्राकृतिक प्रकोप व उचित मरम्मत न करने के कारण जर्जर हो चुका है। लोगों ने वन विभाग से आग्रह किया कि इस जर्जर भवन को असुरक्षित करार देकर इसके पुनर्निर्माण के लिए राशि स्वीकृत की जाए। स्थानीय लोगों में महेंद्र शर्मा, रामदास, भगतराम, रामचंद्र, भूपेंद्र शर्मा, उमेश शर्मा सहित अन्य लोगों का कहना है कि यहां विश्राम गृह पिपलुघाट में ही रहना चाहिए क्योंकि यहां पर कोई भी सामुदायिक भवन और न ही कोई अन्य विश्रामगृह है। उन्होंने विभाग से अनुरोध किया है कि जब तक इस विश्राम गृह का पुनर्निर्माण नहीं होता तब तक इसको वन विभाग के पास खाली भवन में हस्तांतरित कर दिया जाए। स्थानीय जनता के अनुसार जब भी कोई समारोह होता है तो लोगों को ठहरने के लिए बहुत कठिनाई व परेशानी का सामना करना पड़ता है।
जब इस बारे उपमंडलाधिकारी अर्की विकास शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने बताया कि विभाग का पत्र आया है। इसमें एक विभागीय कमेटी बनाकर इस पर जल्द ही कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
जब इस बारे डीएफओ कुनिहार सतीश नेगी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उसको अनसेफ घोषित करने के लिए उपमंडलाधिकारी अर्की को सिफारिश की गई है। इसकी मरम्मत नहीं की जा सकती। इसको नया ही बनाया जाएगा।