श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन किया कृष्ण सुदामा की गाथा का वर्णन
उपमंडल की ग्राम पंचायत बखालग के गांव चन्दपुर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन बांके बिहारी विश्व मंगलम सेवा धाम के मुख्य संस्थापक व ख्याति प्राप्त आचार्य हरि जी महाराज ने श्रीकृष्ण लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण की 16108 गोपियां थी। जिनमें रुकमणी के अनेकों रूप थे। अगले प्रसंग में हरि जी महाराज ने श्री कृष्ण के बचपन के साथी सुदामा भगत की लीलाओं की जानकारी श्रोताओं को दी। उन्होंने कहा कि एक दिन सुदामा की पत्नी सुशीला ने उनसे कहा कि आपके पुराने मित्र श्री कृष्ण जी द्वारकाधीश के राजा है। उनसे मिल कर अपने लिए कुछ मांगो ताकि हमारी दरिद्रता दूर हो सके। उसने सुदामा को द्वारकाधीश से मिलने के लिए विवश किया। सुशीला पांच घरों से पांच मुट्ठी चावल मांग कर लायी व सुदामा को एक गठरी में बांध कर दिया। सुदामा द्वारकाधीश से मिलने के लिए निकल पड़े। जब कृष्ण नगरी पहुंचे तो महल के मुख्य द्वार पर उन्हें द्वारपाल द्वारा रोक दिया गया और पूछा कि आप कौन हो, कहां से आए हो और किससे मिलना है। सुदामा ने कहा कि मैं सुदामा हूं और मैं अपने बचपन के सखा श्री कृष्ण जी से मिलना चाहता हूं। उनका संदेश लेकर द्वारपाल जैसे ही भगवान कृष्ण को यह बात बताई तो प्रभु नंगे पैर ही सुदामा को मिलने के लिए दौड़ पड़े। वे सुदामा को महल में ले गए जहां पर उनकी रानियां ने उनकी भरपूर सेवा की। प्रभु ने स्वयं उनके पैर धोए और उन्हें नए कपड़े पहनने को दिए। सुदामा जी को महलों में रहते कई दिन हो गए तो उन्हें घर की याद आने लगी। श्री कृष्ण से कहने लगे कि अब मुझे घर जाना है। भगवान ने सुदामा से पूछा कि सुशीला भाभी ने मुझे क्या दिया है। सुदामा ने गठड़ी में से चावल निकाल कर कृष्ण को दिए। कृष्ण ने कहा सुदामा मांगो क्या मांगना चाहते हो तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। सुदामा घर की ओर प्रस्थान करने लगे। नगरी पहुंचे तो वहां पर उनकी झोपड़ी की जगह महल का निर्माण हो चुका था और उनकी पत्नी सुशीला महंगी साड़ी व गहनों से लदी थी। सुदामा अपनी पत्नी को पहचान भी नहीं पाए। श्री कृष्ण जी की कथा की जानकारी देते हुए बांके बिहारी विश्व मंगल सेवा सेवा धाम के सचिव डीडी कश्यप ने बताया कि 7 दिन चले इस आयोजन में चंद्पुर गांव के सभी निवासियों ने सहयोग दिया। उन्होंने विशेषकर चंदपुर के निवासी कमल व देवराज को कथा को सफल बनाने हेतु आभार व्यक्त किया।
