कर्फ्यू के दूसरे दिन किरयाना दुकानों में लगी लोगों की भीड़
पूरे विश्व में फैले हुए कोरोना संक्रमण से दुनिया के लगभग सभी देशों में तबाही का आलम हो चुका है। इस तबाही से बचने के लिए दाड़लाघाट में चल रहे कर्फ्यू में दूसरे दिन कर्फ्यू में प्रातः 8:00 से 12:00 तक खरीदारी करने के लिए मिली छूट में दाड़लाघाट व साथ लगते गांव के लोगों को मानो संजीवनी मिल गई। कोई दवा लेने मेडिकल स्टोर की ओर दौड़ा, किसी ने तेज कदमों से किराना दुकान का रुख किया। कोई दूध-ब्रेड के लिए जूझता रहा, किसी ने अगले कई दिनों के लिए सब्जियां खरीदीं। जिसे कुछ नहीं खरीदना था, वह परिवार के साथ इस बहाने खुली हवा में सांस लेने निकला।कर्फ्यू में ढील की जैसे ही घोषणा हुई, सड़कों पर हुजूम उमड़ पड़ा।लोगों के चेहरों पर कोरोना वायरस किधर की कोई भी चिंता नही थी। भीड़ देख दुकानदारों ने झटपट दुकानें खोली और जरूरत के सामान दिए। अम्बुजा चौक व बस स्टैंड में करियाना सब्जी व दवाइयों की दुकानें खुली रहीं। वहीँ स्यार, बरायली, कंसवाला सड़क, अम्बुजा गेट वाली सड़कों पर भी रौनक छाई रही। हालांकि लोगों के चहरों पर आशंका भी झलक रही थी। कई लोग तो अपनी स्कूटर, मोटरसाइकिल व कारों को लेकर ही सड़क पर आ गए थे जिन्हें पुलिस ने कड़ाई से रोक लिया।
सर्वाधिक भीड़ करियाना दुकानों पर
दाड़लाघाट सहित कर्फ्यू ग्रस्त इलाकों में लोग खरीदारी के लिए निकले। लोगों ने बताया कि ज्यादा दिक्कत राशन और दूध के लिए हुई। लोगों के अनुसार खासकर दूध की आपूर्ति पर्याप्त नहीं हो रही है दूध एकदम खत्म हो जाता है इसलिए ढील मिलते ही लोगों ने सबसे पहले दूध व राशन खरीदा। सबसे ज्यादा भीड़ करियाना व सब्जी की दुकानों में देखने को मिली। कई लोग तो बिना मास्क लगाए ही सड़कों पर घूमते हुए दिखे जिससे लाॅकडाऊन करने का कोई भी फायदा नहीं दिखा। अगर इसी तरह लोग कर्फ्यू की डील में घूमते हुए दिखते रहे तो इस महामारी से लड़ने का या कर्फ्यू में घरों में रहने का कोई औचित्य नहीं होगा। लोगों को चाहिए कि वह संयम, व सतर्कता बरतें व पूरी तरह मास्क व सेनिटाइज़र लगा कर बाहर निकलें तभी इस जंग को जीता जा सकता है।
