जीवन में गुण और दोष संघ से ही आते हैं : आचार्य सुमित
मनुष्य के जीवन में गुण और दोष संघ से ही आते हैं इसलिए मनुष्य को संत महापुरुषों व अच्छे लोगों का संघ करना चाहिए I यह ज्ञान आचार्य सुमित भारद्वाज ने शिव महापुराण कथा में भक्तों को दियाI तहसील राजगढ़ के गांव शरगांव के श्री दुर्गा माता मंदिर में आयोजित शिव महापुराण कथा में उन्होंने भक्तों को दूसरे दिन की कथा में ब्रह्मा विष्णु के संग्राम व शिवलिंग की उत्पत्ति की कथा श्रवण करवाईI आचार्य ने कहा कि ब्रह्मा विष्णु को मोह हो गया, ब्रह्मा जी कहे कि मैं बड़ा हूँ, विष्णु जी कहे कि मैं बड़ा हूँ। जब दोनों इस निर्णय को नहीं कर पाए कि कौन बड़ा है तब भगवान शंकर अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए और कहा कि जिसको भी इसका छोर पहले मिल जाएगा वह बड़ा होगा। ब्रह्मा जी आकाश की तरफ गए और विष्णु जी पाताल की तरफ मगर दोनों को अंत नहीं मिला। ब्रह्मा जी ने आकर झूठ कह दिया कि मुझे अंत मिल गया है तब भगवान शंकर ने कहा कि आप दोनों अभिमानी हो गए हैं और मेरी भक्ति को भूल गए हैं। मैं ही इस सृष्टि की उत्पत्ति स्थिति व संघार करने वाला हूँ दोनों को उन्होंने ओम नमः शिवाय मंत्र प्रदान किया। आचार्य सुमित भारद्वाज ने भक्तों को साधना के साध्य व साधन के बारे में बताते हुए कहा कि जीव को यदि साधना करनी है तो सबसे पहले जीतात्सनों, जीतश्वासों, जीतसंघों, जितेंद्रियों पर विजय प्राप्त करनी होगी। संत महापुरुषों का संघ करना होगा और कथा में मन को लगाना होगा। जब तक भगवान की कथा को नहीं सुनेंगे तब तक ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती और ना ही भगवान के बारे में हम जान सकते हैं। उन्होंने भजन कर मस्त जवानी में बुढ़ापा किसने देखा है गाकर श्रद्धालुओं को समझाया कि शरीर में शिथलता आ जाती है तब भजन में ध्यान नहीं रहता है। शरीर पीड़ा देता है इसलिए मनुष्य को भजन जवानी में करना चाहिए भगवान की कथा में ध्यान लगा कर भगवान के स्वरूप को जानना चाहिए। सभी श्रद्धालु भक्तों को शिव महापुराण कथा के बाद भंडारे का प्रसाद वितरित किया गया मंदिर में यज्ञ अधिष्ठाता महंत हेमंत गिरी महाराज ने कहा कि समस्त क्षेत्रवासी मिलकर शिव महापुराण कथा का सुंदर आयोजन कर रहे हैं इसलिए अधिक से अधिक संख्या में आकर कथा श्रवण करें।
