नौणी विवि में प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का समापन
डॉ वाई एस परमार औद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में प्राकृतिक खेती पर आधारित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का समापन हुआ। इस प्रशिक्षण शिविर मे सोलन जिला के 25 किसानों, जिसमें युवा किसान एवं महिलाएं भी शामिल थी, को प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग द्वारा किया गया। डॉ सुभाष वर्मा इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक रहे। प्रशिक्षण के समापन सत्र में नौणी विवि के कुलपति डा॰ परविंदर कौशल मुख्य अतिथि रहे। अपने सम्बोधन में डॉ कौशल ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने फसल की उत्पादकता और उपज की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। इसलिए प्राकृतिक खेती को अपनाने और इस विषय में जागरूकता फैलाने के लिए योगदान देने के लिए सभी को संवेदनशील बनाने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। डॉ कौशल ने किसानों से अपने अपने खेतों में प्राकृतिक खेती, चाहे छोटे स्तर पर ही, पर शुरू करने का आग्रह किया। उन्होनें कहा की प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पाद अच्छी गुणवत्ता वाले होते है जिसका बाज़ार में अच्छा मूल्य किसानों को मिलेगा। लागत कम होने से किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। उन्होनें परीक्षण के दौरान सीखे गए ज्ञान को अन्य किसानों तक पहुंचाने का भी आग्रह किया और कीटनाशकों पर निर्भरता कम करने की सलाह दी। उन्होनें प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र भी वितरित किए। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की प्राकृतिक खेती की टीम ने विभिन्न विषयों पर किसानों को प्रशिक्षत किया और व्याख्यान दिए। डॉ सुभाष वर्मा ने प्राकृतिक खेती के सिद्धांत एवं कीट प्रबंधन, डॉ कुलदीप ठाकुर ने सब्जी उत्पादन, डॉ उपेंदर ठाकुर ने फसल जयामिती, डॉ नरेंद्र भरत ने पौध रोग प्रबंधन पर जानकारी दी। डॉ प्रमोद शर्मा ने फल उत्पादन, डॉ राकेश शर्मा ने फलों व सब्जियों का मूल्यवर्धन, डॉ रोहित वशिष्ट ने प्राकृतिक खेती में देसी गाय का महत्व एवं प्रबंधन, डॉ सुभाष शर्मा ने इस पद्धति में आय वृद्धि के अवसर पर व्याख्यान और प्रदर्शन दिए। प्रतिभागियों ने विश्वविद्यालय के खेतों का भी दौरा किया। इस अवसर पर वानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ कुलवंत राय शर्मा, औदयानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ एमएल भारद्वाज, कीट विज्ञान विभाग के हैड डॉ देवेंदर गुप्ता, सयुंक्त निदेशक संचार डॉ राज कुमार ठाकुर, सयुंक्त निदेशक अनुसंधान डॉ रविंदर शर्मा सहित अन्य वैज्ञानिक मौजूद रहे।
